धान्य
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प्रकाशितकोशों से अर्थ
[सम्पादन]शब्दसागर
[सम्पादन]धान्य संज्ञा पुं॰ [सं॰]
१. चार तिल का एक परिमाण या तौल ।
२. धनिया ।
३. कैवर्ती मुस्तक । एक प्रकार का नागरमोथा ।
४. धान । छिलके समेत चावल ।
५. अन्न मात्र । विशेष— अन्न मात्र को धान्य कहते हैं । किसी किसी स्मृति में लिखा है कि खेत में के अन्न को शस्य और छिलके साहित अन्न को दाने को धान्य कहते है । यौ॰— धनधान्य ।
६. प्राचीन काल का एक प्रकार का अस्त्र जिसका प्रयोग शत्रु के अस्त्र निष्फल करने में होता था और जो वाल्मीकि के अनुसार विश्वामित्र से रामचंद्र को मिला था ।