छल
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छल या धोखा एक व्यक्ति या संगठन द्वारा जानबूझ कर किसी अन्य व्यक्ति में किसी ऐसे विश्वास को जन्म देने या प्रोत्साहित करने को कहते हैं जो सच न हो। ध्यान दें कि स्वयं को भी छला जा सकता है। कई प्रकार के छल न्याय व्यवस्थाओं में अपराध माने जाते है जबकि बहुत से अन्य छल भिन्न समाजों में अनौचित्य की परिभाषा में आते हैं।[1][2]
इन्हें भी देखें
[संपादित करें]सन्दर्भ
[संपादित करें]- ↑ Bassett, Rodney L.. & Basinger, David, & Livermore, Paul. (1992, December). Lying in the Laboratory: Deception in Human Research from a Psychological, Philosophical, and Theological Perspectives. ASA3.org
- ↑ Milgram, S. (1963). Behavioral study of obedience. The Journal of Abnormal and Social Psychology, 67(4), 371-378. Retrieved February 25, 2008 from the PsycARTICLES database.