कानपुर
कानपुर | |
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कानपुर के दृश्य | |
निर्देशांक: 26°25′N 80°25′E / 26.41°N 80.41°Eनिर्देशांक: 26°25′N 80°25′E / 26.41°N 80.41°E | |
देश | भारत |
राज्य | उत्तर प्रदेश |
ज़िला | कानपुर नगर ज़िला |
नाम स्रोत | राजा कान्ह देव |
ऊँचाई | 126 मी (413 फीट) |
जनसंख्या (2011) | |
• कुल | 45,81,268 |
भाषाएँ | |
• प्रचलित | हिन्दी |
समय मण्डल | भारतीय मानक समय (यूटीसी+5:30) |
पिनकोड | 2080XX |
दूरभाष कोड | 0512 |
कानपुर (संस्कृत: कर्णपुरम ) भारत के उत्तर प्रदेश राज्य के कानपुर नगर ज़िले में स्थित एक औद्योगिक महानगर है। यह नगर गंगा नदी के दक्षिण तट पर बसा हुआ है। प्रदेश की राजधानी लखनऊ से 80 किलोमीटर पश्चिम स्थित यहाँ नगर प्रदेश की औद्योगिक राजधानी के नाम से भी जाना जाता है। ऐतिहासिक और पौराणिक मान्यताओं के लिए चर्चित ब्रह्मावर्त (बिठूर) के उत्तर मध्य में स्थित ध्रुवटीला त्याग और तपस्या का सन्देश देता है।[1][2]
इतिहास
[संपादित करें]माना जाता है कि इस शहर का नाम ही सोमवंशी राजपूतों के राजा कान्हा सोम से आता है, जिनके वंशज कानहवांशी कहलाए। कानपुर का मूल नाम 'कान्हपुर' था। नगर की उत्पत्ति का सचेंदी के राजा हिंदूसिंह से, अथवा महाभारत काल के वीर कर्ण से संबद्ध होना चाहे संदेहात्मक हो पर इतना प्रमाणित है कि अवध के नवाबों में शासनकाल के अंतिम चरण में यह नगर पुराना कानपुर, पटकापुर, कुरसवाँ, जुही तथा सीसामऊ गाँवों के मिलने से बना था। पड़ोस के प्रदेश के साथ इस नगर का शासन भी कन्नौज तथा कालपी के शासकों के हाथों में रहा और बाद में मुसलमान शासकों के। 1773 से 1801 तक अवध के नवाब अलमास अली का यहाँ सुयोग्य शासन रहा।
1773 की संधि के बाद यह नगर अंग्रेजों के शासन में आया, फलस्वरूप 1778 ई. में यहाँ अंग्रेज छावनी बनी। गंगा के तट पर स्थित होने के कारण यहाँ यातायात तथा उद्योगों की सुविधा थी। अतएव अंग्रेजों ने यहाँ उद्योगों को जन्म दिया तथा नगर के विकास का प्रारम्भ हुआ। सबसे पहले ईस्ट इंडिया कंपनी ने यहाँ नील का व्यवसाय प्रारम्भ किया। 1832 में ग्रैंड ट्रंक सड़क के बन जाने पर यह नगर इलाहाबाद से जुड़ गया। 1864 ई. में लखनऊ, कालपी आदि मुख्य स्थानों से मार्गों द्वारा जोड़ दिया गया। ऊपरी गंगा नहर का निर्माण भी हो गया। यातायात के इस विकास से नगर का व्यापार पुन: तेजी से बढ़ा।
विद्रोह के पहले नगर तीन ओर से छावनी से घिरा हुआ था। नगर में जनसंख्या के विकास के लिए केवल दक्षिण की निम्नस्थली ही अवशिष्ट थी। फलस्वरूप नगर का पुराना भाग अपनी सँकरी गलियों, घनी आबादी और अव्यवस्थित रूप के कारण एक समस्या बना हुआ है। 1857 के विद्रोह के बाद छावनी की सीमा नहर तथा जाजमऊ के बीच में सीमित कर दी गई; फलस्वरूप छावनी की सारी उत्तरी-पश्चिमी भूमि नागरिकों तथा शासकीय कार्य के निमित्त छोड़ दी गई। 1857 के स्वतन्त्रता संग्राम में मेरठ के साथ-साथ कानुपर भी अग्रणी रहा। नाना साहब की अध्यक्षता में भारतीय वीरों ने अनेक अंग्रेजों को मौत के घाट उतार दिया। इन्होंने नगर के अंग्रेजों का सामना जमकर किया किन्तु संगठन की कमी और अच्छे नेताओं के अभाव में ये पूर्णतया दबा दिए गए।
