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गरदन

विक्षनरी से

प्रकाशितकोशों से अर्थ

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शब्दसागर

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गरदन संज्ञा स्त्री॰ [फा़॰]

१. धड़ और सिर को जोड़नेवाला अंग । ग्रीवा । मुहा॰—गरदन उठाना = विरोध करना । सिर उठाना । गर्दन उड़ाना = सिर काटना । मार ड़ालना । गरदन ऐंठाना = दे॰ 'गरदन मरोड़ना' । गर्दन ऐंठी रहना = घमंड में रहना या नाराज रहना । गरदन काटना = (१) धड़ से सिर अलग करना । मार ड़ालना । (२) बुराई करना । हानि पहुँचाना । गरदन का ड़ोरा = गले की वे नसें जो सिर के हिलाने या बात करने के समय हिलती हुई दिखाई पड़ती हैं । गरदन का बोझ = कर्तव्य या उत्तरदयित्व संबंधी भार । गरदन हुकना = (१) नम्र, आज्ञाकारी या अधीन होना । (२) लज्जित होना । शरमाना । (३) बेहोश होना । (४) मरना । गरदन झुकाना = (१) नम्रता, आज्ञाकारिता य़ा अधीनता प्रकशित करना । (२) लज्जित होना । झपना । गरदन ढलना या ढलकना = मरना । आसन्न मरण होना । गरदन न उठाना = (१) सब बातों को चुपचाप सुन या सह लेना । (२) लज्जित होना । शरमिंदा होना । (३) बीमारी का कारण पड़े रहना जैसे—जबसे यह लड़का बुखार में पड़ा है, तबसे इसने गरदन नहीं उठाई । गरदन नापना = (१) कहीं से निकाल बाहर करने के लिये किसी की गगदन पकड़ना । गरदनियाँ देना । (२) अपमान करना । बेइज्जती करना । गरदन पकड़कर निकालना = अपमान करना । बेइज्जती करना गरदन पर = ऊपर । जिम्मे जैसे,—इसका पाप तुम्हारी गरदन पर है । गरदन पर खून लेना = अपने ऊपर हत्या लेना । हत्या का अपराधी होना । (अपनी) गरदन पर जुआ रखना+ किसी भारी काम का बोझ लेना । किसी भारी काम में तत्प र होना । (दूसरे की) गरदन पर जुवा रखना = भारी काम सुपुर्द करना । गरदन पर बोझ होना = (१) खलना । बुरा लगना । कष्टकर प्रतीत होना । (२) भार होना । सिर पड़ना । गरदन पर सवार होना =दे॰ 'सिर पर सवार होना' । गरदन फँसना = (१) अधिकार में आना । वश में होना । काबू में होना । (२) जोखों में पड़ना । गरदन मरोड़ना = (१) गला दबाना । मार डालना । (२) पीड़ित करना । कष्ट पहुँचाना । गरदन मारना = सिर काटना । मार डालना । गरदन में हाथ देना या डालना = (१) अपमान करना । बेइज्जती करना । (२) कहीं से निकाल बाहर करने के लिये गरदन पकड़ना । गरदनियाँ देना । गरदन हिलने लगना = बहुत बृद्ध होना ।

२. वह लंबी लकड़ी जो जुलाहों की लपेट के दोनों सिरों पर गाड़ी साली जाती है । साल ।

३. बरतन आदि का ऊपरी पतला भाग । यौ॰—गरदनजनी = मार डालना । कत्ल करना । गरदनबंद = गले में पहनने का एक प्रकार का आभूषण जिसे गुलूबंद कहते हैं ।

गरदन घुमाव संज्ञा पुं॰ [हिं॰ गरदन + घुमाना] कुश्ती का एक पेंच । विशेष—इसमें खोलाड़ी अपने जोड़ का दाहिना या बाँया हाथ पकड़कर अपनी गरदन चढ़ाता और उसे सामने की और पटक देता है ।

गरदन तोड़ संज्ञा पुं॰ [हिं॰ गरदन + तोड़ना] कुश्ती का एक दाँव । विशेष—इसमें जोड़ की गरदन पर दोनों हाथों की उँगलियों को गाँठकर ऐसा झटका देते हैं कि वह झुक जाता है और कुछ अधिक जोर करने पर बेकाम होकर गिर जाता है । यौ॰—गरदनतोड़ बुखार = एक प्रकार का सांघातिक ज्वर ।

गरदन बाँध संज्ञा पुं॰ [हिं॰ गरदन + बाँधना] कुश्ती का एक पेंच । विशेष—इसमें जो़ड़ की गरदन से दोनों हाथ उसकी बगल में से ले जाकर अंदर उसकी छाती पर बाँधते और उसके सिर को बगल में दबाकर पैर से झट से गिरा देते हैं ।