जेफेट
प्रकार | Active |
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पिन विन्यास | ड्रेन, गेट, सोर्स |
विद्युतीय प्रतीक | |
जंक्शन गेट फिल्ड इफेक्ट ट्रांजिस्टर (junction gate field-effect transistor / JFET) तीन सिरों (टर्मिनल) वाली एक अर्धचालक इलेक्ट्रॉनिक युक्ति (डिवाइस) है जो इलेक्ट्रॉनिक प्रवर्धक, इलेक्ट्रॉनिक स्विच आदि के रूप में प्रयुक्त होती है। जेफेट, एक सरल प्रकार का क्षेत्र प्रभाव ट्रांजिस्टर है।[1] जेफेट, एक वोल्टेज से नियन्त्रित युक्ति है (जबकि बीजेटी धारा-नियन्त्रित युक्ति है)। इसका अर्थ यह है कि जेफेट की ड्रेन-सोर्स धारा को गेट और सोर्स के बीच उपयुक्त वोल्टेज लगाकर नियंत्रित किया जाता है। यह युक्ति गेट में बहुत कम धारा लेती है (माइक्रो अम्पीयर से लेकर पिको अम्पीयर तक)। इसी बात को यों कह सकते हैं कि जेफेट का इनपुट इम्पीडेन्स (गेट और सोर्स के बीच इम्पीडेन्स) बहुत अधिक होता है (कभी-कभी तो 1010 ओम या उससे भी अधिक)।
इतिहास
[संपादित करें]जेफॅट जैसी कई युक्तियों का निर्माण १९२० और १९३० के दशक में जे ई लेलिएनफेल्ड ने किया था और इसका पेटेन्ट किया था। १९४५ में हेनरिख वेल्कर ने जेफेट का पेटेन्ट कराया। [2]
संरचना
[संपादित करें]जेफेट में अर्धचालक पदार्थ की एक लम्बी नाली (चैनेल) होती है जो n-टाइप या p-टाइप के आवेश-वाहकों (चार्ज-कैरियर्स) से डोप की गयी होती है। अर्थत यदि यह चैनेल n-टाइप की है तो इसमें धारा प्रवाहित करने के लिए इलेक्ट्रॉनों की अधिकता है। यदि यह पी-टाइप की होगी तो उसमें धारा का प्रवाह होल्स (holes) के द्वारा किया जाएगा। इस चैनेल के एक सिरे को ड्रेन (Drain) और दूसरे सिरे को सोर्स (source) कहते हैं। इस चैनेल के एक तरफ या दोनों तरफ या चारों तरफ एक पी-एन जंक्शन बना दिया जाता है। इस सिरे को गेट (gate) कहते हैं। इस युक्ति में गेट का वोल्टेज ही ड्रेन से सोर्स तक बहने वाली धारा का नियन्त्रण करती है। इसे समझने के लिए जेफेट के लक्षण-वक्र (कैरेक्टिस्टिक्स) को देखें और समझें।
कार्यविधि तथा लक्षण
[संपादित करें]प्रतीक चिह्न
[संपादित करें]गणितीय मॉडल
[संपादित करें]रैखिक क्षेत्र में
[संपादित करें]रैखिक क्षेत्र (लिनियर रीजन) में ड्रेन धारा को निम्नलिखित समीकरण द्वारा व्यक्त किया जा सकता है-
इसे दूसरे तरह से भी लिखा जा सकता है-
नियत धारा क्षेत्र
[संपादित करें]जेफेट के लक्षण वक्र को देखें। इसमें जो क्षेत्र saturation region लिखा है, उस क्षेत्र में ड्रेन धारा, ड्रेन-सोर्स वोल्टेज बढ़ाने पर भी बहुत कम (लगभग नहीं) बढ़ती है। इसलिए कहते हैं कि ड्रेन-सोर्स चैनेल 'सैचुरेट' (स्ंतृप्त) हो गयी है। इस क्षेत्र में,
जहाँ
- IDSS वह ड्रेन धारा है जो गेट-सोर्स वोल्टेज के शून्य होने पर बहती है।
इसी चीज को दूसरे तरह से देखें तो हम पाते हैं कि सैचुरेशन रीजन में ड्रेन धारा, गेट-सोर्स वोल्टेज के बदलने पर बहुत अधिक बदलती है (जबकि तथाकथित 'लिनियर रीजन' में गेट-सोर्स वोल्टेज उतना ही बदलने पर ड्रेन धारा अपेक्षाकृत कम बदलती है।)
इन्हें भी देखें
[संपादित करें]- नियत-धारा डायोड (Constant-current diode)
- मॉसफेट (MOSFET)
- ट्रांजिस्टर
सन्दर्भ
[संपादित करें]- ↑ Hall, John. "Discrete JFET" (PDF). linearsystems.com. मूल (PDF) से 1 जुलाई 2018 को पुरालेखित.
- ↑ Grundmann, Marius (2010). The Physics of Semiconductors. Springer-Verlag. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 978-3-642-13884-3.