शान्ति हो जाने के बाद विद्रोहियों को काम देकर व्यस्त रखने के लिए तथा नगर का व्यावसायिक दृष्टि से उपयुक्त स्थिति का लाभ उठाने के लिए नगर में उद्योग धंधों का विकास तीव्र गति से प्रारंभ हुआ। 1859 ई. में नगर में रेलवे लाइन का सम्बन्ध स्थापित हुआ। इसके पश्चात् छावनी की आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए सरकारी चमड़े का कारखाना खुला। 1861 ई. में सूती वस्त्र बनाने की पहली मिल खुली। क्रमश: रेलवे संबंध के प्रसार के साथ नए-नए कई कारखाने खुलते गए। द्वितीय विश्वयुद्ध के पश्चात् नगर का विकास बहुत तेजी से हुआ। यहाँ मुख्य रूप से बड़े उद्योग-धन्धों में सूती वस्त्र उद्योग प्रधान था। चमड़े के कारबार का यह उत्तर भारत का सबसे प्रधान केन्द्र है। ऊनी वस्त्र उद्योग तथा जूट की दो मिलों ने नगर की प्रसिद्धि को अधिक बढ़ाया है। इन बड़े उद्योगों के अतिरिक्त कानपुर में छोटे-छोटे बहुत से कारखानें हैं। प्लास्टिक का उद्योग, इंजीनियरिंग तथा इस्पात के कारखाने, बिस्कुट आदि बनाने के कारखाने पूरे शहर में फैले हुए हैं। 16 सूती और दो ऊनी वस्त्रों में मिलों के सिवाय यहाँ आधुनिक युग के लगभग सभी प्रकार के छोटे बड़े कारखाने थे।
कानपुर छावनी
[संपादित करें]कानपुर छावनी कानपुर नगर में ही है। सन् 1778 ई. में अंग्रेज़ी छावनी बिलग्राम के पास फैजपुर 'कम्पू' नामक स्थान से हटकर कानपुर आ गई। छावनी के इस परिवर्तन का मुख्य कारण कानपुर की व्यावसायिक उन्नति थी। व्यवसाय की प्रगति के साथ इस बात की विशेष आवश्यकता प्रतीत होने लगी कि यूरोपीय व्यापारियों तथा उनकी दूकानों और गोदामों की रक्षा के लिए यहाँ फौज रखी जाए। अंग्रेज़ी फौज पहले जुही, फिर वर्तमान छावनी में आ बसी। कानपुर की छावनी में पुराने कानपुर की सीमा से जाजमऊ की सीमा के बीच का प्राय: सारा भाग सम्मिलित था। कानपुर के सन् 1840 ई. के मानचित्र से विदित होता है कि उत्तर की ओर पुराने कानपुर की पूर्वी सीमा से जाजमऊ तक गंगा के किनारे-किनारे छावनी की सीमा चली गई थी। पश्चिम में इस छावनी की सीमा उत्तर से दक्षिण की ओर भैरोघोट के सीसामऊ तक चली गई थी। यहाँ से यह वर्तमान मालरोड (महात्मा गांधी मार्ग) के किनारे-किनारे पटकापुर तक चली गई थी। फिर दक्षिण-पश्चिम की ओर मुड़कर क्लेक्टरगंज तक पहुँचती थी। वहाँ से यह सीमा नगर के दक्षिण-पश्चिमी भाग को घेरती हुई दलेलपुरवा पहुँचती थी और यहाँ से दक्षिण की ओर मुड़कर ग्रैंड ट्रंक रोड के समान्तर जाकर जाजमऊ से आनेवाली पूर्वी सीमा में जाकर मिल जाती थीं। छावनी के भीतर एक विशाल शस्त्रागार तथा यूरोपियन अस्पताल था। परमट के दक्षिण में अंग्रेज़ी पैदल सेना की बैरक तथा परेड का मैदान था। इनके तथा शहर के बीच में कालीपलटन की बैरकें थीं जो पश्चिम में सूबेदार के तालाब से लेकर पूर्व में क्राइस्ट चर्च तक फैली हुई थीं। छावनी के पूर्वी भाग में बड़ा तोपखाना था तथा एक अंग्रेज़ी रिसाला रहता था। 1857 के विद्रोह के बाद छावनी की प्राय: सभी इमारतें नष्ट कर दी गईं। विद्रोह के बाद सीमा में पुन: परिवर्तन हुआ। छावनी का अधिकांश भाग नागरिकों को दे दिया गया।
