नेपाल
संघीय लोकतान्त्रिक गणराज्य नेपाल सङ्घीय लोकतान्त्रिक गणतन्त्र नेपाल |
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राष्ट्रवाक्य: जननी जन्मभूमिश्च स्वर्गादपि गरीयसी (संस्कृत) "माई अव मातृभूमि स्वर्ग से भी महान होत हिन" |
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'राष्ट्रगान: 'सयौँ थुङ्गा फूलका हामी सवो किसिम कय फूल हमरे |
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राजधानी औ सबसे बडा़ नगर | काठमांडु 27°42′N 85°19′E / 27.700°N 85.317°E | |||
राजकाज कै भाषा(एँ) | नेपाली (आधिकारिक) खस कुरा | |||
निवासी | नेपाली, नेप्लिज | |||
सरकार | लोकतंत्र | |||
- | राष्ट्रपति | विद्यादेवी भण्डारी | ||
- | प्रधानमंत्री | खड्ग प्रसाद ओली | ||
एकीकरण २१ दिसंबर १७६८ | ||||
- | गणराज्य | २८ दिसंबर २००७ | ||
क्षेत्रफल | ||||
- | कुल | १४७,१८१ वर्ग किलोमीटर (९३वाँ) ५६,८२७ वर्ग मील |
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- | पानी (%) | २.८ | ||
आबादी | ||||
- | जुलाई २००७ जनगणना | २८,९०१,७९० (४० वाँ) | ||
- | २००२ जनगणना | २३,१५१,४२३ | ||
सकल घरेलू उत्पाद (पीपीपी) | २००६ प्राक्कलन | |||
- | कुल | $४८.१८ बिलियन (८७ वाँ) | ||
- | प्रति व्यक्ति | $१,५०० (१६४ वाँ) | ||
गिनी (२०१०) | ३२.८[१] मद्धिम |
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मानव विकास सूचकांक (२०१३) | ०.५४०[२] मद्धिम · १४५वाँ |
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मुद्रा | रुपया (एनपीआर) | |||
समय मण्डल | नेपाल मानक समय (यू॰टी॰सी॰+5:45) | |||
- | ग्रीष्मकालीन (दि॰ब॰स॰) | - (यू॰टी॰सी॰+5:45) | ||
कॉलिंग कोड | 977 | |||
इंटरनेट टीएलडी | .एनपी |
नेपाल (आधिकारिक रूप मा, सङ्घीय लोकतान्त्रिक गणतन्त्र नेपाल [३]) एक दक्खिन एशियाई स्थलरुद्ध देस होय । नेपाल कै उत्तर मा चीन कै स्वायत्तशासी प्रदेश तिब्बत है अउर दक्खिन, पूरुब अव पच्छु में भारत अवस्थित है। नेपाल कय 85 प्रतिशत नागरिक हिन्दू धर्मावलम्बी हैं। नेपाल विश्व कै प्रतिशत आधार पै सबसे बड़ा हिन्दू धर्मावलम्बी राष्ट्र होय। नेपाल कै राजभाषा नेपाली होय औ नेपाल कै मनइन कय नेपाली कहि जात है।
एक्ठु छोट जगहि खर्तिन नेपाल कै भौगोलिक विविधता बहुतै उल्लेखनीय है। हिँया तराई कै उष्ण फाँट से लइकै ठंढ हिमालय कै श्रृंखला मौजुद है। संसार कै सबसे ऊँच 14 हिम श्रृंखलन् में से आठ नेपाल मा है जवने मा संसार कै सबसे बडा पर्वत सगरमाथा एवरेस्ट (नेपाल औ चीन कै सीमा पै) भी एक होय । नेपाल कै राजधानी औ सबसे बड़ा सहर काठमांडू होय। काठमांडू उपत्यका कै भीत्तर ललीतपुर (पाटन), भक्तपुर, मध्यपुर औ किर्तीपुर नाँव कै नगर भी हैं दुसर प्रमुख नगरन् मा पोखरा, विराटनगर, धरान, भरतपुर, वीरगंज, महेन्द्रनगर, बुटवल, हेटौडा, भैरहवा, जनकपुर, नेपालगंज, वीरेन्द्रनगर, त्रिभुवननगर हैं।
अबहिन कै नेपाली भूभाग अठारहवा सदी मा गोरखा कै शाह वंशीय राजा पृथ्वी नारायण शाह कै द्वारा संगठित नेपाल राज्य कै एक्ठु अंश होय । अंग्रेज़न् कै साथे भवा संधिन् मा नेपाल कै उ समय (१८१४ मा) एक तिहाई नेपाली क्षेत्र ब्रिटिश इंडिया कै देवैक परा रहा, जवन आज भारतीय राज्य हिमाचल प्रदेश, उत्तराखण्ड औ पच्छु बंगाल मा विलय हो गवा है। बींसवा सदी मा सुरु भवा जनतांत्रिक आन्दोलन मा कयु दाइ भवा जब राजशाही कै जनता औ ओनकै प्रतिनिधिन् कै अधिकाधिक अधिकार देवैक परा। २००८ मा जनतन् से चुनल प्रतिनिधि माओवादी नेता प्रचण्ड कै प्रधानमंत्री बनेक बाद से इ आन्दोलन खतम भवा। लेकिन सेना अध्यक्ष कै निकारेक लइकै राष्ट्रपति से भवा मतभेद औ टीवी पै सेना मा माओवादिन् कै नियुक्ति कै लइकै वीडियो फुटेज कै प्रसारण कै बाद सरकार से सहयोगी दलन् से समर्थन वापिस लेवैकै बाद प्रचण्ड कै इस्तीफा देवैक परा। लेकिन माओवादिन् कै सत्ता मा आवै से पहिले सन् २००६ मा राजा कै अधिकार कै बहुतै सीमित कइ दिहा रहा।
दक्खिन एशिया मा नेपाल कै सेना पँचवा सबसे बडा सेना होय औ विश्व युद्धन् कै समय मा , आपन गोरखा इतिहास खर्तीन मसहुर है औ संयुक्त राष्ट्र शांति अभियानन् खर्तीन जरूरी योगदान दिहे है।
नाँव
[सम्पादन | स्रोत सम्पादित करैं]'नेपाल' शब्द कै व्युत्पत्ति कै संबंध मा विद्वानन् कै ढेर मेरकै धारणा है। "नेपाल" शब्द कै उत्त्पत्ति कै बारे मा ठोस प्रमाण कवनो नाइ है, लेकिन एक्ठु मसहुर विश्वास कै अनुसार इ शब्द 'ने' ऋषि औ पाल (गुफा) मिलिकै बना है। मानि जात है कि एक्ठु समय नेपाल कै राजधानी काठमांडू 'ने' ऋषि कै तपस्या करैक जगह रहा। 'ने' मुनि कै द्वारा पालित होवैक नाते इ भूखंड कै नाँव नेपाल परा, अइसन कहि जात है।
