Global Voices به فارسی https://fa.globalvoices.org !می‌شنوی؟ جهان در حال گفتگوست Fri, 20 Dec 2024 12:21:55 +0000 en-US hourly 1 https://wordpress.org/?v=6.6.2 !می‌شنوی؟ جهان در حال گفتگوست Global Voices به فارسی false Global Voices به فارسی podcast !می‌شنوی؟ جهان در حال گفتگوست Global Voices به فارسی https://globalvoices.org/wp-content/uploads/2023/02/gv-podcast-logo-2022-icon-square-2400-GREEN.png https://fa.globalvoices.org در روﺳﯾﮫ، ﯾﮏ ﺧﺑرﻧﮕﺎر ﺑﮫ دﻟﯾل ‘ﻋذرﺧواھﯽ’ از طﺎﻟﺑﺎن ﺑﺎزداﺷت ﺷد https://fa.globalvoices.org/2024/12/20/5492/ https://fa.globalvoices.org/2024/12/20/5492/#respond <![CDATA[صداهای جهانی به فارسی]]> Fri, 20 Dec 2024 12:21:55 +0000 <![CDATA[Censorship]]> <![CDATA[ادبیات]]> <![CDATA[افغانستان]]> <![CDATA[انگلیسی]]> <![CDATA[خاص]]> <![CDATA[دین]]> <![CDATA[رسانه‌ شهروندی]]> <![CDATA[رسانه و روزنامه‌نگاری]]> <![CDATA[روابط بین الملل]]> <![CDATA[روسی]]> <![CDATA[روسیه]]> <![CDATA[سیاست]]> <![CDATA[فعالگری دیجیتال]]> <![CDATA[وکالت صداهای جهانی]]> https://fa.globalvoices.org/?p=5492 <![CDATA[ﺣرﮐﺗﯽ رﯾﺎ ﮐﺎراﻧﮫ ﺑﺎ ﺗوﺟﮫ ﺑﮫ رواﺑط رو ﺑﮫ رﺷد ﮐرﻣﻠﯾن ﺑﺎ اﯾن ﮔروه]]> <![CDATA[

ﺣرﮐﺗﯽ رﯾﺎ ﮐﺎراﻧﮫ ﺑﺎ ﺗوﺟﮫ ﺑﮫ رواﺑط رو ﺑﮫ رﺷد ﮐرﻣﻠﯾن ﺑﺎ اﯾن ﮔروه

ﻧادژدا ﮐوورﮐووا در دادﮔﺎھﯽ در ﻣﺳﮑو. ﺗﺻوﯾر از وﯾدﯾوی “ﯾﮏ ﺧﺑرﻧﮕﺎر دﯾﮕر ﺑﮫ ﺧﺎطر ﭘﺳتھﺎﯾش ﺑﮫ زﻧدان اﻓﺗﺎد – ﻧداژدا ﮐوورﮐووا در دادﮔﺎه ﺑﺳﻣﺎﻧﯽ ﻣﺳﮑو” از ﮐﺎﻧﺎل ﯾوﺗﯾوب .Sotavision

در ۷ ماه مه، خبرنگار معروف ۶۵ ساله مسلمان، نادژدا کوورکووا، در مسکو بازداشت و به مدت دو ماه به یک مرکز بازداشت پیش از محاکمه منتقل شد. این پرونده جنایی به دلیل “توجیه تروریسم” علیه او تشکیل شده است. این اتهام بر اساس دو پست در کانال تلگرام او به نام “کوورکووا” است. اولین پست در سال ۲۰۱۸ منتشر شده و بازنشر متنی از خبرنگار روس، اورخان جمال، است که یک ماه قبل از انتشار این پست توسط کوورکووا در جمهوری آفریقای مرکزی کشته شد.

پست دوم در سال ۲۰۲۱ نوشته شده و موضوع آن به اصطلاح به توجیه جنبش طالبان مربوط است، که با وجود رشد سریع روابط تجاری و سیاسی دوجانبه میان روسیه و افغانستان تحت حاکمیت طالبان همچنان در روسیه به عنوان یک سازمان تروریستی شناخته میشود. یک هفته بعد، نام کورکووا در فهرست تروریستها و افراطگرایان قرار گرفت، که به طور جدی حقوق اجتماعی، اقتصادی و سیاسی او را محدود کرد. در سال ،۲۰۲۱ کورکووا سه پست مرتبط با طالبان در کانال خود منتشر کرد — هنوز مشخص نیست که کدام یک از این پستها مبنای پیگرد قانونی او قرار گرفته است. یکی از این پستها درباره ی این بود که چگونه مقامات روسیه به طور مخفیانه به طالبان کمک کرده و از تهدید تروریسم در خارج از کشور برای توجیه سیاستهای سرکوبگرانه ی داخلی خود استفاده کرده اند.

کورکووا به عنوان یک خبرنگار و نویسنده ی مجموعه مستند به نام “جهاد در ادبیات روسی” که به بررسی نگرش نویسندگان روس نسبت به اسلام پرداخته است، ومؤلف سه کتاب درباره ی وضعیت فلسطین، در روسیه و فراتر از آن مشهور است. در سال ،۲۰۱۰ نادژدا کورکووا نامزد دریافت جایزه  بین المللی زنان شجاع شده بود که از سوی وزارت امور خارجه  ایالات متحده اعطا می شود.

روﺳﻼن آﯾﺳﯾن همکار نادژدا کورکووا

ﮔﻠوﺑﺎل ووﯾس ﺑا ﻣﻔﺳر ﺳﯾﺎﺳﯽ و ﺳردﺑﯾر ﻣﺟﻠﮫ “ﭘوﺋﺳﺗﯾﻧﮫ” روﺳﻼن آﯾﺳﯾن، درﺑﺎره دﻻﯾل ﺑﺎزداﺷت
ﮐورﮐووا، اﻓزاﯾش ﺳرﮐوبھﺎ ﻋﻠﯾﮫ ﺧﺑرﻧﮕﺎران و ﻓﻌﺎﻻن در روﺳﯾﮫ، و ﭼﮕوﻧﮫ ﺑﮫ ﺧﺎطر “ﺗوﺟﯾﮫ
طﺎﻟﺑﺎن ﺑﮫ زﻧدان اﻓﺗﺎدن، ﮔﻔتوﮔو ﮐرده اﺳت.

راﻣﯾل ﻧﯾﺎزوف – عادﻠﺟﺎن :(RNA) ﺑﺎزداﺷت ﮐورﮐووا ﺗوﺟﮫ ﺗﻣﺎﻣﯽ رﺳﺎﻧﮫھﺎی اﺳﻼﻣﯽ روس زﺑﺎن را ﺑﮫ ﺧود ﺟﻠب ﮐرده اﺳت.

اھﻣﯾت ﻓﻌﺎﻟﯾتھﺎی او ﺑرای ﻣﺳﻠﻣﺎﻧﺎن روس زﺑﺎن در ﮐﺷورھﺎی ﭘﺳﺎﺷوروی ﭼﯾﺳت؟

Руслан Айсин (РА): Надежда Кеворкова журналист высочайшего уровня, хорошо известная за пределами Российской Федерации. Она была во многих горячих точках от Афганистана, Ирака, Ирана, Палестины, Ливана и до африканских стран. Делала блестящие репортажи на английском и русском языках. Прославлена она еще и тем, что отстаивала интересы мусульман, трудовых мигрантов, просто угнетённых людей, журналистов, политических активистов. Деятельно участвовала во всевозможных таких акциях по отстаиванию интересов мусульман по всему миру.

Мусульманское сообщество очень гордилось ею, она была близким другом убитого российского журналиста Орхана Джемаля, являлась ученицей Гейдара Джемаля, известного исламского мыслителя, общественного деятеля. Надежда приняла Ислам. Много времени уделяла вопросам политической субъектности мусульман. Из под ее пера вышло три книги про Палестину, которые переведены на ряд языков.