इस समय छावनी की सीमा उत्तर में गंगा नदी, दक्षिण में ग्रैंड ट्रंक रोड तथा पूर्व में जाजमऊ है। पश्चिम में लखनऊ जानेवाली रेलवे लाइन के किनारे-किनारे माल रोड पर पड़नेवाले नहर के पुल से होती हुई फूलबाग के उत्तर से गंगा के किनारे हार्नेस फैक्टरी तक चली गई है। छावनी के मुहल्लों-सदरबाजार, गोराबाजार, लालकुर्ती, कछियाना, शुतुरखाना, दानाखोरी आदि-के नाम हमें पुरानी छावनी के दैनिक जीवन से संबंध रखनेवाले विभिन्न बाजारों की याद दिलाते हैं।
आजकल छावनी की वह रौनक नहीं है जो पहले थी। उद्देश्य पूर्ण हो जाने के कारण अंग्रेज़ों के काल में ही सेना का कैंप तोड़ दिया गया, पर अब भी यहाँ कुछ सेनाएँ रहती हैं। बैरकों में प्राय: सन्नाटा छाया हुआ है। छावनी की कितनी ही बैरकें या तो खाली पड़ी हुई हैं या अन्य राज्य कर्मचारी उनमें किराए पर रहते हैं। मेमोरियल चर्च, कानपुर क्लब और लाट साहब की कोठी (सरकिट हाउस) के कारण यहाँ की रौनक कुछ बनी हुई है। छावनी का प्रबंध कैंटूनमेंट बोर्ड के सुपुर्द है जिसके कुछ चुने हुए सदस्य होते हैं।
दन्तकथा
[संपादित करें]मान्यता है इसी स्थान पर ध्रुव ने जन्म लेकर परमात्मा की प्राप्ति के लिए बाल्यकाल में कठोर तप किया और ध्रुवतारा बनकर अमरत्व की प्राप्ति की। रखरखाव के अभाव में टीले का काफी हिस्सा गंगा में समाहित हो चुका है लेकिन टीले पर बने दत्त मन्दिर में रखी तपस्या में लीन ध्रुव की प्रतिमा अस्तित्व खो चुके प्राचीन मंदिर की याद दिलाती रहती है। बताते हैं गंगा तट पर स्थित ध्रुवटीला किसी समय लगभग 19 बीघा क्षेत्रफल में फैलाव लिये था। इसी टीले से टकरा कर गंगा का प्रवाह थोड़ा रुख बदलता है। पानी लगातार टकराने से टीले का लगभग 12 बीघा हिस्सा कट कर गंगा में समाहित हो गया। टीले के बीच में बना ध्रुव मंदिर भी कटान के साथ गंगा की भेंट चढ़ गया। बुजुर्ग बताते हैं मन्दिर की प्रतिमा को टीले के किनारे बने दत्त मन्दिर में स्थापित कर दिया गया। पेशवा काल में इसकी देखरेख की जिम्मेदारी राजाराम पन्त मोघे को सौंपी गई। तब से यही परिवार दत्त मंदिर में पूजा अर्चना का काम कर रहा है। मान्यता है ध्रुव के दर्शन पूजन करने से त्याग की भावना बलवती होती है और जीवन में लाख कठिनाइयों के बावजूद काम को अंजाम देने की प्रेरणा प्राप्त होती है।
कानपुर के दर्शनीय स्थल
[संपादित करें]
शोभन मंदिर(जो कि एक सिध्द धाम है),
नानाराव पार्क (bithoor),ब्लू वर्ल्ड ,चिड़ियाघर, राधा-कृष्ण मन्दिर, सनाधर्म मन्दिर, काँच का मन्दिर, श्री हनुमान मन्दिर पनकी, सिद्धनाथ मन्दिर, जाजमऊ आनन्देश्वर मन्दिर परमट, जागेश्वर मन्दिर चिड़ियाघर के पास, सिद्धेश्वर मन्दिर चौबेपुर के पास, बिठूर साँई मन्दिर, गंगा बैराज, छत्रपति साहूजी महाराज विश्वविद्यालय (पूर्व में कानपुर विश्वविद्यालय), भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, हरकोर्ट बटलर प्रौद्योगिकी संस्थान (एच.बी.टी.आई.), चन्द्रशेखर आजाद कृषि एवँ प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, ब्रह्मदेव मंदिर, रामलला मंदिर (रावतपुर गांव ) बाबा श्री महाकालेश्वर धाम बर्रा 5 इत्यादि