तिब्बती भाषा मा 'ने' कै मतलब 'बिचला' औ 'पा' का मतलब 'देस' होत है। तिब्बती मनइ 'नेपाल' कै 'नेपा' कहत हैं। 'नेपाल' औ 'नेवार' शब्द कै समानता कै आधार पै डॉ॰ ग्रियर्सन औ यंग कहिन कि एक्कै मूल शब्द से दूनों कै व्युत्पत्ति होवैक अनुमान है। टर्नर नेपाल, नेवार, या नेवार, नेपाल दूनों स्थिति कै स्वीकार किहिन है। 'नेपाल' शब्द कै इस्तेमाल सबसे पहिले कौटिल्य अपने अर्थशास्त्र मा किहे हैं। उ काल मा बिहार मा जवन मागधी भाषा प्रचलित रहा ओहमें 'र' कै उच्चारण नाइ होत रहा। सम्राट् अशोक कै शिलालेखन् मा 'राजा' कै जगहि पै 'लाजा' शब्द व्यवहार भवा है। इहिकै नाते नेपार, नेबार, नेवार अइसै विकसि भवा होइ।
इतिहास
[सम्पादन | स्रोत सम्पादित करैं]हिमालय क्षेत्र में मनुष्यों का आगमन लगभग ९,००० वर्ष पहले होने के तथ्य की पुष्टि काठमांडू उपत्यका में पाये गये नव पाषाण औजारों से होती है। सम्भवतः तिब्बती-बर्माई मूल के लोग नेपाल में २,५०० वर्ष पहले आ चुके थे।[४] ५५०० ईसा पुर्व महाभारत काल मे जब कुंती पुञ पाॅच पाडंव स्वर्ग की ओर प्रस्थान कर रहे थे तभी पंडुपुञ भिमजी ने भगवान महादेवजी को दर्शन देने हेतु विनंती की। तभी भगवान शिवजी ने उन्हे दर्शन एक लिंग के रुप मे दिये जो आज "पशुपतिनाथ ज्योतिर्लिंग " के नाम से जाना जाता है । १५०० ईसा पूर्व के आसपास हिन्द-आर्यन जातियों ने काठमांडू उपत्यका में प्रवेश किया।खाँचा:उद्धरण आवश्यक करीब १००० ईसा पूर्व में छोटे-छोटे राज्य और राज्य संगठन बनें। नेपाल स्थित जनकपुर में भगवान श्रीरामपत्नी माता सिताजी का जन्म ७५०० ईसा पुर्व हुआ।सिद्धार्थ गौतम (ईसापूर्व ५६३–४८३) शाक्य वंश के राजकुमार थे, उनका जन्म नेपाल के लुम्बिनी में हुआ था, जिन्होंने अपना राज-पाट त्याग कर तपस्वी का जीवन निर्वाह किया और वह बुद्ध बन गए।
२५० ईसा पूर्व तक इस क्षेत्र में उत्तर भारत के मौर्य साम्राज्य का प्रभाव पड़ा और बाद में चौथी शताब्दी में गुप्तवंश के अधीन में कठपुतली राज्य हो गया। इस क्षेत्र में ५वीं शताब्दी के उत्तरार्ध में आकर वैशाली के लिच्छवियों के राज्य की स्थापना हुई। ८वीं शताब्दी के उत्तरार्ध में लिच्छवि वंश का अस्त हो गया और सन् ८७९ से नेवार (नेपाल की एक जाति) युग का उदय हुआ, फिर भी इन लोगों का नियन्त्रण देशभर में कितना हुआ था, इसका आकलन कर पाना कठिन है। ११वीं शताब्दी के उत्तरार्ध में दक्षिण भारत से आए चालुक्य साम्राज्य का प्रभाव नेपाल के दक्षिणी भूभाग में दिखा। चालुक्यों के प्रभाव में आकर उस समय राजाओं ने बौद्ध धर्म को छोड़कर हिन्दू धर्म का समर्थन किया और नेपाल में धार्मिक परिवर्तन होने लगा।
१३वीं शताब्दी के पूर्वार्ध में संस्कृत शब्द मल्ल का थर वाले वंश का उदय होने लगा। २०० वर्ष में इन राजाओं ने शक्ति एकजुट की। १४वीं शताब्दी के उत्तरार्ध में देश का बहुत ज्यादा भाग एकीकृत राज्य के अधीन में आ गया। लेकिन यह एकीकरण कम समय तक ही टिक सका: १४८२ में यह राज्य तीन भाग में विभाजित हो गया - कान्तिपुर, ललितपुर और भक्तपुर – जिसके बीच मे शताव्दियौं तक मेल नही हो सका।
१७६५ में, गोरखा राजा पृथ्वी नारायण शाह ने नेपाल के छोटे-छोटे बाइसे व चोबिसे राज्य के उपर चढ़ाई करते हुए एकीकृत किया, बहुत ज्यादा रक्तरंजित लड़ाइयों के पश्चात् उन्होंने ३ वर्ष बाद कान्तीपुर, पाटन व भादगाँउ के राजाओं को हराया और अपने राज्य का नाम गोरखा से नेपाल में परिवर्तित किया। तथापि उन्हे कान्तिपुर विजय में कोई युद्ध नही करना पड़ा। वास्तव में, उस समय इन्द्रजात्रा पर्व में कान्तिपुर की सभी जनता फसल के देवता भगवान इन्द्र की पूजा और महोत्सव (जात्रा) मना रहे थे, जब पृथ्वी नारायण शाह ने अपनी सेना लेकर धावा बोला और सिंहासन पर कब्जा कर लिया। इस घटना को आधुनिक नेपाल का जन्म भी कहते है।
तिब्बत से हिमाली (हिमालयी) मार्ग के नियन्त्रण के लिए हुआ विवाद और उसके पश्चात युद्ध में तिब्बत की सहायता के लिए चीन के आने के बाद नेपाल पीछे हट गया। नेपाल की सीमा के नजदीक का छोटे-छोटे राज्यों को हड़पने के कारण से शुरु हुआ विवाद ब्रिटिश ईस्ट इण्डिया कम्पनी के साथ दुश्मनी का कारण बना। इसी वजह से १८१४–१६ रक्तरंजित एंग्लो-नेपाल युद्ध हो गया, जिसमें नेपाल को अपनी दो तिहाई भूभाग से हाथ धोना पड़ा लेकिन अपनी सार्वभौमसत्ता और स्वतन्त्रता को कायम रखा। दक्षिण एशियाई मुल्कों में" यही एक खण्ड है जो कभी भी किसी बाहरी सामन्त (उपनिवेशों) के अधीन में नही आया'। विलायत से लड़ने में पश्चिम में सतलुज से पुर्व में तीस्ता नदी तक फैला हुआ विशाल नेपाल सुगौली सन्धि के बाद पश्चिम में महाकाली और मेची नदियों के बीच सिमट गया लेकिन अपनी स्वाधीनता को बचाए रखने में नेपाल सफल रहा, बाद मे अंग्रेजो ने १८२२ में मेची नदी व राप्ती नदी के बीच की तराई का हिस्सा नेपाल को वापस किया उसी तरह १८६० में राणा प्रधानमंत्री जंगबहादुर से खुश होकर 'भारतीय सैनिक बिद्रोह को कूचलने मे नेपाली सेना का भरपूर सहयोग के बदले अंग्रेजों ने राप्तीनदी से महाकाली नदी के बीच का तराई का थोड़ा और हिस्सा नेपाल को लौटाया। लेकिन सुगौली सन्धी के बाद नेपाल ने जमीन का बहुत बडा हिस्सा गँवा दिया, यह क्षेत्र अभी उत्तराखंड राज्य और हिमाचल प्रदेश और पंजाब पहाड़ी राज्य में सम्मिलित है। पूर्व में दार्जिलिंग और उसके आसपास का नेपाली मूल के लोगों का भूमि (जो अब पश्चिम बंगाल मे है) भी ब्रिटिश इन्डिया के अधीन मे हो गया तथा नेपाल का सिक्किम पर प्रभाव और शक्ति भी नेपाल को त्यागने पड़े।