روﺳﻼن آﯾﺳﯾن :(RA) ﻧادژدا ﮐورﮐووا ﺧﺑرﻧﮕﺎری در ﺑﺎﻻﺗرﯾن ﺳطﺢ اﺳت. او در ﺧﺎرج از روﺳﯾﮫ ﻧﯾز ﺑﺳﯾﺎر ﺷﻧﺎﺧﺗﮫ ﺷده اﺳت. از ﺑﺳﯾﺎری از ﻣﻧﺎطق ﺑﺣرانزده ﻣﺎﻧﻧد اﻓﻐﺎﻧﺳﺗﺎن، ﻋراق، اﯾران، ﻓﻠﺳطﯾن، ﻟﺑﻧﺎن، و ﮐﺷورھﺎی آﻓرﻘﺎﯾﯽ ﮔزارش ﺗﮭﯾﮫ ﮐرده اﺳت. او با ﮔزارشھﺎی جالبش ﺑﮫ زﺑﺎنھﺎی اﻧﮕﻠﯾﺳﯽ و روﺳﯽ در دﻓﺎع از ﻣﻧﺎﻓﻊ ﻣﺳﻠﻣﺎﻧﺎن، ﮐﺎرﮔران ﻣﮭﺎﺟر، ﻣردم ﺳﺗﻣدﯾده، ﺧﺑرﻧﮕﺎران، و ﻓﻌﺎﻻن ﺳﯾﺎﺳﯽ ﻣﺷﮭور اﺳت. او ﺑﮫ طور ﻓﻌﺎل در دﻓﺎع از ﻣﻧﺎﻓﻊ ﻣﺳﻠﻣﺎﻧﺎن در ﺳراﺳرﺟﮭﺎن ﺷرﮐت داﺷﺗﮫ اﺳت.

ﺟﺎﻣﻌﮫ اسلامی ﺑا او اﻓﺗﺧﺎر ﻣﯽﮐرد. او دوﺳت ﻧزدﯾﮏ مرحوم اورﺧﺎن ﺟﻣال، ﺧﺑرﻧﮕﺎر روس ، و ﺷﺎﮔرد متفکر و دانشمند معروف ﺣﯾدر ﺟﻣال ﺑود. ﻧادژدا ﺑﮫ اﺳﻼم ﮔروﯾد و زﻣﺎن زﯾﺎدی را ﺻرف ﻣوﺿوﻋﺎت ﻣرﺗﺑط ﺑﺎ اسلام سیاسی ﮐرد. ﺳﮫ ﮐﺗﺎب درﺑﺎره ﻓﻠﺳطﯾن ﻧوﺷﺗﮫ اﺳت ﮐﮫ ﺑﮫ ﭼﻧدﯾن زﺑﺎن ﺗرﺟﻣﮫ ﺷده اﻧد.

:RNA او ﻓﻘط ﺑﮫ ﺧﺎطر ﺑﺎزﻧﺷر ﻣطﺎﻟب در ﮐﺎﻧﺎل ﺗﻠﮕراﻣش ﺑﮫ “ﺗوﺟﯾﮫ ﺗرورﯾﺳم” ﻣﺗﮭم ﺷده اﺳت. ﭼﮕوﻧﮫ ﻣﻣﮑن اﺳت ﮐﺳﯽ برای اﻧﺗﺷﺎر ﻣطﻠب درﺑﺎره طﺎﻟﺑﺎن در روﺳﯾﮫ ﺑﺎزداﺷت ﺷود، ﮐﺷوری ﮐﮫ در ﭼﻧد ﺳﺎل ﮔذﺷﺗﮫ ﺑﮫ طور ﻣداوم ﻣﯾزﺑﺎن ھﯾﺋتھﺎی طﺎﻟﺑﺎن ﺑوده اﺳت؟

РА: К сожалению, ту статью, которую ей инкриминируют: 205 часть 2 Уголовного кодекса Российской Федерации «об оправдании терроризма» – абсолютно  абсурдна в отношении неё.

Во первых, она журналист и имеет профессиональное право для того, чтобы писать о том, что происходит, и она это делала.

Во-вторых, один из эпизодов обвинения состоит в том, что якобы она сделала репост статьи Орхана Джемаля. Написал он ее в 2010 году. Материал про события в Нальчике 2005 года, когда вооружённые люди восстали против властей в этой Кабардино-Балкарской республики.

Дело было нашумевшим. Орхан об этом писал. Статья не была запрещенной. Надежда Кеворкова тоже освещала это дело. В деле было очень много нарушений, силовики посадили людей, которые вообще не имели  никакого отношения к этому событию.

Второй эпизод – оправдание деятельности движения «Талибан». При этом они уже по факту признаны как правительство Афганистана. Находятся в хороших взаимоотношениях с Россией. Талибы участвуют во всевозможных мероприятиях, на высоком уровне встречаются с министром иностранных дел РФ Сергеем Лавровым. Всевозможные экономические форумы проходят с их участием.

В Казани на днях будет проходить ХV Международный экономический форум «Россия – Исламский мир: Kazan Forum», куда они тоже приглашены. В Татарстане работает торговое представительство Талибов. Имеются тесные взаимоотношения торговые, экономические и политические. Министр иностранных дел Лавров говорил о том, что талибы не являются террористической организацией, пресс-секретарь Путина Песков тоже неоднократно говорил об этом. Поэтому абсурдность и идиотизм всей этой обвинительной риторики очевидны для всех.

Видимо, эти слабые уголовные эпизоды выбраны просто для того, чтобы её быстро посадить. А какая там статья уже неважно. Как говорили во времена Сталина: был бы человек, а статья найдётся.

:RA ﻣﺗﺄﺳﻔﺎﻧﮫ او ﺑر اﺳﺎس ﻣﺎده ٢٠۵ ﻗﺎﻧون کیفری روﺳﯾﮫ ﻣﺗﮭم ﺷده اﺳت، ﮐﮫ ﺑﮫ “ﺗوﺟﯾﮫ ﺗرورﯾﺳم” ﻣرﺑوط ﻣﯽﺷود. اﯾن اﺗﮭﺎم مضحک اﺳت زیرا او ﯾﮏ ﺧﺑرﻧﮕﺎر اﺳت و ﺣق دارد ﮐﮫ درﺑﺎره آﻧﭼﮫ اﺗﻔﺎق ﻣﯽاﻓﺗد ﺑﻧوﯾﺳد، ودقیقا ھﻣﯾن ﮐﺎر را ﮐرده اﺳت.

اﺗﮭﺎم دیگربالای او اﯾن اﺳت ﮐﮫ ظﺎھراً ﻣﻘﺎﻟﮫای از اورﺧﺎن ﺟﻣال را ﺑﺎزﻧﺷر ﮐرده اﺳت. ﺟﻣال اﯾن ﻣﻘﺎﻟﮫ را در ﺳﺎل 2010 ﻧوﺷﺗﮫ اﺳت. آن درﺑﺎره روﯾدادھﺎ در ﭘﺎﯾﺗﺧت ﮐﺎﺑﺎردﯾﻧو- ﺑﺎﻟﮑﺎریا «الچیک بود. زمانی که یک گروه مسلح علیه مقامات آن قیام کردند و این قضیه به سال 2005 بر می گردد.

اﯾن روﯾداد ﺗوﺟﮫ ﺑﺳﯾﺎری از رﺳﺎﻧﮫھﺎ را ﺑﮫ ﺧود ﺟﻠب ﮐرد. اورﺧﺎن درﺑﺎره اﯾن روﯾداد ﻧوﺷت. ﻣﻘﺎﻟﮫ ﺑﮫ طور رﺳﻣﯽ ﺗوﺳط ﻣﻘﺎﻣﺎت ﻣﻣﻧوع ﻧﺷده ﺑود. ﻧادژدا ﮐورﮐووا ﻧﯾز اﯾن ﭘروﻧده را ﭘوﺷش داد. ﺗﺧﻠﻔﺎت زﯾﺎدی در اﯾن ﭘروﻧده وﺟود داﺷت. ﻧﯾروھﺎی اﻣﻧﯾﺗﯽ اﻓرادی را ﮐﮫ ھﯾﭻ ارﺗﺑﺎطﯽ ﺑﺎ اﯾن ﻣوﺿوع ﻧداﺷﺗﻧد، زﻧداﻧﯽ ﮐردﻧد.