जाजमऊ
[संपादित करें]जाजमऊ को प्राचीन काल में सिद्धपुरी नाम से जाना जाता था। यह स्थान पौराणिक काल के राजा ययाति के अधीन था। वर्तमान में यहां सिद्धनाथ और सिद्ध देवी का मंदिर है। साथ ही जाजमऊ लोकप्रिय सूफी संत मखदूम शाह अलाउल हक के मकबरे के लिए भी प्रसिद्ध है। इस मकबरे को 1358 ई. में फिरोज शाह तुगलक ने बनवाया था। 1679 में कुलीच खान की द्वारा बनवाई गई मस्जिद भी यहां का मुख्य आकर्षण है। 1957 से 58 के बीच यहां खुदाई की गई थी जिसमें अनेक प्राचीन वस्तुएं प्राप्त हुई थी।
श्री राधाकृष्ण मंदिर
[संपादित करें]यह मंदिर जे. के. मंदिर के नाम से भी जाना जाता है। बेहद खूबसूरती से बना यह मंदिर 70 साल पुराना है जिसे 1953 में जे. के. ट्रस्ट द्वारा बनवाया गया था। प्राचीन और आधुनिक शैली से निर्मित यह मंदिर कानपुर आने वाले देशी-विदेशी पर्यटकों के आकर्षण का केन्द्र रहता है। यह मंदिर मूल रूप से श्रीराधाकृष्ण को समर्पित है। इसके अलावा श्री लक्ष्मीनारायण, श्री अर्धनारीश्वर, नर्मदेश्वर और श्री हनुमान को भी यह मंदिर समर्पित है। मंदिर परिसर में लगे फूल पौधे अकर्षित करते हैं।
पता : जुग्गी लाल कमलापति मंदिर कानपुर के सर्वोदय नगर पर पड़ता है। मंदिर गोविंदनगर की तरफ जाने वाली रोड़ के किनारे पर बना हुआ है। जेके मंदिर के पास ही आरटीओ कार्यालय है और ठीक आगे 5 मिनट की पैदल दूरी पर रावतपुर क्रासिंग के पास रेव मोती मॉल स्थित है जहां आप शॉपिंग, मनोरंजन और भोजन का आनंद उठा सकते हैं।
मंदिर खुलने का समय : यह मंदिर सुबह 5 बजे से 12 बजे तक खुला रहता है और शाम 4 बजे से रात 10 बजे तक खुला रहता है। जेके मंदिर वीक में सभी दिन खुला रहता है। JK मंदिर में शाम 7 बजे प्रतिदिन भगवान की आरती की जाती है।
जैन ग्लास मंदिर
[संपादित करें]वर्तमान में यह मंदिर पर्यटकों के आकर्षण का केन्द्र बन गया है। यह खूबसूरत नक्कासीदार मंदिर कमला टॉवर के विपरीत महेश्वरी मोहाल में स्थित है। मंदिर में ताम्रचीनी और कांच की सुंदर सजावट की गई है।
कमला रिट्रीट
[संपादित करें]कमला रिट्रीट एग्रीकल्चर कॉलेज के पश्चिम में स्थित है। इस खूबसूरत संपदा पर सिंहानिया परिवार का अधिकार है। यहां एक स्वीमिंग पूल बना हुआ है, जहां कृत्रिम लहरें उत्पन्न की जाती है। यहां एक पार्क और नहर है। जहां चिड़ियाघर के समानांतर बोटिंग की सुविधा है। कमला रिट्रीट में एक संग्रहालय भी बना हुआ है जिसमें बहुत सी ऐतिहासिक और पुरातात्विक वस्तुओं का संग्रह देखा जा सकता है। यहां जाने के लिए डिप्टी जनरल मैनेजर की अनुमति लेना अनिवार्य है।
फूल बाग
[संपादित करें]फूल बाग को गणेश उद्यान के नाम से भी जाना जाता है। इस उद्यान के मध्य में गणेश शंकर विद्यार्थी का एक मैमोरियल बना हुआ है। प्रथम विश्वयुद्ध के बाद यहां ऑथरेपेडिक रिहेबिलिटेशन हॉस्पिटल बनाया गया था। यह पार्क शहर के बीचों बीच मॉल रोड पर बना है।