राज परिवार व भारदारो के बीच गुटबन्दी के कारण युद्ध के बाद स्थायित्व कायम हुआ। सन् १८४६ में शासन कर रही रानी का सेनानायक जंगबहादुर राणा को पदच्युत करने के षड़यंत्र का खुलासा होने से कोतपर्व नाम का नरसंहार हुवा। हथियारधारी सेना व रानी के प्रति वफादार भाइ-भारदारो के बीच मारकाट चलने से देश के सयौँ राजखलाक, भारदारलोग व दूसरे रजवाड़ों की हत्या हुई। जंगबहादुर की जीत के बाद राणा खानदान उन्होंने सुरुकिया व राणा शासन लागु किया। राजा को नाममात्र में सीमित किया व प्रधानमन्त्री पद को शक्तिशाली वंशानुगत किया गया। राणाशासक पूर्णनिष्ठा के साथ ब्रिटिश के पक्ष में रहते थे व ब्रिटिश शासक को १८५७ की सेपोई रेबेल्योन (प्रथम भारतीय स्वतंत्रता संग्राम), व बाद में दोनो विश्व युद्धसहयोग किया था। सन १९२३ में यूनाइटेड किंगडम व नेपाल बीच आधिकारिक रूप में मित्रता के समझौते पर हस्ताक्षर हुए, जिसमें नेपाल की स्वतन्त्रता को यूनाइटेड किंगडम ने स्वीकार किया। दक्षिण एशियाई मुल्कों में पहला, नेपाली राजदूतावास ब्रिटेन की राजधानी लंदन मे खुल गया।
१९४० दशक के उत्तरार्ध में लोकतन्त्र-समर्थित आन्दोलनों का उदय होने लगा व राजनैतिक पार्टियां राणा शासन के विरुद्ध हो गईं। उसी समय चीन ने १९५० में तिब्बत पर कब्जा कर लिया जिसकी वजह से बढ़ती हुई सैनिक गतिविधियों को टालने के लिए भारत नेपाल की स्थायित्व पर चाख बनाने लगा। फलस्वरुप राजा त्रिभुवन को भारत ने समर्थन किया १९५१ में सत्ता लेने में सहयोग किया, नई सरकार का निर्माण हो गया, जिसमें ज्यादा आन्दोलनकारी नेपाली कांग्रेस पार्टी के लोगों की सहभागिता थी। राजा व सरकार के बीच वर्षों की शक्ति खींचातानी के पश्चात्, १९५९ में राजा महेन्द्र ने लोकतान्त्रिक अभ्यास अन्त किया व "निर्दलीय" पंचायत व्यवस्था लागू करके राज किया। सन् १९८९के "जनआन्दोलन" ने राजतन्त्र को सांवैधानिक सुधार करने व बहुदलीय संसद बनाने का वातावरण बन गया सन १९९०मा कृष्णप्रसाद भट्टराई अन्तरिम सरकारके प्रधानमन्त्री बन गए, नये संविधान का निर्माण हुआ राजा बीरेन्द्र ने १९९० में नेपाल के इतिहास में दूसरा प्रजातन्त्रिक बहुदलीय संविधान जारी किया[५] व अन्तरिम सरकार ने संसद के लिए प्रजातान्त्रिक चुनाव करवाए। नेपाली कांग्रेस ने राष्ट्र के दूसरे प्रजातन्त्रिक चुनाव में बहुमत प्राप्त किया व गिरिजा प्रसाद कोइराला प्रधानमन्त्री बने।
इक्कीसवीं सदी के आरम्भ से नेपाल में माओवादियों का आन्दोलन तेज होता गया। मधेशियों के मुद्दे पर भी आन्दोलन हुए। अन्त में सन् 2008 में राजा ज्ञानेन्द्र ने प्रजातांत्रिक चुनाव करवाए जिसमें माओवादियों को बहुमत मिला और प्रचण्ड नेपाल के प्रधानमंत्री बने और नेपाली कांग्रेस नेता रामबरन यादव ने राष्ट्रपति का कार्यभार संभाला।
भूगोल
[सम्पादन | स्रोत सम्पादित करैं]मानचित्र पर नेपाल का आकार एक तिरछे सामानान्तर चतुर्भुज का है। नेपाल की कुल लम्बाई करीब 800 किलोमीटर और चौड़ाई 200 किलोमीटर है। नेपाल का कुल क्षेत्रफल 147181 वर्ग किलोमीटर है। नेपाल भौगोलिक रूप से तीन भागों में विभाजित है– पर्वतीय क्षेत्र, शिवालिक क्षेत्र और तराई क्षेत्र। साथ में 'भित्री मधेस' कहलाने वाले उपत्यकाओं का एक समूह पहाड़ी क्षेत्र के महाभारत पर्वत शृंखला व चुरिया शृंखला के बीच स्थित है। यह क्षेत्र पहाड़ व तराई के बीच में स्थित है। हिमाली पहाड़ी व तराई क्षेत्र पूर्व-पश्चिम दिशा मे देशभर में फैले हुए है और यिनी क्षेत्र को नेपाल की प्रमुख नदियों ने जगह-जगह पर विभाजन किया है।
भारत के साथ जुड़ा हुआ तराई फांट भारतीय-गंगा के मैदान का उत्तरी भाग है। इस भाग की सिंचाई तथा भरण-पोषण मे तीन नदियों का मुख्य योगदान है: कोशी, गण्डकी (भारत मे गण्डक नदी) और कर्णाली नदी। इस भूभाग की जलवायु उष्ण और संतृप्त (आर्द्र) है।
पहाड़ी भूभाग मे १,००० लेकर ४,००० मीटर तक की ऊंचाई के पर्वत पड़ते हैं। इस क्षेत्र में महाभारत लेख व शिवालिक (चुरिया) नाम की दो मुख्य पर्वत शृंखलायें हैं। पहाड़ी क्षेत्र मे ही काठमांडू उपत्यका, पोखरा उपत्यका, सुर्खेत उपत्यका के साथ टार, बेसी, पाटन माडी कहे जाने वाले बहुत से उपत्यका पड़ते है। यह उपत्यका नेपाल की सबसे उर्वर भूमि है तथा काठमांडू उपत्यका नेपाल का सबसे बड़ा शहरी क्षेत्र है। पहाड़ी क्षेत्र की उपत्यका को छोड़ कर २,५०० मीटर (८,२०० फुट) की ऊंचाई पर जनघनत्व बहुत कम है।
हिमाली क्षेत्र में संसार की सबसे ऊंची हिम शृंखलायें पड़ती हैं। इस क्षेत्र की उत्तर में चीन की सीमा के पास में संसार का सर्वोच्च शिखर, ऐवरेस्ट (सगरमाथा) ८,८४८ मीटर (२९,०३५ फुट) अवस्थित है। संसार की 8000 मीटर से ऊँची 14 चोटियों में से 8 नेपाल की हिमालयी क्षेत्र में पड़ती हैं। संसार का तीसरा सर्वोच्च शिखर कंचनजंघा, भी इसी हिमालयी क्षेत्र मे पड़ता है।