اتهام دیگر علیه او، ﺗوﺟﯾﮫ ﻓﻌﺎﻟﯾتھﺎی ﺟﻧﺑش طﺎﻟﺑﺎن اﺳت، ﮐﮫ ﻋﻣﻼً ﺑﮫﻋﻧوان دوﻟت اﻓﻐﺎﻧﺳﺗﺎن ﺷﻧﺎﺧﺗﮫ ﺷده اﻧد. آنھﺎ رواﺑط ﺧوﺑﯽ ﺑﺎ روﺳﯾﮫ دارﻧد. طﺎﻟﺑﺎن در اﻧواع روﯾدادھﺎ ﺷرﮐت ﻣﯽﮐﻧﻧد و در ﺳطوح ﺑﺎﻻ ﺑﺎ ﺳرﮔﯽ ﻻوروف، وزﯾر ﺧﺎرﺟﮫ روﺳﯾﮫ، ﻣﻼﻗﺎت ﻣﯽﮐﻧﻧد واﻧواع اﻧﺟﻣنھﺎی اﻗﺗﺻﺎدی ﺑﺎ ﻣﺷﺎرﮐت آنھﺎ ﺑرﮔزار ﻣﯽﺷود.

طﺎﻟﺑﺎن در ﭘﺎﻧزدھﻣﯾن ﻣﺟﻣﻊ اﻗﺗﺻﺎدی ﺑﯾن اﻟﻣﻠﻠﯽ “ﺟﮭﺎن اﺳﻼم-روﺳﯾﮫ: ﮐﺎزانﻓوروم” ﮐﮫ از ١۴ ﺗﺎ ١٩ماه ﻣﮫ در ﮐﺎزان (روﺳﯾﮫ) ﺑرﮔزار ﺷد، ﺷرﮐت داﺷﺗﻧد. آنها ﯾک ﻧﻣﺎﯾﻧدﮔی ﺗﺟﺎری در ﺗﺎﺗﺎرﺳﺗﺎن دارﻧد. رواﺑط ﺗﺟﺎری، اﻗﺗﺻﺎدی و ﺳﯾﺎﺳﯽ ﻧزدﯾک با روسیه دارند. ﻻوروف ﮔﻔﺗﮫ اﺳت ﮐﮫ طﺎﻟﺑﺎن ﯾﮏ ﺳﺎزﻣﺎن ﺗرورﯾﺳﺗﯽ ﻧﯾﺳﺗﻧد. ﺳﺧﻧﮕوی ﭘوﺗﯾن، دﻣﯾﺗری ﭘﺳﮑوف ﻧﯾز ﺑﺎرھﺎ اﯾن ﻣوﺿوع را ﺑﯾﺎن ﮐرده اﺳت. پس مشخص است که این اتهامات ساخته و بافته و مغرضانه هستند.

این اتهامات سیاسی به خاطر زﻧداﻧﯽ ﮐردن نادژدا ساخته شده اند. ﻣﮭم ﻧﯾﺳت ﮐﮫ کدام ماده قانون ﺑﺎﺷد. در دوران دﯾﮑﺗﺎﺗور ﺷوروی، ژوزف اﺳﺗﺎﻟﯾن، ﻣﯽﮔﻔﺗﻧد: اﮔر ﻓﻘط ﺷﺧص وﺟود داﺷﺗﮫ ﺑﺎﺷد، ﻣﺎده ای ﺑرای محکوم کردن او ﭘﯾدا ﺧواھد ﺷد.

:RNA آﯾﺎ ﻧظری درﺑﺎره دﻟﯾل واﻗﻌﯽ ﺑﺎزداﺷت او دارﯾد؟ درﺑﺎره ﺷﺎﯾﻌﺎﺗﯽ ﮐﮫ ﻣﯽﮔوﯾﻧد او ﺑﮫ ﺧﺎطر ﻣواﺿﻊ طرﻓدارانه اش از ﻓﻠﺳطﯾن ﺗﺣت ﭘﯾﮕرد ﻗرار ﮔرﻓﺗﮫ اﺳت، چی می دانید؟

РА: Я думаю, что есть несколько причин её задержания. Это совокупность различных претензий, скажем, со стороны власти к ней.

Ее позиция не согласуется с линией партии. Она принципиально отстаивала интересы угнетенных и притесненных, беззащитных журналистов, политических активистов. А в России сейчас это, конечно, преступление. Более того, она имела свою точку зрения на многие события, которые, в большинстве своём, расходились с позицией российских властей.

Пропалестинская информационная и правозащитная деятельность Надежды Кеворковой тоже могли стать причиной ареста. Хотя Россия осуждает Израиль и поддерживает создание палестинского государства, но Москва сегодня может говорить так, а завтра поступить противоположным образом. Надежда как стояла на своём, так и стоит до сих пор.

Плюс ко всему Надежда являлась лидером общественного мнения, а в России сейчас все, кто являются таковыми, но при этом не поют в общем провластном хоре, рассматриваются как персоны нон-грата. И маховик репрессий, который сейчас активно раскручивается в России, сметает всех на своём пути.

:RA ﻣن ﻓﮑر ﻣﯽﮐﻧم ﭼﻧدﯾن دﻟﯾل ﺑرای ﺑﺎزداﺷت او وﺟود دارد. ﻣواﺿﻊ او ﺑﺎ ﺧط ﻣﺷﯽ ﺣزب ﺣﺎﮐم ﺳﺎزﮔﺎر ﻧﺑود. او ﺑﮫ طور اﺻوﻟﯽ از ﻣﻧﺎﻓﻊ ﻣردم ﺳﺗﻣدﯾده، ﺧﺑرﻧﮕﺎران ﺑﯽدﻓﺎع، و ﻓﻌﺎﻻن ﺳﯾﺎﺳﯽ دﻓﺎع ﻣﯽﮐرد. در روﺳﯾﮫ ﻣﻌﺎﺻر، ﺑدﯾﮭﯽ اﺳت ﮐﮫ اﯾن ﯾﮏ ﺟرم اﺳت. ﻋﻼوه ﺑر اﯾن، او دﯾدﮔﺎه ﺧﺎص ﺧود را ﻧﺳﺑت ﺑﮫ ﺑﺳﯾﺎری از وﻗﺎﯾﻊ داﺷت، ﮐﮫ در ﺑﯾﺷﺗر ﻣوارد ﺑﺎ ﻣوﺿﻊ ﻣﻘﺎﻣﺎت روﺳﯽ ﻣﺗﻔﺎوت ﺑود.

ﻓﻌﺎﻟﯾتھﺎی رﺳﺎﻧه یی و ﺣﻘوق ﺑﺷریی ﻧادژدا ﮐورﮐووا در ﺣﻣﺎﯾت از ﻓﻠﺳطﯾن ﻧﯾز ﻣﯽﺗواﻧد دﻟﯾل ﺑﺎزداﺷت او ﺑﺎﺷد. اﮔرﭼﮫ روﺳﯾﮫ اﺳراﺋﯾل را ﻣﺣﮑوم و از اﯾﺟﺎد ﯾﮏ دوﻟت ﻓﻠﺳطﯾﻧﯽ ﺣﻣﺎﯾت ﻣﯽﮐﻧد، ﻣﺳﮑو ﻣﻣﮑن اﺳت اﻣروز اﯾن را ﺑﮕوﯾد و ﻓردا ﺑﮫ ﮔوﻧﮫ ای دیگر ﻋﻣل ﮐﻧد.اما نادژدا ﺑر ﻣواﺿﻊ ﺧود اﯾﺳﺗﺎد و ھﻣﭼﻧﺎن اﯾﺳﺗﺎده اﺳت.