एलेन फोरस्ट ज़ू
[संपादित करें]1971 में खुला यह चिड़ियाघर देश के सर्वोत्तम चिड़ियाघरों में एक है। क्षेत्रफल की दृष्टि से यह देश का तीसरा सबसे बड़ा चिड़ियाघर है और यहाँ 1250 जानवर हैं। कुछ समय पिकनिक के तौर पर बिताने और जीव-जंतुओं को देखने के लिए यह चिड़ियाघर एक बेहतरीन जगह है। इस चिड़ियाघर में मिनी ट्रेन और विधुत रिक्शा भी चलता है।[3]
कानपुर मैमोरियल चर्च
[संपादित करें]1875 में बना यह चर्च लोम्बार्डिक गोथिक शैली में बना हुआ है। यह चर्च उन अंग्रेज़ों को समर्पित है जिनकी 1857 के विद्रोह में मृत्यु हो गई थी। ईस्ट बंगाल रेलवे के वास्तुकार वाल्टर ग्रेनविले ने इस चर्च का डिजाइन तैयार किया था।
नाना राव पार्क
[संपादित करें]नाना राव पार्क फूल बाग से पश्चिम में स्थित है। 1857 में इस पार्क में बीबीघर था। आज़ादी के बाद पार्क का नाम बदलकर नाना राव पार्क रख दिया गया।
जेड स्क्वायर मॉल
[संपादित करें]कानपुर के बड़ा चौराहे पर स्थित जेड स्क्वायर मॉल को एशिया के सबसे बड़े मॉल्स में गिना जाता है। वर्तमान में मॉल शहर का सबसे बड़ा आकर्षण का केंद्र है। मॉल में कई सारी खाने पीने और खरीदारी करने के लिए कई ब्रांडेड शोरूम हैं ।जहां खानें पीने के साथ शॉपिंग का आनंद उठा सकते हैं। मनोरंजन करने के लिए आधुनिक सिनेमा हॉल भी बनाएं गए हैं। साप्ताहिक अवकाश में कीमती समय व्यतीत करने के लिए आदर्श जगह है।
श्री श्री राधा माधव मंदिर (इस्कॉन मंदिर)
[संपादित करें]श्री श्री राधा माधव मंदिर जिसे "इस्कॉन मंदिर" के नाम से जाना जाता है, मैनावती मार्ग, बिठूर रोड पर स्थित एक भव्य मंदिर है।
बिठूर
[संपादित करें]कानपुर के पास गंगा नदी के किनारे स्थित बिठूर के घाट का पौराणिक महत्व है। किनारे पर बने ब्रम्ह वर्त और पत्थर घाट बहुत फेमस घाट है। अमावस्या और पूर्णिमा को लोग स्नान कर डुबकी लगाते हैं और सूर्य भगवान को जल अर्पित करते हैं।
आवागमन
[संपादित करें]कानपुर एयरर्पोट दिल्ली, मुंबई, कोलकाता, अहमदाबाद, बागडोगरा एवं बेंगलूर से सीधे जुड़ा हुआ है। एयरपोर्ट डायरेक्टर द्वारा बताया गया है कि शीघ्र ही कानपुर एयरपोर्ट से देश के अन्य 18 बड़े शहरों अमृतसर जम्मू जयपुर पटना गुवाहाटी भुवनेश्वर इंदौर हैदराबाद कोचीन मद्रास रायपुर चंडीगढ़ देहरादून पंतनगर रांची गोवा श्रीनगर एवं त्रिचनापल्ली लिए शीघ्र विमान सेवा उपलब्ध होगी साथ ही अहिरवां में डेढ़ सौ एकड़ जमीन में नवीन अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट का निर्माण होना है। एवं खाड़ी देशों , संयुक्त अरब अमीरात कुवैत बहरीन अदीस अबाबा सऊदी अरब के लिए भी सीधी विमान सेवा उपलब्ध हो सकेगी। इसके अलावा कानपुर में आईआईटी एयरपोर्ट, सिविल एयरपोर्ट्ट जीटी रोड कैंट एवं कानपुर देहात एयरपोर्ट शिवली में स्थित है।
- रेल मार्ग