जलवायु
[सम्पादन | स्रोत सम्पादित करैं]नेपाल मे पाँच मौसमी क्षेत्र है जो ऊंचाई के साथ कुछ मात्रा में मेल खाते हैं। उष्णकटिबन्धीय तथा उपोष्ण कटिबन्धीय क्षेत्र १,२०० मीटर (३,९४० फि) से नीचे, शीतोष्ण कटिबन्धीय क्षेत्र १,२०० लेकर २,४०० मीटर (३,९००–७,८७५ फि), ठण्डा क्षेत्र २,४०० से लेकर ३,६०० मीटर (७,८७५–११,८०० फि), उप-आर्कटिक क्षेत्र ३,६०० से लेकर ४,४०० मीटर (११,८००–१४,४०० फि), व आर्कटिक क्षेत्र ४,४०० मीटर (१४,४०० फिट) से ऊपर। नेपाल मे पाँच ऋतुएं होती हैं: उष्म, मनसून, अटम, शिषिर व बसन्त। हिमालय मध्य एशिया से बहने वाली ठन्डी हवा को नेपाल के अन्दर जाने से रोकता है तथा मानसून की वायु का उत्तरी परिधि के रूप में पानी काम करताहै। नेपाल व बंगलादेश की सीमा नहि जुडता है फिर भी ये दोनों राष्ट्र २१ किलोमीटर (१३ मील) की एक सँकरी चिकेन्स् नेक (मुर्गे की गर्दन) कहे जाने वाले क्षेत्र से अलग है। इस क्षेत्र को स्वतन्त्र-व्यापार क्षेत्र बनाने का प्रयास हो रहा है।
संसार का सर्वोच्च शिखर सगरमाथा (एवरेस्ट) नेपाल व तिब्बती सीमा पर अवस्थित है। इस हिमालकी नेपाल में पडने वाले दक्षिण-पूर्वी रिज (ridge) प्राविधिक रूपमे चढना सहज माना जाता है। जिसकी वजहसे हरेक वर्ष इस स्थान मे बहुत पर्यटक जाते है। अन्य चढे जाने वाले हिमशिखर मे अन्नपूर्णा (१,२,३,४) अन्नपूर्णा श्रखला मे पडता है।
अर्थव्यवस्था
[सम्पादन | स्रोत सम्पादित करैं]कृषि जनसंख्या के ७६% रोजगार का स्रोत है और कुल ग्राह्यस्थ उत्पादन का ३९% योगदान करता है और सेवा क्षेत्र ३९% साथ में उद्योग २१% आय का स्रोत है है। देश की उत्तरी दो-तिहाई भाग में पहाडी और हिमालयी भूभाग सडकें, पुल तथा अन्य संरचना निर्माण करने में कठिन और मँहगा बनाता है। सन् २००३ तक पिच -सडकों की कुल लम्बाई ८,५०० किमी से कुछ ज्यादा और दक्षिण में रेल्वे-लाइन की कुल लम्बाई ५९ किमी मात्र है। ४८ धावनमार्ग और उनमेसे १७ पिचहोनेसे हवाईमार्गकी स्थिति बहुत अच्छा है। यहाँ जादामे प्रति १२ व्यक्तिके लिए १ टेलिफोन सुविधा उपल्ब्ध है; तारजडित सेवा देशभर में है लेकिन शहरों और जिला मुख्यालयों में ज्यादा केन्द्रित है; सेवामें जनताकी पहुँच बढने और सस्ता होते जानेसे मोबाइल (या तार-रहित) सेवाकी स्थिति देशभर बहुत अच्छा है। सन् २००५ मे १,७५,००० इन्टरनेट जडाने (connections) थे, लेकिन "संकटकाल" लागू होनेकेपश्चात् कुछ समय सेवा अवरूद्ध होगयी था। कुछ अन्योल बाद नेपालकी दुसरी बृहत जनआन्दोलनने राजाकी निरंकुश अधिकार समाप्त करनेके पश्चात सभी इन्टरनेट सेवाए बिना रोकटोक सुचारू होगएहैं।[६]
नेपालकी भूपरिवेष्ठित स्थिति[७], प्राविधिक कमजोरी और लम्बे द्वन्द ने अर्थतन्त्र को पूर्ण रूपमे विकासशील होने नहीं दिया है। नेपाल भारत, जापान, यूनाइटेड किंगडम, अमेरिका, यूरोपीय संघ, चीन, स्विट्जरलैंड और स्कैंडिनेवियन राष्ट्रों से वैदेशिक सहयोग पाता है। वित्तीय वर्ष २००५/०६में सरकार का बजट करीब १.१५३ अरब अमेरिकी डालर था, लेकिन कुल खर्च १.७८९ अरब हुआ था। १९९० दशक की बढती मुद्रा स्फीति दर घटकर २.९% पहुंची है। कुछ वर्षों से नेपाली मुद्रा रूपैयाँ को भारतीय रूपैया के साथ का सटहीदर १.६ मा स्थिर रखा गया है। १९९० दशकमे खुली बनायीगयी मुद्रा बिनिमय दर निर्धारण नीतिके कारण विदेशी मुद्रा की कालाबाजारी लगभग समाप्त हो चुकी है। एक दीर्घकालीन आर्थिक समझौते ने भारत के साथ अच्छे संबन्ध में मदद दी है। जनता बीच का सम्पत्ति वितरण अन्य विकसित और विकासोन्मुख देशों के तुलना में ही है: ऊपरवाले १०% गृहस्थी के साथ कुल राष्ट्रिय सम्पत्ति का ३९.१% पर नियन्त्रण है और निम्नतम १०% के साथ केवल २.६%।
नेपाल की १ करोड़ जितने का कार्यबलमे दक्ष कामदारका कमी है। ८१% कार्यबलको कृषि, १६% सेवा और ३% उत्पादन/कला-आधारित उद्योग रोजगार प्रदान करता है।
प्रशासनिक विभाजन
[सम्पादन | स्रोत सम्पादित करैं]20 सितंबर 2015 के अनुसार नेपाल को भारतीय राज्य प्रणाली की तरह ही सात राज्यों (प्रदेशों) में विभाजित किया गया है। नये संबिधान के अनुसूची 4 के अनुसार मौजूदा जिलों को एक साथ समूहों में गठित कर इन्हें परिभाषित किया गया है और दो ऐसे भी जिलें थे जिन्हें तोड़कर दो अलग-अलग राज्यों में गठित किया गया।
संविधान की धारा 295 (ख) के अनुसार प्रदेशों का नामाकरण सम्वन्धित प्रदेश के संसद (विधान सभा) में दो तिहाई बहुमत से होने का प्रावधान है।
सं | प्रदेश सं | संभावित नाम | संभावित राजधानी | क्षेत्र (किमी2) | जनसंख्या |
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1 | प्रदेश संख्या १ | कोशी प्रदेश | धनकुटा | 25,905 | 4,534,943 |
2 | प्रदेश संख्या २ | मिथिला प्रदेश/मधेस प्रदेश | 9,661 | 5,404,145 | |
3 | प्रदेश संख्या ३ | बागमती प्रदेश | 20,300 | 5,529,452 | |
4 | गण्डकी प्रदेश | गोरखा प्रदेश | 21,504 | 2,413,907 | |
