अश्शूर
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अश्शूर/Aššur آشور | |
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अश्शूर के बचे हुए अवशेषों की रक्षा में पहरा देते अमेरिकी सैनिक (२००८) | |
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स्थान | सलह अल-दिन, ईराक |
क्षेत्र | मेसोपोटामिया |
निर्देशांक | 35°27′24″N 43°15′45″E / 35.45667°N 43.26250°Eनिर्देशांक: 35°27′24″N 43°15′45″E / 35.45667°N 43.26250°E |
प्रकार | बस्ती |
इतिहास | |
स्थापित | लगभग २४००-२५०० ई.पू. |
परित्यक्त | चौदहवीं शताब्दी |
काल | शुरूआती काँस्य युग से ? |
आधिकारिक नाम: अशूर (Qal'at Sherqat) | |
प्रकार | साँस्कृतिक |
मापदंड | iii, iv |
निर्दिष्ट | 2003 (२७वाँ अधिवेशन) |
संदर्भ सं. | 1130 |
क्षेत्र | अरब राज्य |
संकटग्रस्त | 2003–वर्तमान |
अश्शूर प्राचीन मेसोपोटामिया में नव असीरियाई साम्राज्य की राजधानी थी। इस शहर के अवशेष इराक़ में दजला नदी के उपरी हिस्से में स्थित हैं। यह बीसवी सदी ईसापूर्व से लेकर सातवीं सदी ईसापूर्व तक अस्तित्व में था। इसके बाद फ़ारस के हख़ामनी वंश के शासकों के अधीन आ गया। यह शहर लगभग २६००-२५०० ईपू से १४०० ईसवी तक हराभरा व समृद्ध रहा। लेकिन जब तैमूरलंग ने अपने ही लोगों का नरसंहार शुरू करवा दिया तब से इस शहर का अस्तित्व खत्म होता रहा।
अश्शूर इस शहर के प्रमुख देवता का भी नाम था। वह असीरिया में सबसे प्रमुख व शक्तिशाली देवता और असीरियाई साम्राज्य के संरक्षक माने जाते थे। वर्तमान में इस जगह को यूनेस्को विश्व धरोहर माना जाता है। २००३ में खाड़ी युद्ध शुरु होने के बाद इस जगह को खतरे में पडे विश्व धरोहरों में गिना जाने लगा।
पुरातात्विक सर्वेक्षण
[संपादित करें]अश्शूर का पुरातात्विक सर्वेक्षण जर्मनी के पुरातत्वविदों ने १८९८ में शुरू किया। फ्रेडरिक डेलिज़्च के नेतृत्व में १९९० में खुदाई शुरू हुई व १९०३ से १९१३ के बीच तक पहले रॉबर्ट कोल्डवे और बाद में वाल्टर आँद्रे के नेतृत्व में जर्मन ओरिएंटल सोसाइटी की एक टीम द्वारा जारी रही। [1][2][3][4][5] यहाँ १६०० से ज्यादा स्फानलिपी (cuneiform) में लिखे मिट्टी के बर्तन मिले। ज्यादातर वस्तुओं को बर्लिन के पर्गमौन संग्रहालय ले जाया गया।
१९९० में म्युनिख विश्वविद्दालय के लिए बी हरौदा और बवेरियाई संस्कृति मंत्रालय द्वारा भी यहाँ खुदाई कराई गयी।[6] इसी काल में १९८८-८९ में यहाँ जर्मन रिसर्च फाउंडेशन के आर. डिट्टमैन ने भी काम किया। [7]
असीरिया की सभ्यता
[संपादित करें]- हम्मूराबी या हाम्बुराबी के शासनकाल में यह बेबीलोनिया का सांस्कृतिक उपनिवेश था।
असीरिया की सबसे बड़ी देन उसकी शासन प्रणाली मानी जाती है। असुर देवता राज्य का स्वामी माना जाता था तथा राजा उसके प्रतिनिधि के रूप में शासन करता था लेकिन असीरिया सभ्यता के लोगो ने भवन निर्माण कला तथा चित्रकला भे काभी उन्नति की और नींव में पकी ईंटो का तथा दीवारो में धूप सुखाई गई ईँटो का प्रयोग किया जाता था।
सन्दर्भ
[संपादित करें]- ↑ वाल्टर आँद्रे, द अनु-अदाद-टेंपल इन अश्शूर|अश्शूर में अनु अदाद का मंदिर, जेसी हिन्रिक्स, १९०९, (१९८४ पुनर्मुद्रण ISBN 3-7648-1805-0)
- ↑ वाल्टर आँद्रे, दि स्टेलेनरेइन इन अश्शूर, जेसी हिन्रिक्स, १९१३, (१९७२ पुनर्मुद्रण ISBN 3-535-00587-6)
- ↑ वाल्टर आँद्रे, दि आर्काइस्केन इस्कतार टेम्पेल इन अश्शूर, जेसी हिन्रिक्स, १९२२, (१९७० पुनर्मुद्रण ISBN 3-7648-1806-9)
- ↑ वाल्टर आँद्रे, जर्मन में Hethitische Inschriften auf Bleistreifen aus Assur, जेसी हिन्रिक्स, १९२४
- ↑ वाल्टर आँद्रे, जर्मन में Das wiedererstandene Assur| द विदेरेस्टैन्डेन अश्शूर, १९३८, जेसी हिन्रिक्स, (१९७७ पुनर्मुद्रण ISBN 3-406-02947-7)
- ↑ एक्सकैवेशन इन इराक 1989-1990|इराक में खुदाई १९८९-१९९०, इराक, संस्करण. ५३, पृष्ठ. 169-182, १९९१
- ↑ आर. डिट्टमैन, जर्मन में Ausgrabungen der Freien Universitat Berlin in Ashur und Kar-Tukulti-Ninurta in den Jahren 1986-1989, MDOG, vol. 122, pp. 157-171, 1990