ھﻣﭼﻧﯾن، ﻧداژدا ﯾﮏ رھﺑر اﻓﮑﺎر ﻋﻣوﻣﯽ ﺑود و در روﺳﯾﮫ اﻣروزی، ھرﮐﺳﯽ ﮐﮫ اﻓﮑﺎر ﻋﻣوﻣﯽ را ﺷﮑل دھد اﻣﺎ ھﻣراه ﺑا ﮔروه ھﺎی طرﻓدار ﺣﮑوﻣت ﺣرﮐت ﻧﮑﻧد، ﺑﮫﻋﻧوان ﻓردی ﻧﺎﻣطﻠوب ﺗﻠﻘﯽ ﻣﯽﺷود. و ﭼرخ ﺳرﮐوب، ﮐﮫ اﮐﻧون در روﺳﯾﮫ ﺑﮫطورﻓﻌﺎل در ﺣﺎل ﭼرﺧش اﺳت، ھﻣﮫ را در ﻣﺳﯾر ﺧود از ﺑﯾن ﻣﯽﺑرد.

:RNA آﯾﺎ آزار و اذﯾت ﯾﮏ ﺧﺑرﻧﮕﺎر ﻣﺳﻠﻣﺎن ﮐﮫ در ﺳراﺳر روﺳﯾﮫ ﺷﻧﺎﺧﺗﮫ ﺷده اﺳت، ﺑﺧﺷﯽ از ﯾﮏ ﭼرﺧش ﻣﻠﯽﮔراﯾﺎﻧﮫ ﺑزرگ در روﺳﯾﮫ ﻣدرن اﺳت؟ ﭼرا ﻣﻘﺎﻣﺎت روﺳﯾﮫ، ﮐﮫ “ﺟﻧﮓ ﺑﺎ ﻏرب” را اﻋﻼم ﮐرده اﻧد، ﺑﺎﯾد ﺷﮭرت ﺧود را در ﺑراﺑر اﮐﺛرﯾت ﺟﮭﺎﻧﯽ ﺧراب ﮐﻧﻧد؟

РА: Тут можно сказать одно: российские власти не действуют руководствуясь логикой. У таких репрессий есть свой алгоритм, который не согласуется с общей политической логикой. Его достаточно тяжело остановить. Действительно, тренд на шовинизм, русский национализм, исламофобию, ксенофобию в России присутствует давно.

Такие люди как Надежда с независимым суждением воспринимаются как чуждые, как инородные. Формально, конечно, ссориться с мусульманским миром России сейчас политически невыгодно. Но! Если бы политика Москвы была рациональной, осмысленной, то эти доводы можно было бы принять, но здесь, как мы видим, они не обращает на это внимание. Это не вопрос идеологии. Здесь другое – некое безумие. Им пронизано все в России сейчас.

Но будем надеяться на лучшее, на ее скорейшее освобождение. Надежда – волевая и стойкая женщина. Она много раз это доказывала. Ну, а наша задача – содействовать всеми силами, чтобы правда и справедливость восторжествовали.

:RA ﻣﻘﺎﻣﺎت روﺳﯾﮫ از ھﯾﭻ ﻣﻧطﻘﯽ ﭘﯾروی ﻧﻣﯽﮐﻧﻧد. ﭼﻧﯾن ﺳرﮐوبھﺎﯾﯽ اﻟﮕورﯾﺗم ﺧﺎص ﺧود را دارﻧد ﮐﮫ ﺑﺎ ﻣﻧطق ﻋﻣوﻣﯽ ﺳﯾﺎﺳﯽ ﺳﺎزﮔﺎر ﻧﯾﺳت. ﻣﺗوﻗف ﮐردن آنھﺎ ﺑﺳﯾﺎر دﺷوار اﺳت. در واﻗﻊ، روﻧد ﮔراﯾش ﺑﮫ ﺷووینیسم، ﻣﻠﯽﮔراﯾﯽ روﺳﯽ، اﺳﻼمھراﺳﯽ، و ﺑﯾﮕﺎﻧﮫھراﺳﯽ ﻣدﺗﯽ اﺳت ﮐﮫ در روﺳﯾﮫ وﺟود دارد.

اﻓرادی ﻣﺎﻧﻧد ﻧادژدا ﮐﮫ ﻗﺿﺎوت ﻣﺳﺗﻘﻠﯽ دارﻧد، ﺑﮫﻋﻧوان ﺑﯾﮕﺎﻧﮫ و ﻏرﯾﺑﮫ ﺗﻠﻘﯽ ﻣﯽﺷوﻧد. از ﻧظر ﺳﯾﺎﺳﯽ ﺑرای روﺳﯾﮫ ﺳودﻣﻧد ﻧﯾﺳت ﮐﮫ ﺑﺎ ﺟﮭﺎن اﺳﻼم درﮔﯾر ﺷود. اﻣﺎ اﮔر ﺳﯾﺎﺳتھﺎی ﻣﺳﮑو ﻣﻧطﻘﯽ و ﻣﻌﻧﺎدار ﺑود، اﯾن اﺳﺗدﻻلھﺎ ﻣﯽﺗواﻧﺳﺗﻧد ﭘذﯾرﻓﺗﮫ ﺷوﻧد. اﯾن ﻣﺳﺋﻠﮫ اﯾدﺋوﻟوژی ﻧﯾﺳت. ﭼﯾزی دﯾﮕر در اﯾﻧﺟﺎ وﺟود دارد — ﻧوﻋﯽ دﯾواﻧﮕﯽ. اﮐﻧون اﯾن دﯾواﻧﮕﯽ ھﻣﮫ ﭼﯾز را در روﺳﯾﮫ ﻓرا ﮔرﻓﺗﮫ اﺳت.

اﻣﺎ اﻣﯾدوار ﺑﺎﺷﯾم ﮐﮫ او ﺑﮫ ﺳرﻋت آزاد ﺷود. ﻧاداژدا زﻧﯽ ﺑﺎ اراده ﻗوی و اﺳﺗوار اﺳت. او اﯾن را ﺑﺎرھﺎ ﺛﺎﺑت ﮐرده اﺳت. وظﯾﻔﮫی ﻣﺎ اﯾن اﺳت ﮐﮫ ﺑﺎ ﺗﻣﺎم ﺗوان ﮐﻣﮏ ﮐﻧﯾم ﺗﺎ ﺣﻘﯾﻘت و ﻋداﻟت ﭘﯾروز ﺷوﻧد.

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ایرانیان در سالگرد سرنگونی هواپیمای اوکراینی خواهان اجرای عدالت هستند https://fa.globalvoices.org/2022/01/13/5444/ https://fa.globalvoices.org/2022/01/13/5444/#respond <![CDATA[Shahram Ebrahimpanah]]> Thu, 13 Jan 2022 13:09:42 +0000 <![CDATA[پناهندگان]]> <![CDATA[حقوق بشر]]> <![CDATA[خاص]]> <![CDATA[رسانه‌ شهروندی]]> <![CDATA[سیاست]]> <![CDATA[قانون]]> <![CDATA[وبلاگ]]> https://fa.globalvoices.org/?p=5444 <![CDATA[نظر به اینکه حکم دادگاه فروردین‌ماه هویت، درجه و مجازات محکومان را فاش نکرد، معترضان در تهران و تورنتو، جاییکه بسیاری از قربانیان در آن زندگی می‌کردند، خواستار اجرای عدالت علیه عاملان این فاجعه شدند.]]> <![CDATA[

حکم دادگاه ایران در فروردین‌ماه رضایت خانواده‌های قربانیان را جلب نکرد

همه ۱۷۶ مسافر پرواز ۷۵۲ خطوط هوایی اوکراین در این حادثه کشته شدند. بکارگیری تصویر تحت پروانه Creative Commons Attribution 4.0 International

ایرانیان در روز ۱۸ دی‌ماه، دومین سالگرد سرنگونی هواپیمای اوکراینی PS752 را با شعارهایی همچون «ما خواستار عدالت هستیم» و «ما خواستار حقیقت هستیم» در شبکه‌های اجتماعی و در گردهمایی هایی در سراسر جهان که به همین منظور برپا شده بود، گرامی داشتند.