5 | प्रदेश संख्या ५ | थारूहट प्रदेश | 22,288 | 4,891,025 | |
6 | प्रदेश संख्या ६ | कर्णाली प्रदेश | 27,984 | 1,168,515 | |
7 | प्रदेश संख्या ७ | पश्चिम प्रदेश | 19,539 | 2,552,517 |
समाज तथा संस्कृति
[सम्पादन | स्रोत सम्पादित करैं]नेपाल की संस्कृति तिब्बत एवं भारत से मिलती-जुलती है। यहाँ की वेषभूषा, भाषा तथा पकवान इत्यादि एक जैसे ही हैं। नेपाल का सामान्य खाना चने की दाल, भात, तरकारी, अचार है। इस प्रकार का खाना सुबह एवं रात में दिन में दोनो जून खाया जाता है। खाने में चिवड़ा और चाय का भी चलन है। मांस-मछली तथा अंडा भी खाया जाता है। हिमालयी भाग में गेहूँ, मकई, कोदो, आलू आदि का खाना और तराई में गेहूँ की रोटी का प्रचलन है। कोदो के मादक पदार्थ तोंगबा, छ्याङ, रक्सी आदि का सेवन हिमालयी भाग में बहुत होता है। नेवार समुदाय अपने विशेष किस्म के नेवारी परिकारों का सेवन करते हैं।
नेपाली सामाजिक जीवन की मान्यता, विश्वास और संस्कृति हिंदू भावना में आधारित है। धार्मिक सहिष्णुता और जातिगत सहिष्णुता का आपस का अन्योन्याश्रित सम्बन्ध नेपाल की अपनी मौलिक संस्कृति है। यहाँ के पर्वों में वैष्णव, शैव, बौद्ध, शाक्त सब धर्मों का प्रभाव एक-दूसरे पर समान रूप से पड़ा है। किसी भी एक धार्मिक पर्व को धर्मावलम्बी विशेष का कह सकना और अलग कर पाना बहुत कठिन है। सभी धर्मावलंबी आपस में मिलकर उल्लासमय वातावरण में सभी पर्वों में भाग लेते हैं। नेपाल में छुआछूत का भेद न कट्टर रूप में है और न जन्मसंस्कार के आधार पर ही है। शक्तिपीठों में चांडाल और भंगी, चमार, देवपाल और पुजारी के रूप में प्रसिद्ध शक्ति पीठ गुह्येश्वरी देवी, शोभा भागवती के चांडाल तथा भंगी, चमार पुजारियों को प्रस्तुत किया जा सकता है।
नेपाल में विभिन्न धर्म (2011)[८] | ||||
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धर्म | प्रतिशत | |||
हिन्दू | 81.3% | |||
बौद्ध | 9.0% | |||
मुसलामान | 4.4% | |||
किरात मुन्धुम | 3.0% | |||
ईसाई | 1.42% | |||
अन्य | 0.9% | |||
उपासना की पद्धति और उपासना के प्रतीकों में भी समन्वय स्थापित किया गया है। नेपाल में बौद्ध धर्म ने भी मूर्तिपूजा और कर्मकांड अपनाया है। बौद्ध पशुपतिनाथ की पूजा आर्यावलोकितेश्वर के रूप में करते हैं और हिंदू मंजुश्री की पूजा सरस्वती के रूप में करते हैं। नेपाल की यह समन्वयात्मक संस्कृति लिच्छवि काल से अद्यावधि चली आ रही है।
नेपाल अनुग्रहपरायण देश है। वह किसी के मैत्रीपूर्ण अनुग्रह को कभी भूल नहीं सकता। नेपाल का पराक्रम विश्वविख्यात है। नेपाल की सांस्कृतिक परम्परा को कायम रखने के लिए वि॰सं॰ 2017 साल में संयुक्त राज्य अमरीका के काँग्रेस के दोनों सदनों के संयुक्त अधिवेशन को संबोधन करते हुए श्री 5 महेन्द्र ने स्पष्टरूप में कहा था कि 'सैनिक कार्यों में लगने वाले खर्च संसार की गरीबी हटाने में व्यय हों'।
नेपाल एक छोटा स्वतंत्र राष्ट्र है, किंतु जाति के आधार पर नेपाल राज्य की मित्र राष्ट्र भारत के समान विभिन्न जातियों के रहने का एक अजायबघर जैसा है। उत्तरी भाग की ओर भोटिया, तामां, लिंबू, शेरपा, महाभारत शृंखला में मगर, किरात, नेवार, गुरुं, सुनुवार और भीतरी तराई क्षेत्र में घिमाल, थारू, मेचै, दनवार आदि जातियों की बहुलता विशेष रूप से उल्लेखनीय है। ठाकुर, खस, जैसी, क्षत्री जातियों तथा ब्राह्मणों की सख्या नेपाल में यत्र-तत्र काफी है। यहाँ पर प्रवासी भारतीयों की संख्या भी पर्याप्त है।
शिक्षा
[सम्पादन | स्रोत सम्पादित करैं]नेपाल मे आधुनिक शिक्षा की शुरूवात राणा प्रधानमन्त्री जंगबहादुर राणा की विदेश यात्रा के बाद सन् 1854 में स्थापित दरबार हाईस्कूल (हाल रानीपोखरी किनारे अवस्थित भानु मा.बि.) से हुई थी, इससे पहले नेपाल मे कुछ धर्मशास्त्रीय दर्शन पर आधारित शिक्षा मात्र दी जाती थी। आधुनिक शिक्षा की शुरूवात 1854 में होते हुए भी यह आम नेपाली जनताके लिए सर्वसुलभ नहीं था। लेकिन देशके विभिन्न भागों में कुछ विद्यालय दरबार हाईस्कूलकी शुरूवात के बाद खुलना शुरू हुए। लेकिन नेपाल में पहला उच्च शिक्षा केन्द्र काठमान्डू में राहहुवा त्रिचन्द्र कैम्पस है। राणा प्रधानमन्त्री चन्द्र सम्सेर ने अपने साथ राजा त्रिभुवनका नाम जोडके इस कैंपसका नाम रखाथा। इस कैंपसकी स्थापना बाद नेपालमे उच्च शिक्षा अर्जन बहुत सहज होनगया लेकिन सन 1959 तक भी देश मे एकभी विश्वविद्यालय स्थापित नहीं हो सकाथा राजनितिक परिवर्तन के पश्चात् राणा शासन मुक्त देशने अन्ततः 1959 मे त्रिभुवन विश्वविद्यालयकी स्थापना की। उसके बाद महेन्द्र संस्कृत के साथ अन्य विश्वविद्यालय खुलते गए। हाल ही में मात्र सरकार ने ४ थप विश्वविद्यालय भी स्थापित करने की घोषणा की है। नेपाल की शिक्षा का सबसे मुख्य योजनाकार शिक्षामन्त्रालय है उसके अलावा शिक्षा विभाग, पाँच क्षेत्रीय शिक्षा निदेशालय, पचहतर जिल्ला शिक्षा कार्यालय, परीक्षा नियन्त्रण कार्यालय सानोठिमी, उच्चमाध्यामिक शिक्षा परिषद्, पाठ्यक्रम विकास केन्द्र, विभिन्न विश्वविद्यालयों के परीक्षा नियन्त्रण कार्यालय नेपालकी शिक्षाका विकास विस्तार तथा नियन्त्रणके क्षेत्र में कार्यरत हैं।
