घंटी
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घंटी या घंटा कम्पनस्वरी तालवाद्य यंत्र है। अधिकांश घंटियों में खोखले कप का आकार होता है। जब उसे ठोका जाता है तो उसमें मजबूत कंपन होती है जबकि इसके कोने कुशल अनुनादक बनाते हैं। घंटी एक विशेष प्रकार के धातु से बनती है, जिसे घंटा धातु (एक तरह का कांसा) कहते है। लेकिन इसे कई और धातु से भी बनाया जाता है। हिन्दू धर्म में घंटी का उपयोग पूजा में किया जाता है। ईसाई धर्म में भी घंटे का उपयोग होता और कई गिरजाघर में इसका उपयोग देखा जा सकता है।
घंटी के प्रकार
[संपादित करें]- गरूड़ घंटी : छोटी-सी घंटी जिसे हथ से बजाया जा सकता है।
- द्वार घंटी : द्वार पर लटकी होती है।
- हाथ घंटी : पीतल की ठोस और चपटी गोल होती है जिसको लकड़ी के से ठोककर बजाते हैं।
- घंटा : यह बहुत बड़ा होता है। कम से कम 5 फुट लंबा और चौड़ा।[1]
इन्हें भी देखें
[संपादित करें]सन्दर्भ
[संपादित करें]- ↑ "मंदिर में जाने से पहले आखिर क्यों बजाते हैं घंटी?". वेबदुनिया. मूल से 6 अप्रैल 2019 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 19 अप्रैल 2018.