سپاه پاسداران ایران تنها سه دقیقه پس از برخاستن هواپیما از فرودگاه امام خمینی تهران، با شلیک موشک هایی باعث سرنگونی و کشته شدن همه ۱۷۶ سرنشین آن گشت. بیش از ۱۰۰ نفر از قربانیان ایرانی این پرواز تابعیت یا اقامت کانادایی داشتند که باعث گردید برخی از خانواده های آنها از حکومت ایران نزد دادگاه مدنی کانادا شکایت کنند.

سرنگونی این هواپیما چند روز پس از آن صورت گرفت که در طی حمله پهپادی آمریکا در عراق، قاسم سلیمانی، فرمانده نیروی قدس، شاخه ای عملیات برون مرزی سپاه پاسداران انقلاب اسلامی ایران کشته شد که به دنبال آن حملات موشکی ایران به پایگاه آمریکایی در عراق انجام گرفت. مقامات ایرانی در ابتدا مسئولیت حمله به هواپیمای مسافربری غیرنظامی در نزدیکی فرودگاه بین المللی امام خمینی تهران را نپذیرفتند. اما، سرانجام در مواجهه با شواهد فزاینده، ستاد کل نیروهای مسلح ایران در ۲۱ دی‌ماه اعتراف کرد که سپاه پاسداران «به اشتباه» هواپیمای مسافربری را ساقط کرده است.

در ۱۷ فروردین سال ۱۴۰۰، مقامات ایرانی اظهار داشتند که ۱۰ نفر را به دلیل نقش در این حادثه مجرم شناخته، اما درجه، هویت، احکام و اتهامات آنها را فاش ننمودند.

چند روز پیش از دومین سالگرد این فاجعه، دادگاهی در کانادا طی حکمی، حکومت ایران را ملزم به پرداخت غرامتی حدود ۸۴ میلیون دلار آمریکا به شش خانواده قربانیان این پرواز که دارای تابعیت یا اقامت کانادا می باشند، نمود.

خانواده های قربانیان به دنبال عدالت

در دومین سالگرد این سانحه، خانواده های قربانیان از تورنتو تا تهران یاد و خاطره آنها را گرامی داشتند.

در فرودگاه بین المللی تهران، معترضان شعارهایی برای اجرای عدالت و روشن شدن حقیقت سر دادند. آنها همچنین خواستار محاکمه عادلانه افراد مسئول این حمله شدند.

در دومین سالگرد این فاجعه همچنین توییت‌هایی از سوی انجمن خانواده‌های قربانیان پرواز PS752 که در مارس ۲۰۲۰ با هدف اصلی «متحد ساختن خانواده‌های داغدار، زنده نگه داشتن یاد و خاطرات مسافران پرواز و از همه مهم‌تر پیگیری عدالت» در کانادا تشکیل گشته، منتشر گردید. این انجمن مصمم است حقیقت را کشف نموده و علت سرنگونی یک پرواز مسافربری توسط موشک‌های سپاه را دریابد.

در تورنتو، شهری که بسیاری از قربانیان در آنجا زندگی می کردند، یاد و خاطره آنها گرامی داشته شد.

دیروز در مراسم یادبود #آرادزارعی در گورستان الگین میلز، و امروز در تجمع دادخواهی خانواده‌های جانباختگان پرواز ۷۵۲ در میدان مل لستمن تورنتو، به خانواده‌های قربانیان ادای احترام نموده و به یاد قربانیان پرواز PS752 شمعی روشن کردم.

برخی شهروند ایرانی نیز عکس قربانیان را در شبکه های اجتماعی به اشتراک گذاشته و از کودکان کشته شده در آن فاجعه یاد کردند.

ما خواهان عدالتیم

ما خواهان حقیقتیم

همبستگی، از هنرمندان تا دانشگاهیان

بسیاری از هنرمندان و فعالان سیاسی با اشتراک‌گذاری طرح‌ها، عکس‌ها و هشتگ #IWillLightACandleToo در توییتر همبستگی خود را با خانواده‌های قربانیان ابراز نمودند.

گلشیفته فراهانی، هنرپیشه سرشناس سینمای ایران، چند پوستر به یاد کشته شدگان به اشتراک گذاشت.

دکتر فیصل مولا، استاد مدیریت و حفاظت از جنگل ها در دانشگاه گولف انتاریو، از دانشجوی دوره دکترای خود، غنیمت اژدری، یاد می کند که متخصص سیستم‌های اطلاعات جغرافیایی (GIS)، و حامی انجام پژوهش های مشارکتی در جهت حفاظت از تنوع زیستی کشور بود.

امروز سالگرد سرنگونی پرواز PS752 توسط حکومت ایران است. در میان قربانیان ده ها کودک و دانش آموز بودند، از جمله دانشجوی گرانقدرم #غنیمت اژدری در مقطع دکتری. این قتل با فرمان دولت هیچ تفاوتی با قتل عام جوانان در میدان  تیان‌آن‌من یا کشتار سووتو در آفریقای جنوبی نداشته و مستحق محکومیت بین المللی است.

ریاکاری سیاستمداران

برخی ایرانیان نیز از سیاستمداران ایرانی همچون محمد جواد ظریف، وزیر امور خارجه سابق و محمدجواد آذری جهرمی، وزیر ارتباطات سابق، که پست‌هایی در سوگ قربانیان هواپیمای اوکراینی منتشر کرده اند، انتقاد نموده و آنها را بخشی از رژیم ایران که بر این حمله سرپوش گذاشته، می دانند.

وزیر ارتباطات ایران در زمان سرنگونی هواپیمای PS752 توسط رژیم، در توییتی می‌نویسد که «در دلم غصه ای گره گیر است».

حال آنکه وزارتخانه جهرمی خود تا حد زیادی مسئول سختگیری ها و محدود کردن فضای اینترنت و جریان اطلاعات در داخل کشور بود.

“صبرمان لبریز شده است”

حامد اسماعیلیون، سخنگوی انجمن خانواده های جانباختگان پرواز PS752 که همسر و دخترش از جمله ۱۷۶ مسافری بودند که با شلیک موشک سپاه پاسداران به هواپیمای اوکراینی کشته شدند، در ۱۸ دی‌ماه بیانیه ای بدین شرح منتشر نمود:

صبرمان لبریز شده است، امروز روزی است که دیپلماسی به پایان رسیده و عدالت آغاز می شود.

بیانیه انجمن خانواده های جانباختگان پرواز PS752، توسط حامد اسماعیلیون، سخنگوی انجمن، در دومین سالگرد سرنگونی پرواز PS752

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افزایش فشار و سرکوب در ایران، همزمان با آغاز ریاست جمهوری ابراهیم رئیسی https://fa.globalvoices.org/2021/09/16/5435/ https://fa.globalvoices.org/2021/09/16/5435/#respond <![CDATA[Shahram Ebrahimpanah]]> Thu, 16 Sep 2021 16:20:59 +0000 <![CDATA[انگلیسی]]> <![CDATA[ایران]]> <![CDATA[پل ارتباطی]]> <![CDATA[حقوق بشر]]> <![CDATA[حکومت]]> <![CDATA[خاص]]> <![CDATA[رسانه‌ شهروندی]]> <![CDATA[سیاست]]> <![CDATA[وبلاگ]]> https://fa.globalvoices.org/?p=5435 <![CDATA[رئیس سابق دادگستری ایران و متصدی دستگاه قضایی رژیم، در روز ۲۹ خردادماه با اکثریت آراء پیروز قاطع انتخابات ریاست جمهوری ایران شد.]]> <![CDATA[

رئیس سابق قوه قضائیه در روز ۲۹ خردادماه برنده انتخابات ریاست جمهوری ایران شد

ابراهیم رئیسی در روز ۲۸ خرداد سال ۱۴۰۰ با حضور در مسجد ارشاد رأی خود را در انتخابات ریاست‌جمهوری به صندوق انداخت. عکس توسط مریم کامیاب، (CC BY-SA 4.0)

به قلم نوید صادقی

جمهوری اسلامی ایران در روز ۱۴ مردادماه، مراسم تحلیف هشتمین رئیس جمهور خود را برگزار نمود.