नेपाल के विश्वविद्यालय
[सम्पादन | स्रोत सम्पादित करैं]- त्रिभुवन विश्वविद्यालय
- नेपाल संस्कृत विश्वविद्यालय ( पूर्व नाम महेन्द्र संस्कृत विश्वविद्यालय )
- काठमाडौं विश्वविद्यालय
- पुर्वान्चल विश्वविद्यालय
- पोखरा विश्वविद्यालय
- लुम्विनी विश्वविद्यालय
- नेपाल कृषि तथा वन विश्वविद्यालय
- मध्यपश्चिमांचल विश्वविद्यालय
- सुदुरपश्चिमांचल विश्वविद्यालय
- खुल्ला विश्वविद्यालय
स्वास्थ्य
[सम्पादन | स्रोत सम्पादित करैं]नेपाल मे बहुत पहिले से आयुर्वेद (प्राकृतिक चिकित्सा) पद्धति उपयोग मे था। बैध और परंपरागत चिकित्सक गाँवघर और शहरो मे स्वास्थ्य सेवा पहुचाते थे। उनलोगो की औषधि के श्रोत नेपाल के हिमाल से तराइ तक मिलनेवाले जडीबुटी ही होते थे। आधुनिक चिकित्सा पद्धती की शुरूवात राणा प्रधानमन्त्री जंगवाहादुर राणा की बेलायत यात्रा के बाद दरवार के अन्दर शुरू हुवा लेकिन नेपाल में आधुनिक चिकित्सा संस्था के रूप में राणा प्रधानमन्त्री वीर सम्सेर के काल मे काठामाण्डौ में सन १८८९ मे स्थापित वीर अस्पताल ही है। तत्पश्चात चन्द्र समसेर के काल मे स्थापित त्रिचन्द्र सैनिक अस्पताल है। हाल में नेपाल के हस्पताल सामन्यतया आयुर्वेद, प्राकृतिक चिकित्सा तथा आधुनिक चिकीत्सा करके सरकारी सेवा विद्यमान हे।
सेना तथा सुरक्षा अंग
[सम्पादन | स्रोत सम्पादित करैं]नेपाल मे नेपाली सेना, नेपाली सैनिक विमान सेवा, नेपाल ससस्त्र प्रहरी बल, नेपाल प्रहरी, नेपाल ससस्त्र वनरक्षक तथा राष्ट्रीय अनुसन्धान विभाग नेपाल लगायत सस्सत्र, तथा गुप्तचर सुरक्षा निकाय रहेहै।दक्षिण एशिया में नेपाल की सेना पांचवीं सबसे बड़ी है और विशेषकर विश्व युद्धों के दौरान, अपने गोरखा इतिहास के लिए उल्लेखनीय रही है। गोरखा सेना को सबसे अधिक बार विक्टोरिया क्रॉस दिया गया है।[कृपया उद्धरण जोड़ैं]
पर्यटन
[सम्पादन | स्रोत सम्पादित करैं]भारत के उत्तर में बसा नेपाल रंगों से भरपूर एक खूबसूरत है। यहां वह सब कुछ है जिसकी तमन्ना एक आम सैलानी को होती है। देवताओं का घर कहे जाने वाले नेपाल विविधाताओं से पूर्ण है। इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि जहां एक ओर यहां बर्फ से ढ़कीं पहाड़ियां हैं, वहीं दूसरी ओर तीर्थस्थान है। रोमांचक खेलों के शौकीन यहां रिवर राफ्टिंग, रॉक क्लाइमिंग, जंगल सफारी और स्कीइंग का भी मजा ले सकते हैं।
लुम्बिनी
[सम्पादन | स्रोत सम्पादित करैं]लुंबिनी महात्मा बुद्ध की जन्म स्थली है। यह उत्तर प्रदेश की उत्तरी सीमा के निकट वर्तमान नेपाल में स्थित है। यूनेस्को तथा विश्व के सभी बौद्ध सम्प्रदाय (महायान, बज्रयान, थेरवाद आदि) के अनुसार यह स्थान नेपाल के कपिलवस्तु में है जहाँ पर युनेस्को का आधिकारिक स्मारक लगायत सभी बुद्ध धर्म के सम्प्रयायौं ने अपने संस्कृति अनुसार के मन्दिर, गुम्बा, बिहार आदि निर्माण किया है। इस स्थान पर सम्राट अशोक द्वारा स्थापित अशोक स्तम्भ पर ब्राह्मी लिपि में प्राकृत भाषा में बुद्ध का जन्म स्थान होने का वर्णन किया हुआ शिलापत्र अवस्थित है।
जनकपुर
[सम्पादन | स्रोत सम्पादित करैं]जनकपुर नेपाल का प्रसिद्ध धार्मिक स्थल है, जहां सीता मां माता का जन्म हुवा था। ये नगर प्राचीन काल में मिथिला की राजधानी माना जाता है। यहाँ पर प्रसिद्ध राजा जनक थे जो सीता माता जी के पिता थे। सीता माता का जन्म मिट्टी के घड़े से हुआ था। यह शहर भगवान मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम की ससुराल के रूप में विख्यात है।
मुक्तिनाथ
[सम्पादन | स्रोत सम्पादित करैं]मुक्तिनाथ वैष्णव संप्रदाय के प्रमुख मंदिरों में से एक है। यह तीर्थस्थान शालिग्राम भगवान के लिए प्रसिद्ध है। भारत में बिहार के वाल्मीकि नगर शहर से कुछ दूरी पर जाने पर गंडक नदी से होते हुए जाने का मार्ग है ा दरअसल एक पवित्र पत्थर होता है जिसको हिंदू धर्म में पूजनीय माना जाता है। यह मुख्य रूप से नेपाल की ओर प्रवाहित होने वाली काली गण्डकी नदी में पाया जाता है। जिस क्षेत्र में मुक्तिनाथ स्थित हैं उसको मुक्तिक्षेत्र' के नाम से जाना जाता हैं। हिंदू धार्मिक मान्यताओं के अनुसार यह वह क्षेत्र है, जहां लोगों को मुक्ति या मोक्ष प्राप्त होता है। मुक्तिनाथ की यात्रा काफी मुश्किल है। फिर भी हिंदू धर्मावलंबी बड़ी संख्या में यहां तीर्थाटन के लिए आते हैं। यात्रा के दौरान हिमालय पर्वत के एक बड़े हिस्से को लांघना होता है। यह हिंदू धर्म के दूरस्थ तीर्थस्थानों में से एक है।
ककनी
[सम्पादन | स्रोत सम्पादित करैं]काठमांडु शहर से 29 किलोमीटर उत्तर-पश्चिम में छुट्टियां बिताने की खूबसूरत जगह ककनी स्थित है। यहां से हिमालय का खूबसूरत नजारा देखते ही बनता है। ककनी से गणोश हिमल, गौरीशंकर 7134 मी., चौबा भामर 6109 मी., मनस्लु 8163 मी., हिमालचुली 7893 मी., अन्नपूर्णा 8091 मी. समेत अनेक पर्वत चोटियों को करीब से देखा जा सकता है।