कानपुर सेंट्रल रेलवे स्टेशन देश के सबसे आधुनिक महत्वपूर्ण और व्यस्ततम रेलवे स्टेशनों में से है देश के सभी हिस्सों से अनेक रेलगाड़ियों के माध्यम से जुड़ा हुआ है। दिल्ली, वाराणसी, लखनऊ, हावड़ा,गोरखपुर , झाँसी, कन्नौज , मथुरा, आगरा, बांदा, मुंबई, चेन्नई, जबलपुर,भोपाल,मानिकपुर,फतेहपुर आदि शहरों से यहाँ के लिए नियमित रेलगाड़ियाँ हैं। शताब्दी, राजधानी, नीलांचल, मगध विक्रमशिला, वैशाली, गोमती, संगम, पुष्पक आदि ट्रेनें कानपुर होकर जाती हैं। और श्रमशक्ति एक्सप्रेस ट्रेन कानपुर से नई दिल्ली जाती है वंदे भारत हमसफर तेजस जैसी ट्रेन भी कानपुर सेंट्रल से होकर गुजरती हैं इसके अलावा कानपुर में ,अनवरगंज रेलवे स्टेशन;पनकी धाम रेलवे स्टेशन रावतपुर रेलवे स्टेशन ;कल्याणपुर रेलवे स्टेशन , बिठूर रेलवे स्टेशन बिल्हौर रेलवे स्टेशन शिवराजपुर रेलवे स्टेशन, चौबेपुर रेलवे स्टेशन इत्यादि उपनगरीय ;रेलवे स्टेशनों से भी कानपुर जुड़ा हुआ है
- सड़क मार्ग
देश के प्रमुख शहरों से कानपुर सड़क मार्ग से जुड़ा हुआ है। राष्ट्रीय राजमार्ग 2 इसे दिल्ली, इलाहाबाद, आगरा और कोलकाता से जोड़ता है, जबकि राष्ट्रीय राजमार्ग 25 कानपुर को लखनऊ, झांसी और शिवपुरी राष्टीय राजमार्ग 91 गाजियाबाद आदि शहरों से जोड़ता है।
शिक्षण संस्थान
[संपादित करें]- भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, कल्याणपुर, कानपुर
- The Institute of Chartered Accountants of India, Kanpur
- चन्द्र शेखर आजाद कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय, नवाबगंज
- राष्ट्रीय शर्करा संस्था
- राजकीय केन्द्रीय वस्त्र संस्थान, 11/208 सूटर गंज, कानपुर
- राष्ट्रीय दलहन अनुसंधान जीटी रोड कानपुर
- भारतीय वन एवं पौध प्रशिक्षण संस्थान कानपुर
- अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद उत्तरी क्षेत्र कानपुर
- प्रशिक्षण एवं शिक्षुता कार्यालय लखनपुर कानपुर
- शोध विकास एवं प्रशिक्षण संस्थान विकास नगर कानपुर
- गणेश शंकर विद्यार्थी राजकीय मेडीकल कालेज
- जे०के० ह्रदय संस्थान रावतपुर कानपुर
- जवाहरलाल नेहरू होम्योपैथिक कालेज लखनपुर कानपुर
- छत्रपति साहू जी महाराज युनिवर्सिटी कानपुर
- हरकोर्ट बटलर प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय कानपुर
- उत्तर प्रदेश टेक्सटाइल तकनीकी संस्थान शूटर गंज कानपुर
- डा० बी०आर०अम्बेडकर दिव्यांग तकनीकी संस्थान कानपुर
- विक्रमजीत सिंह सनातन धर्म महाविद्यालय नवाबगंज , कानपुर
- क्राइस्टचर्च महाविद्यालय बड़ा चौराहा कानपुर
- बी०एन०डी० महाविद्यालय फूलबाग कानपुर
- पी०पी०एन०महाविद्यालय परेड कानपुर
- हरसहाय महाविद्यालय पी०रोड कानपुर
- डी०बी०एस०महाविद्यालय गोविन्दनगर कानपुर
- राजकीय पालीटेक्निक,विकास नगर, कानपुर
- राजकीय चर्म संस्थान एल्गिन मिल 2 वीआईपी रोड कानपुर
- रमादेवी रामदयाल महिला पालीटेक्निक साकेत नगर कानपुर
- आई टी आई पाण्डूनगर कानपुर
- रामा मेडिकल कॉलेज मंधना कानपुर
- नारायणा मेडिकल कॉलेज पनकी कानपुर
- रामा डेंटल मेडिकल कॉलेज लखनपुर कानपुर
- महाराणा प्रताप इंजीनियरिंग कॉलेज,मन्धना,कानपुर
- प्रनवीर सिंह इंस्टीटूट ऑफ टेकनोलोजी कानपुर