ابراهیم رئیسی، رئیس سابق دادگستری ایران و متصدی دستگاه قضایی رژیم، در روز ۲۹ خردادماه با اکثریت آراء پیروز قاطع انتخابات ریاست جمهوری ایران شد.

پیروزی رئیسی تعجب تعداد کمی از ناظران چه در ایران و چه در سطح بین المللی را برانگیخت؛ چراکه پیش از آغاز رأی گیری، رژیم جمهوری اسلامی کلیه اقدامات لازم برای اطمینان از پیروزی رئیس قوه قضائیه را بعمل آورده بود. تنها چند هفته پیش از انتخابات، شورای نگهبان ایران، نهاد نظارتی تحت کنترل علی خامنه ای، رهبر جمهوری اسلامی، اکثریت قریب به اتفاق مخالفان رئیسی را بدون تأمل و بصورت یکطرفه رد صلاحیت نمود، از جمله بسیاری از نامزدهای اصلاح طلب مردمی که در ماه های قبل از حمایت عمومی برخوردار شده بودند.

رئیسی پیش از آنکه رئیس جمهور منتخب ملت ایران باشد، فرد منتصب نظام است. اعتبار وی به عنوان خودی رژیم، او را از نظر آیت الله ها به کاندیدایی ایده آل بدل نموده است. در واقع، احتمالاً درحال حاضر هیچ فرد در قید حیاتی که بیشتر از ابراهیم رئیسی در دستگاه حکومتی ایران مشارکت داشته، وجود ندارد. زندگی حرفه ای رئیسی در سن ۲۰ سالگی آغاز شد، زمانی که در سیستم قضائی دولت نوپای ایران آغاز به کار کرد، سازمانی که او خود روزی ریاست آن را بر عهده گرفت. گفته می شود رئیسی پس از مشارکت در کودتای سال ۱۳۵۷ که منجر به برکنار شدن شاه از قدرت گردید، از سوی نزدیکان روح الله خمینی، بنیانگذار انقلاب، مورد توجه قرار گرفت. او به سرعت در پستهای کلیدی قضائی در سطح شهری و بعدها منطقه ای منصوب گردید. در اواخر بیست سالگی، رئیسی دستیار دادستان پایتخت کشور، تهران بود.

عملکرد رئیسی در آن سال های نخست، نمونه ای از سوابق طولانی وی در توسل به زور برای سرکوب مردم ایران می باشد. وی شخصاً بر پرونده های بی شماری از جمله مخالفان سیاسی و فعالان ضد رژیم نظارت داشت و احکام سنگینی از جمله حکم اعدام صادر نمود. چندین روایت از شاهدان عینی گواهی می دهند که چگونه رئیسی خود در شکنجه و ضرب و شتم زندانیان سیاسی که بسیاری از آنها زن و کودک بودند، حضور داشته است. تجربه وی به عنوان دادستان در بدنام ترین جنایتش یعنی مشارکت در کشتار سال ۱۳۶۷ که طی آن هزاران زندانی از گروه های مختلف ضد رژیم در طی چند هفته به طور مخفیانه اعدام شدند، به اوج خود رسید. به گفته گروه های حقوق بشری که درخصوص این حادثه تحقیق و تفحص نموده اند، رئیسی 28 ساله، در آن زمان عضوی از هیئت چهار نفره ای بود که تک تک احکام اعدام را صادر کردند. به گفته افراد فراری از حکومت ایران، این کشتار منجر به مرگ بیش از 30 هزار نفر و تحمیل شکنجه و سایر انواع دیگر خشونت بر هزاران نفر شد که بسیاری از آنها بصورت مادام العمر، معلول و از کار افتاده گشتند.

با داشتن این سوابق، انتخاب رئیسی توسط آیت الله ها به عنوان رئیس دولت ایران امری بدیهی می باشد. به بیان ساده، رئیسی در استفاده از قدرت حکومت برای سرکوب مخالفان و فعالیت های ضد رژیم فردی متخصص گشته است. به گفته سازمان مجاهدین خلق، گروه مخالف ایرانی مستقر در پاریس، ابراهیم رئیسی در سه دهه گذشته در همه سرکوب های حکومتی در ایران نقش مستقیم داشته است.

ابراهیم رئیسی در روز ۲۸ خرداد سال ۱۴۰۰ با حضور در مسجد ارشاد رأی خود را در انتخابات ریاست‌جمهوری به صندوق انداخت. عکس توسط مریم کامیاب، (CC BY-SA 4.0)

تنها در دوره اخیر که جنبش های اعتراضی سراسری در بین مردم ایران طرفداران زیادی پیدا کرده است، رئیسی در راس سازش قوه قضائیه و نیروهای امنیتی جهت سرکوب وحشیانه فعالیت های ضد رژیم قرار داشته است. نام رئیسی همچنین پشت رسوایی شکنجه در کهریزک در سال ۱۳۸۸ مطرح می باشد که در آن فعالانی که در تظاهرات سراسری علیه تقلب در انتخابات شرکت داشتند، در زندان کهریزک واقع در شمال ایران زندانی و شکنجه شدند. تا سال ۱۳۹۴ طول کشید تا رژیم این رخداد را به رسمیت بشناسد.

رئیسی به عنوان رئیس قوه قضائیه یعنی پستی که تا زمان انتخاب شدن به عنوان رئیس جمهور در آن تصدی داشت، صدها مورد اعدام از جمله ۲۵۱ نفر در سال ۱۳۹۸، ۲۶۷ نفر در سال ۱۳۹۹ و نیز تعداد بسیاری اعدام در طول سال گذشته را در کارنامه خود دارد. بنا به گزارش عفو بین الملل، در زمان رئیسی، “مجازات اعدام به طور فزاینده به عنوان حربه ای برای سرکوب سیاسی علیه معترضان مخالف و اعضای گروه های اقلیت قومی مورد استفاده قرار گرفته است.” یکی از موارد خاص که اعتراض جامعه بین المللی را در پی داشت، اعدام وحشیانه نوید افکاری ورزشکار و کشتی گیر ایرانی بود که به دلیل مشارکت در اعتراضات ضد حکومتی به اتهام “محاربه علیه رژیم” انجام گرفت.

در سال ۱۳۹۸، زمانی که ایران شاهد بزرگترین موج ناآرامی های خود از زمان انقلاب بود، رئیسی در خط مقدم سرکوب خشونت آمیز گروه های فعال قرار داشت. او ضمن همکاری نزدیک با واحدهای پلیس و شبه نظامی، از آنها خواست که از هر شیوه لازم برای فرو نشاندن تظاهرات و جلوگیری از کنش گرایی بیشتر بهره گیرند. تحت امر رئیسی، هزاران مرد، زن و کودک در تجمعات دستگیر شده و بسیاری از آنها تحت شکنجه، ناپدید شدن قهری و سایر رفتارهای آزاردهنده و خشونت آمیز قرار گرفتند.

سیگنال آشکار ارسالی در پی “انتخاب” رئیسی، قصد رژیم ایران بر افزایش بیش از پیش تاکتیک های سرکوبگرانه است. همانطور که سازمان مجاهدین خلق در نشریه اخیر خود نوشت، رژیم باید به سرکوب ادامه دهد چرا که “راه دیگری برای مهار مخالفت” نمی شناسد. ترس همیشگی آیت الله ها از قیامی دیگر، خشونت و وحشیگری حکومت را اجتناب ناپذیر ساخته است.

