खाँग
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प्रकाशितकोशों से अर्थ
[सम्पादन]शब्दसागर
[सम्पादन]खाँग † ^१ संज्ञा पुं॰ [सं॰ खङ्ग, प्रा॰, खग्ग]
१. काँटा । कंटक । क्रि॰ प्र॰— ग़ड़ना ।—लगना ।
२. काँटा जो तीतर, मुर्ग, आदि पक्षियोँ के पैरों में निकलता है ।
३. गैंड़े के मुँह पर का सींग ।
४. जंगली सूअर का बह दाँत जो मुँह के बाहर काँटे की तरह निकला होता हैं । क्रि॰ प्र॰—चलाना । मारना ।
खाँग ^३ संज्ञा स्त्री॰ [हिं खंगना]
१. त्रुटि । कमी । उ॰—राम कहा कछु आगि न खाँगा । को राखै जो आपन माँगा ।— चित्रा॰, पृ॰, २२७ ।