गोसाईं कुण्ड
[सम्पादन | स्रोत सम्पादित करैं]समुद्र तल से 4360 मी. की ऊंचाई पर स्थित गोसाई कुण्ड झील नेपाल के प्रमुख तीर्थस्थलों में से एक है। काठमांडु से 132 किलोमीटर दूर धुंचे से गोसरई कुंड पहुंचना सबसे सही विकल्प है। उत्तर में पहाड़ और दक्षिण में विशाल झील इसकी सुंदरता में चार चांद लगाते हैं। यहां और भी नौ प्रसिद्ध झीलें हैं। जैसे सरस्वती भरव, सौर्य और गणोश कुंड आदि।
धुलीखेल
[सम्पादन | स्रोत सम्पादित करैं]यह प्राचीन नगर काठमांडु से 30 किलोमीटर पूर्व अर्निको राजमार्ग काठमांडु-कोदारी राजमार्ग के एक ओर बसा है। यहां से पूर्व में कयरेलुंग और पश्चिम में हिमालचुली श्रृंखलाओं के खूबसूरत दृश्यों का आनंद उठाया जा सकता है।
पशुपतिनाथ मंदिर
[सम्पादन | स्रोत सम्पादित करैं]भगवान पशुपतिनाथ का यह खूबसूरत मंदिर काठमांडु से करीब 5 किलोमीटर उत्तर-पूर्व में स्थित है। बIगमती नदी के किनारे इस मंदिर के साथ और भी मंदिर बने हुए हैं। विश्मवप्रसिद्ध महाकाव्य "महाभारत " जो महर्षि वेदव्यासद्वारा ५५०० ईसा पुर्व भारतवर्ष मे हुआ। उसीमे कुंतीपुञ धर्मराज युधिष्टीर , अर्जुन, भिम, नकुल, सहदेव तथा द्रोपदी जब स्वर्गारोहण कर रहे थे तब वे जिस विशाल पर्वत श्रृखंला से गये उसे " महाभारत पर्वत श्रृखंला " तथा जहा पर कैलासनाथ आदियोगी महादेव जी ने ज्योतिर्लिंग के रुप मे प्रकट हुये वो स्थान " श्री पशुपतिनाथ ज्योतिर्लिंग मंदिर " के नाम से जाना जाता है। "पशुपतिनाथ ज्योतिर्लिंग देवस्थान" के बारे में माना जाता है कि यह नेपाल में हिंदुओं का सबसे प्रमुख और पवित्र तीर्थस्थल है। भगवान शिव को समर्पित यह मंदिर प्रतिवर्ष हजारों देशी-विदेशी श्रद्धालुओं को अपनी ओर खींचता है। गोल्फ कोर्स और हवाई अड्डे के पास बने इस मंदिर को भगवान का निवास स्थान माना जाता है।
जनश्रुतिका अनुसार शिवका तीन अंग
[सम्पादन | स्रोत सम्पादित करैं]पशुपति शिव (केदार )के शिर , उत्तराखण्डका केदारनाथ शिव (केदार)का शरीर ,डोटी बोगटानका बड्डीकेदार, शिव (केदार )का पाउ (खुट्टा)के रुपमे शिवका तीन अंग प्रसिद्द ज्योतिर्लिंग धार्मिक तीर्थ है । डोटीके केदार व कार्तिकेय (मोहन्याल)का इतिहास अयोध्याका राजवंश से जुड़ा है । उत्तराखण्ड के सनातनी देवता डोटी ,सुर्खेत ,काठमाडौँ के देबिदेवाताका धार्मिक तीर्थ के लिए प्राचीन कालमे महाभारत पर्वत,चुरे पर्वत क्षेत्र से आवत जावत होता था । यिसी लिए यह क्षेत्र पबित्र धार्मिक इतिहास से सम्बन्धित है ।
रॉयल चितवन राष्ट्रीय उद्यान
[सम्पादन | स्रोत सम्पादित करैं]रॉयल चितवन राष्ट्रीय उद्यान देश की प्राकृतिक संपदा का खजाना है। 932 वर्ग किलोमीटर में फैला यह उद्यान दक्षिण- मध्य नेपाल में स्थित है। 1973 में इसे नेपाल के प्रथम राष्ट्रीय उद्यान का दर्जा हासिल हुआ। इसकी अद्भुत पारिस्थितिकी को देखते हुए यूनेस्को ने 1984 में इसे विश्व धरोहर का दर्जा दिया।
चाँगुनारायण मंदिर
[सम्पादन | स्रोत सम्पादित करैं]इस मंदिर के बारे में कहा जाता है कि यह काठमांडु घाटी का सबसे पुराना विष्णु मंदिर है। मूल रूप से इस मंदिर का निर्माण चौथी शताब्दी के आस-पास हुआ था। वर्तमान पैगोडा शैली में बना यह मंदिर 1702 में पुन: बनाया गया जब आग के कारण यह नष्ट हो गया था। यह मंदिर घाटी के पूर्वी ओर पहाड़ की चोटी पर भक्तपुर से चार किलोमीटर उत्तर में खूबसूरत और शांतिपूर्ण स्थान पर स्थित है। यह मंदिर यूनेस्को विश्व धरोहर सूची का हिस्सा है। 2072 वैशाख 12 का भुकम्प ने इस मन्दिरका कुछ संरचना विगड गया है।
भक्तपुर दरबार स्क्वैयर
[सम्पादन | स्रोत सम्पादित करैं]भक्तपुर के दरबार स्क्वैयर का निर्माण 16वीं और 17वीं शताब्दी में हुआ था। इसके अंदर एक शाही महल दरबार और पारंपरिक नेवाड़, पैगोडा शैली में बने बहुत सारे मंदिर हैं। स्वर्ण द्वार, जो दरबार स्क्वैयर का प्रवेश द्वार है, काफी आकर्षक है। इसे देखकर अंदर की खूबसूरती का सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है। यह जगह भी युनेस्को की विश्व धरोहर का हिस्सा है।
यूनेस्को की आठ सांस्कृतिक विश्व धरोहरों में से एक काठमांडु दरबार प्राचीन मंदिरों, महलों और गलियों का समूह है। यह राजधानी की सामाजिक, धार्मिक और शहरी जिंदगी का मुख्य केंद्र है।
स्वर्ण द्वार
[सम्पादन | स्रोत सम्पादित करैं]खूबसूरती की मिसाल स्वर्ण द्वार नेपाल की शान है। बेशकीमती पत्थरों से सजे इस दरवाजे का धार्मिक और ऐतिहासिक दृष्टि से बहुत महत्व है। शाही अंदाज में बने इस द्वार के ऊपर देवी काली और गरुड़ की प्रतिमाएं लगी हैं। यह माना जाता है कि स्वर्ण द्वार स्वर्ग की दो अप्सराएं हैं। इसका वास्तुशिल्प और सुंदरता पर्यटकों को मंत्रमुग्ध कर देती है। तथा मनमोहक सुंदर दृश्य पर्यटकों के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण जगह है।