رژیم ایران موضع خود را روشن ساخته است. و با به قدرت رسیدن ابراهیم رئیسی، تنها بر شدت سرکوب ها افزوده خواهد شد.

نوید صادقی روزنامه نگار مستقل حقوق بشر ساکن لندن و کارشناس امور ایران می باشد.

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برخورد قهرآمیز حکومت ایران با تجمعات اعتراضی در حمایت از «خوزستان تشنه» https://fa.globalvoices.org/2021/07/31/5426/ https://fa.globalvoices.org/2021/07/31/5426/#respond <![CDATA[Shahram Ebrahimpanah]]> Sat, 31 Jul 2021 10:23:01 +0000 <![CDATA[اعتراض]]> <![CDATA[ایران]]> <![CDATA[جهان]]> <![CDATA[حقوق بشر]]> <![CDATA[حکومت]]> <![CDATA[خاص]]> <![CDATA[خاور میانه و آفریقای شمالی]]> <![CDATA[رسانه‌ شهروندی]]> <![CDATA[سیاست]]> <![CDATA[محیط زیست]]> <![CDATA[موضوعات]]> https://fa.globalvoices.org/?p=5426 <![CDATA[سه سال پیش اعتراضاتی در غنی‌ترین استان ایران، خوزستان، علیه کم‌آبی آغاز گشت. همچون امروز، آن اعتراضات نیز با سرکوب مواجه شدند، زیرا معترضان فساد و سوء مدیریت حکومت را دلیل اصلی برروز مشکلات می دانند.]]> <![CDATA[

عفو بین‌الملل می‌گوید دست‌کم ۸ نفر درجریان سرکوب‌ها کشته شده‌اند

طرحی از اسد بیناخواهی، کاریکاتوریست ایرانی مقیم آلمان. منتشر شده با مجوز.

به دنبال ماه ها خشکسالی در غنی ترین استان ایران، خوزستان، که مردم منطقه دلیل وقوع آن را سوء مدیریت منابع آب آشامیدنی و کشاورزی از سوی مسئولین می دانند، از ۲۴ تیرماه اعتراضاتی در چندین شهر این استان جنوب غربی کشور آغاز گردید.

با گذشت چند روز از آغاز اعتراضات، عفو بین الملل در روز ۱ مرداد طی گزارشی مرگ دست کم ۸ نفر از معترضین و رهگذران، شامل یک نوجوان، به دنبال استفاده مقامات از سلاح جنگی جهت سرکوب اعتراضات را تأئید نمود. در حالی که رسانه های داخلی و مسئولین کشوری خبر از کشته شدن دست کم سه نفر، شامل یک مأمور پلیس و یک معترض، را داده اند.

جامعه چند قومی خوزستان مشتمل بر گروه بزرگی از ایرانیان عرب تبار به کررات نسبت به فقدان آب آشامیدنی اعتراض داشته که این اعتراضات همواره با سیاست های سرکوب گرانه حکومت مواجه بوده اند.
از زمان آغاز اعتراضات، دامنه تجمعات در ابراز همبستگی سایر شهروندان با مردم تشنه خوزستان به چندین استان دیگر نیز گسترش یافته است.

شعارهای ضد نظام در این تجمعات طنین انداز شده است. در برخی از شهرها، همچون ایذه، شعارهایی در حمایت از خاندان پهلوی و برعلیه جمهوری اسلامی شنیده می شوند. معترضان در تهران، شعار “مرگ بر دیکتاتور” و “نترسید، نترسید، ما همه با هم هستیم”، شعاری که یادآور اعتراضات خونین ضد حکومتی آبان ۹۸ می باشد، را سر دادند.

در حالی که حکومت ایران به دلیل سرکوب اعتراضات در استان نفت خیز خوزستان با طیف گسترده انتقادات از سوی سازمان های بین المللی و فعالان حقوق بشر و جامعه مدنی مواجه می باشد، آیت الله علی خامنه ای رهبر ایران روز جمعه گفت که عصبانیت معترضان به خشکسالی را درک می کند.

اعتراضاتی متفاوت؟

بر اساس برخی گزارش ها، دسترسی به اینترنت به مدت یک هفته در جریان اعتراضات در جنوب غرب کشور با اختلال مواجه بود.

کاهش ۴۰ درصدی بارندگی در ماه های اخیر یکی از دلایل کمبود سراسری آب می باشد که برای مردم خوزستان به نقطه اوج خود رسیده است. با این حال، معترضان تقصیر این کمبود را متوجه “مدیریت فاسد منابع آب و رویکرد متعصب در توسعه اقتصادی” می دانند.

افراد بسیاری نیز برای ابراز ناامیدی و ناخرسندی خود به شبکه های اجتماعی پناه برده اند.

این زن می گوید که آب کافی برای حیواناتش وجود ندارد و آنها در حال تلف شدن هستند، این تنها راه امرار معاش او و خانواده اش می باشد. او برای کمک التماس می کند. آیا کسی صدای او را می شنود؟ #خوزستان_آب_ندارد

هشتگ هایی از قبیل #خوزستان_تشنه_است و #خوزستان_آب_ندارد برای ابراز خشم از دولت و روشنگری در مورد اعتراضات و همچنین آزار و سرکوب معترضان مورد استفاده قرار گرفت.

مرد جوانی که یزله خوانی می کند، ميثم عچرش از اهالى ماهشهر (بندر معشور) است. وی در ۲۷ تيرماه سال ۱۴۰۰، هدف ۲ گلوله (یکی در ناحیه سر) قرار گرفت و در ۳۰ تيرماه جان خود را از دست داد. او من را به یاد یونس عچرش، ۱۷ ساله، می اندازد که به گفته رکنا در سال ۱۳۹۷ به دلیل فقر خودسوزی کرد. #خوزستان_تشنه_است

آنها جان مردم را می گیرند چرا که که آب می خواهند #خوزستان_آب_ندارد #خوزستان_تشنه_است #خوزستان_را_دریابید

محمود امیری مقدم، مدیر «سازمان حقوق بشر ایران» در اسلو، به صداهای جهانی گفت که اعتراضات جاری نشان دهنده خشم روزافزون بخش وسیعی از مردم ایران، به ویژه کسانی است که زمانی با رژیم همسو بودند. وی در مقایسه این اعتراضات با جنبش سبز در سال ۱۳۸۸، اظهار داشت:

The new protests belong to the lower middle class and the poor and are mainly from districts and peripheral parts of the country, while the Green movement, for instance, had its base among the upper-middle class in larger cities. While the protesters in the last two decades had, to some extent, sympathy with the so-called reformist faction, the new wave of protests don’t distinguish between different factions of the regime and are against the entire Islamic Republic State—an establishment that is not only repressive and brutal but it is also extremely corrupt and incompetent.

اعتراضات اخیر متعلق به طبقه متوسط رو به پایین و فقرا بوده و عمدتاً از نواحی و مناطق پیرامونی و غیر مرکزی کشور هستند، در حالی که به عنوان مثال جنبش سبز، پایگاه خود را در میان طبقه متوسط رو به بالا و در شهرهای بزرگ داشت. در حالی که معترضان در دو دهه اخیر تا حدی با جناح اصلاح طلب همفکری داشتند، ولی موج جدید اعتراضات بین جناح های مختلف رژیم فرقی قائل نشده و علیه تمامیت جمهوری اسلامی می باشد که نه فقط حکومتی سرکوبگر و ظالم، بلکه بسیار فاسد و بی کفایت است.

وی در ادامه افزود که زندگی مردم عادی با رشد فقر بیش از پیش از فساد و سوء مدیریت رژیم تأثیر پذیرفته است، در حالی که “رژیم دیگر پول نقدی ندارد که بتواند همچون گذشته برای یافتن حامیانی در میان فقرا هزینه کند.”

