आइसक्रीम
आइसक्रीम | |
---|---|
आइसक्रीम की कप | |
उद्भव | |
वैकल्पिक नाम | गेलटो, शर्बत, फ्रोज़न कस्टर्ड |
व्यंजन का ब्यौरा | |
भोजन | मिठाई |
परोसने का तापमान | जमा हुआ |
मुख्य सामग्री | दूध, क्रीम, चीनी |
अन्य प्रकार | स्ट्रौबेरी, चॉक्लेट, वैनिला |
आइसक्रीम एक मीठा जमे हुए भोजन है जिसे आमतौर पर नाश्ते या मिठाई के रूप में खाया जाता है । यह डेयरी दूध या क्रीम से बनाया जा सकता है और एक स्वीटनर, या तो चीनी या एक विकल्प , और एक मसाला , जैसे कोको या वेनिला , या स्ट्रॉबेरी या आड़ू जैसे फलों के साथ स्वाद होता है । इसे फ्लेवर्ड क्रीम बेस और लिक्विड नाइट्रोजन को एक साथ मिलाकर भी बनाया जा सकता है । मिश्रण को पानी के हिमांक से नीचे ठंडा किया जाता है और हवा के रिक्त स्थान को शामिल करने और पता लगाने योग्य बर्फ के क्रिस्टल को बनने से रोकने के लिए उभारा जाता है । परिणाम एक चिकना, अर्ध-ठोस फोम है जो बहुत कम तापमान (2 डिग्री सेल्सियस या 35 डिग्री फारेनहाइट से नीचे) पर ठोस होता है। इसका तापमान बढ़ने पर यह अधिक लचीला हो जाता है।
परिचय एवं निर्माण
[संपादित करें]घर पर आइसक्रीम बनाने के लिए जमानेवाली मशीनों का प्रयोग किया जाता है, जिन्हें फ्रीजर कहते हैं। यह लोहे की कलईदार चादर का, ठक्क्नदार, बेलनाकार डिब्बा होता है जो काठ की बाल्टी में रखा रहता है। मशीन का हैंडिल घुमाने से डिब्बा नाचता है और इसके भीतर लगे लकड़ी के फल उलटी ओर घूमते हैं। डिब्बे में आइसक्रीम जमाने की घरेलू मशीन बीच के फलदार दंड से दूध आदि का मिश्रण मथ उठता है। इसकी अगल बगल लगे काठ छटककर बरतन के भीतरी पृष्ठ पर से जमी आइसक्रीम को खुरच लेते हैं, जिससे दूध के नए अंश को जमने का अवसर मिलता है।
दूध तथा अन्य वस्तुओं का सम्मिश्रित घोल रहता है, बाहर बर्फ और नमक का मिश्रण। वर्फ और नमक का मिश्रण बर्फ से कहीं अधिक ठंडा होता है और उसकी ठंडक से बतरन के भीतर का दूध जमने लगता है। पहले पहल बर्तन की दीवार पर दूध जमता है। उसे भीतर घूमने वाली लकड़ियाँ खुरचकर दूध में मिला देती हैं। इस प्रकार दूध थोड़ा थोड़ा जमता चलता है और शेष दूध में मिलता जाता है। कुछ समय में सारा दूध जम जाता है, परंतु भीतरी लकड़ी के घूमते रहने से वह पूरा ठोस नहीं हो पाता। इस अवस्था के बाद हैंडिल घुमाना बेकार है।
बढ़िया आइसक्रीम के लिए निन्मलिखित अनुपात में वस्तुएँ मिलाई जा सकती हैं: आठ छटाँक क्रीम, चार छटाँक दूध, चार छटाँक संघनित दुग्ध (कंडेस्ड मिल्क) या उसके बदले में उतनी ही रबड़ी (अर्थात उबालकर खूब गाढ़ा किया हुआ दूध), तीन छटाँक चीनी औ इच्छानुसार सुगंध (गुलाबजल या वैनिलाएसेंस या स्ट्रॉबरी एसेंस आदि) तथा मेवा, पिस्ता, बादाम या काजू अथवा फल। यदि पूर्वोक्त चार छटाँक दूध में एक चुटकी अरारोट (पहले अलग थोड़े से दूध में मसलकर) मिला लिया जाए और उस मिश्रण को उबाल लिया जाए तो अधिक अच्छा होगा। स्मरण रहे, संघनित दूध के बदले रबड़ी डालने से स्वाद उतना अच्छा नहीं होता। ठंडा होने पर सब पदार्थो को एक में मिलाकर सुगंध डालनी चाहिए। (क्रीम वह वस्तु है जिससे मक्खन निकलता है; दूध की क्रीम निकलनेवाली मशीन में डालकर मशीन को चालू करने पर मक्खनरहित दूध अलग हो जाता है और क्रीम अलग)। डेयरी से क्रीम खरीदी जा सकती है। क्रीम न मिले तो उबले दूध को कई घंटे स्थिर छोड़कर ऊपर से निकाली गई मलाई और चिकनाई से काम चल सकता है, परंतु स्वाद में अंतर पड़ जाता है।