- रामा इंजीनियरिंग कॉलेज मंधना कानपुर
- नारायणा इंजीनियरिंग कॉलेज पनकी कानपुर
- महाराणा प्रताप इंस्टीट्यूट ऑफ प्रोफेशनल टेक्नोलॉजी बिठूर कानपुर
- कृष्णा इंस्टिट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी पुरुष वर्ग मंधना कानपुर
- कृष्णा इंस्टिट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी महिला मंधना कानपुर
- कानपुर इंस्टिट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी महाराजपुर कानपुर
- विजन इंस्टिट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी कानपुर
- एलनहाउस इंस्टिट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी कानपुर
- एक्सिस इंस्टिट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी कानपुर
- पूज्या भाऊराव देवरस महाविद्यालय कानपुर
- डॉ.हरिबंश राय बच्चन महाविद्यालय नौबस्ता कानपुर
- एशियन इंस्टिट्यूट ऑफ रूरल टेक्नोलॉजी बाघपुर कानपुर
- दयानन्द एंग्लो-वैदिक महाविद्यालय (डीएवी कॉलेज), कानपुर
- काकादेव कोचिंग सेन्टर (मेडिकल,इंजीनियरिन्ग समेत अन्य प्रतियोगी संस्थान)
कानपुर मेट्रो
[संपादित करें]कानपुर एक विश्व स्तरीय मेट्रो सिटी है 29 दिसंबर 2021 से यहां कानपुर मेट्रो प्राथमिक कॉरिडोर पर आईआईटी कानपुर से मोती झील मेट्रो स्टेशन तक मेट्रो संचालित है इसके विस्तार पर अभी काम चल रहा है आने वाले समय में पूरे कानपुर महानगर को मेट्रो से जोड़ा जाएगा प्राथमिक कॉरिडोर पूर्ण होने में 2025 तक का समय लगेगा वर्तमान में कानपुर में इलेक्ट्रॉनिक बस सेवाएं चालू है करीब डेढ़ सौ ज्यादा एक इलेक्ट्रॉनिक बसे सेवाएं दे रही है कानपुर मेट्रो भारत में सबसे आधुनिक मेट्रो सेवाएं देने वाली मेट्रो में शामिल है !
जलवायु
[संपादित करें]मैदानी भाग होने के कारण गर्मियों में अधिक गर्मी तथा सर्दियों में अधिक सर्दी पड़ती है। वर्षा का स्तर मध्यम है।
कानपुर के जलवायु आँकड़ें | |||||||||||||
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माह | जनवरी | फरवरी | मार्च | अप्रैल | मई | जून | जुलाई | अगस्त | सितम्बर | अक्टूबर | नवम्बर | दिसम्बर | वर्ष |
उच्चतम अंकित तापमान °C (°F) | 28 (82) |
34 (93) |
41 (106) |
44 (111) |
46 (115) |
48 (118) |
41 (106) |
38 (100) |
38 (100) |
36 (97) |
32 (90) |
28 (82) |
48 (118) |
औसत उच्च तापमान °C (°F) | 18 (64) |
24 (75) |
30 (86) |
38 (100) |
40 (104) |
42 (108) |
36 (97) |
34 (93) |
32 (90) |
30 (86) |
25 (77) |
20 (68) |
33 (91) |
औसत निम्न तापमान °C (°F) | 6 (43) |
12 (54) |
14 (57) |
20 (68) |
22 (72) |
25 (77) |
26 (79) |
23 (73) |
22 (72) |
16 (61) |
12 (54) |
7 (45) |
15 (59) |
निम्नतम अंकित तापमान °C (°F) | −3 (27) |
6 (43) |
7 (45) |
15 (59) |
17 (63) |
20 (68) |
21 (70) |
18 (64) |
19 (66) |
15 (59) |
9 (48) |
0 (32) |
−3 (27) |
औसत वर्षा मिमी (इंच) | 23 (0.91) |
16 (0.63) |
9 (0.35) |
5 (0.2) |
6 (0.24) |
68 (2.68) |
208 (8.19) |
286 (11.26) |