बोधनाथ स्तूप
[सम्पादन | स्रोत सम्पादित करैं]काठमांडु घाटी के मध्य में स्थित बोधनाथ स्तूप तिब्बती संस्कृति का केंद्र है। 1959 में चीन के हमले के बाद यहां बड़ी संख्या में तिब्बतियों ने शरण ली और यह स्थान तिब्बती बौद्धधर्म का प्रमुख केंद्र बन गया। बोधनाथ नेपाल का सबसे बड़ा स्तूप है। इसका निर्माण 14वीं शताब्दी के आस-पास हुआ था, जब मुगलों ने आक्रमण किया।
संदर्भ - इस स्तूप को नेपाली में बौद्ध नाम से पुकारा जाता है। इसकी प्रारम्भिक ऐतिहासिक सामग्री इसकी ही नीचे डबा हुवा अनुमानित है। लिच्छवि राजाओं मानदेव द्वारा निर्मित और शिवदेव द्वारा विस्तारित माना जाता है। हालान्की इसकी वर्तमान स्वरूप की निर्माण की तिथि भी अज्ञात ही है। इसकी गर्भ-बेदी की दीवार पर स्थापित छोटे-छोटे प्रस्तर मूर्तियां और ऊपर की छत्रावली संस्कृत बौद्ध-धर्म का प्रतीक माना जाता है। संस्कृत बौद्ध वाङ्मय का तिब्बती भा
राष्ट्रीय चिन्ह
[सम्पादन | स्रोत सम्पादित करैं]- ध्वज : नेपाल का ध्वज
- चिन्ह : नेपाल को निशान छाप
- राष्ट्रीय पक्षी : डाँफे
- राष्ट्रीय पशु : गाय
- राष्ट्रिय गान : "सयौं थुँगा फूलका हामी..."
- वाक्य : "जननी जन्मभूमिश्च स्वर्गादपि गरीयसी "
- पुष्प : लाली गुराँस
- खेल : भलिवल
- भाषा : नेपाली
- पोशाक : दौरा सुरूवाल
- रंग : सिम्रिक
छविदीर्घा
[सम्पादन | स्रोत सम्पादित करैं]-
मुक्तिनाथ और धौलागिरी हिमाल (8,167 मीटर)
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लुंबिनी मे सम्राट अशोक द्वारा निर्मात स्तम्भ
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नेपाल में होली का उत्सव
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परम्परागत पहाड़ी पोशाक
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भक्ति गीत गाते हुए नेपाली संगीतकार
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नेपाल का एक रानी महल
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नेवार का नगरीय भोजन
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नेपाली मो: मो:
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सगरमाथा का विहंगम दृश्य
इन्हें भी देखें
[सम्पादन | स्रोत सम्पादित करैं]- नेपाल का इतिहास
- नेपाल की भाषाएँ
- नेपाल का संविधान
- नेपाल का भूगोल
- नेपाल की अर्थव्यवस्था
- नेपाल की संस्कृति
- सिंह दरबार
सन्दर्भ
[सम्पादन | स्रोत सम्पादित करैं]- ↑ "Gini Index" [गिनी सूचकांक]. वर्ल्ड बैंक. अभिगमन तिथि २ मार्च २०११. नामालूम प्राचल
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की उपेक्षा की गयी (मदद) - ↑ "2014 Human Development Report Summary" (PDF). संयुक्त राष्ट्र Development Programme. २०१४. पपृ॰ २१-२५. अभिगमन तिथि २७ जुलाई २०१४.
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में तिथि प्राचल का मान जाँचें (मदद) - ↑ सन्दर्भ त्रुटि: अमान्य
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टैग;2011census
नामक संदर्भ की जानकारी नहीं है
बाहरी कड़ियाँ
[सम्पादन | स्रोत सम्पादित करैं]- नेपाल- एक परिचय (बीबीसी)
- आवरण कथा - धर्म, खेल, रोमांच सब कुछ (पाञ्चजन्य)
- नेपाल का इतिहास (गूगल पुस्तक; लेखक- काशीप्रसाद श्रीवास्तव)
- नेपाली विदेश मन्त्रालय
- नेपाल पर्यटन Archived 2019-09-10वेबैक मशीन पर .
- वातावरण नेपाल
- http://www.nepalnews.com
- http://www.thekdblog.com
- मोडल और इन्टरटेन्मेन्ट वेब साइट Archived 2017-05-27वेबैक मशीन पर .
- ब्यापारिक वेब साइट
- CIA World Factbook [१] Archived 2007-03-13वेबैक मशीन पर . 2000
- Nepal Population Report 2002 Archived 2006-07-12वेबैक मशीन पर .
- Images and Photos from different parts of Nepal Archived 2018-08-05वेबैक मशीन पर .
- नेपाल सरकार Archived 2019-06-21वेबैक मशीन पर .
- राजसंस्था Archived 2007-08-23वेबैक मशीन पर .
- परराष्ट्र मन्त्रालय
- प्रधानमन्त्रीको कार्यालय Archived 2008-08-31वेबैक मशीन पर .
समाचार
[सम्पादन | स्रोत सम्पादित करैं]विकिमीडिया कॉमन्स पर नेपाल से सम्बन्धित मीडिया है। |
- कान्तिपुर अन्लाईन
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नेपाल, (आधिकारिक रूप मा संघीय लोकतान्त्रिक गणराज्य नेपाल[१]) एकठु दक्खिन एशियाई भूपरिवेष्ठित हिमालयी राष्ट्र होय । नेपाल कय उत्तर मा चीन कय स्वायत्तशासी प्रदेश तिब्बत हय अउर दक्खिन, पूरुव अव पच्छु मैंहा भारत हय। नेपाल कय ८१ प्रतिशत नागरिक हिन्दू धर्मावलम्बी हँय । नेपाल विश्व कय प्रतिशत कय आधार पे सबसे ढेर हिन्दू धर्मावलम्बी राष्ट्र होय। नेपाल कय राजभाषा नेपाली होए अउर नेपाल कय मनईन कय नेपाली कहा जात है। भौगौलिक विभाजन[सम्पादन | स्रोत सम्पादित करैं]जिला[सम्पादन | स्रोत सम्पादित करैं]सन्दर्भ[सम्पादन | स्रोत सम्पादित करैं]
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