बाहरी बाल्टी के लिए बर्फ को नुकीले काँटे और हथौड़ों से छोटे-छोटे टुकड़ों में तोड़ डालना चाहिए (या काठ के हथौड़े से चूर करना चाहिए)। टुकड़े आधा इंच या पौन इंच के हों; कोई भी एक इंच से बड़ा न रहे। दो भाग बर्फ में एक भाग पिसा नमक पड़ता है। थोड़ी बर्फ, तब थोड़ा नमक, फिर बर्फ और नमक, इसी प्रकार अंत तक पारी पारी से नमक और बर्फ डालते रहना चाहिए। ध्यान रहे कि दूधवाले बरतन में नमक न घुसने पाए। बर्फ और नमक के गलने से ही ठंडक उत्पन्न होती है।
बड़े पैमाने पर आइसक्रीम बनाने के लिए मशीनों का प्रयोग किया जाता है। इसमें सात आठ इंच व्यास की एक नली होती है, जिसके भीतर खुरचनेवाली लकड़ियाँ लगी रहती हैं। इस नली में एक ओर से दूध आदि का मिश्रण घुसता है, दूसरी ओर से तैयार आइसक्रीम, जिसमें केवल मेवा आदि डालना रहता है, निकलती है; कारण यह है कि बर्फ बनाने की मशीन में नली के ऊपर एक खोल रहता है और खोल तथा नली के बीच के स्थान में अत्यंत ठंढी की गई अमोनिया या अन्य गैस बहती रहती है।
विदेशों में अरारोट के बदले साधारणत: जिलेटिन का उपयोग किया जाता है। इसका उद्देश्य होता है कि दूध के पानी से बर्फ के रवे न बन जाएं और मथने के कारण क्रीम से मक्खन अलग न हो जाए (यदि आइसक्रीम को जमाते समय खूब मथा जाए तो वह पर्याप्त वायुमय न बन पाएगी और इसलिए स्वादिष्ट न होगी)। जमाने के पहले मिश्रण को आधे घंटे तक 155 डिग्री फारेनहाइट ताप तक गरम करके तुरंत खूब ठंडा किया जाता है जिससे रोग के जीवाणु मर जाएँ। इस क्रिया को पैस्टयुराइज़ेशन कहते हैं। मिश्रण को बहुत बारीक छेद की चलनी में डालकर और बहुत अधिक दबाव का प्रयोग करके (लगभग 2,500 पाउंड प्रति वर्ग इंच का) छाना जाता है। इससे दूध में चिकनाई के कण बहुत छोटे (प्राकृतिक नाप के अष्टमांश) हो जाते हैं। इससे आइसक्रीम अधिक चिकनी और स्वादिष्ट बनती है।
जमानेवाली मशीन से निकलने के बाद आइसक्रीम को ठंडी कोठरी में, जो बर्फ से भी अधिक ठंडी होती है, कई घंटे तक रखते हैं। इससे आइसक्रीम कड़ी हो जाती है। फिर ग्राहकों के यहाँ (होटल और फेरीवालों के पास) विशेष मोटरलारियों में उसे भेजते हैं। जब तक वह बिक नहीं जाती, लारियों में वह साधारणत: प्रशीतकों (रेफ्रीजरेटरों) या गरमी न घुसने देने वाली पोटियों में रखी जाती है।
बाहरी कड़ियाँ
[संपादित करें]- आधुनिक आइसक्रीम का जानलेवा रसायन शास्त्र
- आधुनिक आइसक्रीम का रसायन शास्त्र (उदन्ति)
- Selected Internet Resources --Ice Cream / Science Reference Section, Library of Congress
- History of Ice Cream
- Another History of Iced Beverages and Ice Cream
- Ice Cream sculptures
- Ice Cream Reviews
- The Complete Guide To Ice Cream
- Ice cream history and "who really invented the ice cream cone?"
- The Surprisingly Controversial History of Ice Cream
- Cooking with Chemistry, Liquid Nitrogen Ice Cream
- HowStuffWorks's How Ice-Cream Works.
- Popular culture, Laurel & Hardy Sketch
- The words for Ice Cream, the famous novelty song by Johnson, Moll and King, sung by Walter Williams (with Fred Waring's Pennsylvanians), which is the source of the refrain "I scream, you scream, we all scream, for ice cream!". A recording of their performance is available on Jasmine Music, ASIN: B0000659OZ, the title of the compilation is We All Scream for Ice Cream.
- The Structure of Ice Cream
- How to make homemade ice cream in a plastic bag, howcast.com
- How to make homemade ice cream in a plastic bag (printable version), howcast.com