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कर्ण

विक्षनरी से

एक बारीक कर्ण। बहुत ही छोटा या सूक्ष्म आदि को कर्ण कहते हैं।

प्रकाशितकोशों से अर्थ

शब्दसागर

कर्ण संज्ञा पुं॰ [सं॰]

१. कान । श्रवणोंद्रिय ।

२. कुंती का सब सेट बड़ा पुत्र ।

कर्ण जब परशुराम से अस्त्रशिक्षा प्राप्त कर रहे थे तब एक दिन कर्ण के जंघे पर सिर रखकर परशुराम सो गए । ठीक उसी समय वह कीड़ा आकर कर्ण जाँघ में काटने लगा । कर्ण ने गुरु का निद्रा भंग होने के डर से जाँघ नहीं हटाई । जब जाँघ में से रक्त की धारा निकली तब परशुराम की नींद टूटी और उन्होंने उस कीड़े की ओर ताका । उनके ताकते ही उस कीड़े ने उसे रक्त के बीच अपनी कीट शरीर छोड़ा और अपने पूर्व रूप में आ गया ।