202 (7.95) |
43 (1.69) |
7 (0.28) |
8 (0.31) |
881 (34.69) |
स्रोत: आईएमडी[4] |
जनसांख्यिकी
[संपादित करें]कानपुर की जनसँख्या | |||
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जनगणना | जनसंख्या | %± | |
१८९१ | 1,88,712 | ||
१९०१ | 1,97,170 | 4.5% | |
१९११ | 1,78,557 | -9.4% | |
१९२१ | 2,16,436 | 21.2% | |
१९३१ | 2,43,755 | 12.6% | |
१९४१ | 4,87,324 | 99.9% | |
१९५१ | 6,38,734 | 31.1% | |
१९६१ | 7,05,383 | 10.4% | |
१९७१ | 12,75,242 | 80.8% | |
१९८१ | 17,82,665 | 39.8% | |
१९९१ | 18,74,409 | 5.1% | |
२००१ | 25,51,337 | 36.1% | |
२०११ | 27,67,031 | 8.5% |
२०११ की जनसंख्या के अनुसार कानपुर नगर की आबादी 4581268 थी। यहाँ की साक्षरता दर ८३.९८% है।[5]
यहाँ पर हिन्दू और मुस्लिम प्रमुख धर्म है। ७६% हिन्दू, २०% मुस्लिम, १.७% जैन तथा २.३% अन्य धर्मों के मतावलंबी है।
अंतर्राष्ट्रीय संबंध
[संपादित करें]शहर | ध्वज | देश |
---|---|---|
मैनचेस्टर | UK | यूनाइटेड किंगडम |
सैन जोस, कैलिफोर्निया | USA | संयुक्त राज्य अमेरिका |
मिल्वौकी, विस्कॉन्सिन | संयुक्त राज्य अमेरिका | |
ओसाका | जापान | |
येकतेरिन्बुर्ग | रूस | |
फैसलाबाद | पाकिस्तान |
प्रसिद्ध व्यक्तित्व
[संपादित करें]- रामनाथ कोविंद
- राजू श्रीवास्तव
- अंकित तिवारी
- गणेश शंकर विद्यार्थी
- अभिजीत भट्टाचार्य
- सतीश महाना
- श्रीप्रकाश जायसवाल
- गया प्रसाद कटियार
- श्रीमती प्रेमलता कटियार
- कुलदीप यादव
- शुभी
इन्हें भी देखें
[संपादित करें]सन्दर्भ
[संपादित करें]- ↑ "Uttar Pradesh in Statistics," Kripa Shankar, APH Publishing, 1987, ISBN 9788170240716
- ↑ "Political Process in Uttar Pradesh: Identity, Economic Reforms, and Governance Archived 2017-04-23 at the वेबैक मशीन," Sudha Pai (editor), Centre for Political Studies, Jawaharlal Nehru University, Pearson Education India, 2007, ISBN 9788131707975
- ↑ अगली गर्मियों में चलेगी कानपुर जू में ट्रेन
- ↑ "Kanpur" (अंग्रेज़ी में). आईएमडी. अभिगमन तिथि 25 मार्च 2010.[मृत कड़ियाँ]
- ↑ "Urban Agglomerations/Cities having population 1 lakh and above" (PDF). Provisional Population Totals, Census of India 2011. मूल से 2 अप्रैल 2013 को पुरालेखित (PDF). अभिगमन तिथि 2012-07-07.
- ↑ अ आ "235 Related Topics about Kanpur". मूल से 17 अक्तूबर 2013 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 2012-01-10.
- ↑ "Presentation on the City of Kanpur, भारत relative to establishing a friendly exchange leading to a sister city relationship with the University of Wisconsin-Milwaukee, given by Dr. Pradeep K. Rohatgi". मूल से 17 अप्रैल 2013 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 2012-01-04.
- ↑ "178 Related Topics about Yekaterinburg". मूल से 5 अक्तूबर 2013 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 2012-01-10.