ویدئوی دیگری از شهروندان معترض در #بهارستان، #اصفهان در ساعات نخستین بامداد امروز. در این کلیپ، معترضان شعار می دهند ” جمهوری اسلامی نمی خواهیم”.  #خوزستان_را_دریابید  #اعتراضات_سراسری

روز سه شنبه، گروهی از فعالان مدنی و حقوق بشر از جمله نرگس محمدی، نویسنده کتاب “شکنجه سفید“، در حالی که به منظور حمایت از معترضان در خوزستان در مقابل وزارت کشور تجمع کرده بودند، برای چندین ساعت بازداشت شدند.

تعداد زیادی از هنرمندان، نویسندگان، حقوقدانان، ورزشکاران و انجمن ها به ویژه کانون نویسندگان ایران بیانیه هایی در حمایت از مردم خوزستان منتشر کرده اند. بیش از ۱۳۰ مستندساز ایرانی در بیانیه ای سرکوب معترضان را محکوم نموده و تأکید کردند که “آنها در کنار مردم تشنه خوزستان ایستاده اند”. گروهی از روزنامه نگاران داخل ایران نیز خواستار پایان سرکوب و سانسور در خوزستان شدند.

اعتراضات اخیر نه برای منطقه تازگی داشته و نه اولین نمونه ای است که در طی آن دولت با مشت آهنین با مخالفان برخورد کرده است. در سال ۱۳۹۷، عفو بین الملل بیانیه ای منتشر کرد و “نگرانی خود را از گزارش هایی مبنی بر توسل غیرضروری و افراطی نیروهای امنیتی به زور، علیه معترضان عموماً مسالمت جو در جریان اعتراضات آن زمان در استان خوزستان که خواستار آب آشامیدنی تمیز و سالم بودند” ابراز داشت.

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دختران قندهاری با استفاده از تبلت آموزش می‌بینند. https://fa.globalvoices.org/2021/06/09/5402/ https://fa.globalvoices.org/2021/06/09/5402/#respond <![CDATA[Hamidullah Rafi]]> Wed, 09 Jun 2021 10:16:43 +0000 <![CDATA[آموزش]]> <![CDATA[افغانستان]]> <![CDATA[تکنولوژی]]> <![CDATA[جوانی]]> <![CDATA[خاص]]> <![CDATA[رسانه‌ شهروندی]]> <![CDATA[زنان و جنسیت]]> <![CDATA[وبلاگ]]> https://fa.globalvoices.org/?p=5402 <![CDATA["زنان افغانستان آینده‌ی این کشور جنگ زده اند."]]> <![CDATA[

گفتگو با پشتنه درانی، معلمی که قبلاً مهاجر بود.

عکسی از پشتنه زلمی خان درانی، منتشر شده با مجوز.

زنان افغانستان بالاترین میزان بی‌سوادی را در جهان دارد. تعداد زیادی از دختران به دلیل «افزایش ناامنی، تبعیض، فساد و مشکلات مالی» به آموزش دسترسی ندارند و یا ترک تحصیل می کنند. در مناطق روستایی وضعیت خیلی آشفته‌تر ازین است.

با این همه، افرادی مانند پشتنه زلمی خان درانی برای آموزش دختران و زنان روستایی افغانستان که به گفته او «آینده افغانستان» است، آستین بر زده اند. وی که اصالتاً از ولایت قندهار افغانستان است، یک پلتفرم آنلاین را جهت دسترسی به آموزش و منابع برای دانش آموزان فراهم کرده است. اکنون به تعداد 900 تن از دختران و زنان دانش آموز که به نسبت کمبود منابع یا دانش آموزانی که مکان‌های آموزشی شان مورد حمله قرار گرفته اند با استفاده از تبلت (Tablet) از خانه‌های شان بصورت آنلاین آموزش می‌بینند. پشتنه درانی یکی از اعضای شبکه قهرمانان معارف ملاله، و سفیر جوانان در سازمان عفو بین الملل است.

در مصاحبه‌ام با وی، کنجکاو بودم تا از فعالیت‌های وی بیشتر بدانم. اما بخاطر طولانی بودن گفتگو، از ذکر کامل جریان مصاحبه درین گزارش خودداری شده است.

سامعه شهنوری: دوست داریم ابتدا در مورد نهادتان صحبت نمایید. می‌خواهیم در مورد نهاد آموزشی LEARN بیشتر بدانیم.

پشتنه زلمی خان درانی: مؤسسه آموزشی ما یک نهاد غیرانتفاعی است و روی سه برنامه اصلی آموزش، صحت مادران و توانمند سازی زنان فعالیت می‌کند. ما با دولت، مکاتب محلی، مردم و بزرگان قوم کار می‌کنیم. ما با نهاد رومی، که یک سازمان غیر انتفاعی کانادایی است نیز تفاهم‌نامه همکاری داریم. از طریق پلتفرم‌های آنلاین و آفلاین آنها، مواد و منابع آموزشی را نه تنها به دختران دانش آموز بلکه به زنان در ولایت قندهار نیز فراهم ساخته ایم. این مواد آموزشی موضوعات مختلفی از جمله آموزش منابع مالی، کارآفرینی تجاری و مبارزه با خشونت‌های خانگی و جنسیتی را شامل می شود.

برنامه/اپلکیشن آفلاین رومی در آموزش دانش آموزان ما نقش کلیدی دارد. پس از دانلود و نصب برنامه، تمامی منابع کتابخانه LEARN  به زبان های محلی، دری و پشتو، روی دستگاه بصورت آفلاین قابل دسترس می‌باشد. ما تبلت‌های با عمر باتری طولانی مدت را در اختیار دانش آموزان قرار می‌دهیم. این راهکار برای مردم قندهار که مانند سایر ولایات افغانستان برق ثابت و دوامدار ندارند، بسیار مؤثر تمام می‌شود.

برنامه ما طوری است که اگر 10 یا 20 دختر را ثبت نام می‌کنیم، پنج نفر آنها دانش آموز مکتب اند و حداقل یکی از آنها به عنوان مثال کورس قابلگی می‌خواند و برای آن قریه قابله می شود. ما با عملی ساختن این برنامه خیلی موفق بوده ایم و نتیجه ملموس بدست آورده ایم. امیدواریم به زودی بتوانیم این برنامه را در ولایت‌های پنجشیر و بامیان و سپس به ‌شهر‌های هرات و مزارشریف نیز گسترش بدهیم.

عکسی از پشتنه زلمی خان درانی، منتشر شده با مجوز.

سامعه: چی سبب شد که نهاد آموزشی LEARN را ایجاد کنید؟

پشتنه: درسال 2016 هنگامی که برای دانشگاه رفتن از پاکستان (جایی که در طول جنگ‌های داخلی افغانستان به همراه خانواده خود مهاجر بودم) به قندهار برگشتم، فهمیدم که میزان بی‌سوادی در بین دختران و زنان قریه خیلی بالاست. یکی از پسران کاکایم به من گفت که آنها به مکتب نمی‌روند. بسیاری از مکاتب مواد آموزشی و معلم نداشتند. برخی از مکاتب مورد حمله قرار گرفته و سوزانده شده بودند. آنجا بود که تصمیم گرفتم کاری برای این دانش آموزان بکنم.

در جامعه‌ی ما بیرون رفتن زنان از خانه ننگ است. در خانواده‌ی من زنانی وجود دارند که سال‌هاست از خانه بیرون نشده اند زیرا این کار (به دلیل ارزش‌ها و عرف سنتی) شرم پنداشته می‌شود. تغییر دیدگاه پیرمردانی با این طرز فکر دشوار و زمان‌بر است. بهترین گزینه برای عبور ازین وضعیت، فراهم ساختن زمینه کسب علم و دانش برای دختران و زنان است. چنانچه در جریان تحقیقاتم و صحبت با پسران کاکا و اقاربم، متوجه شدم که پسران کاکایم با تماشای تلویزیون، زبان هندی را یاد گرفته اند.

در سال 2018، من نهاد آموزشی LEARN  را با یک میز و یک تبلت در خانه تأسیس کردم. تنها کسانی‌که در ابتدا به رویای باسواد ساختن زنان و دختران دهات افغانستان به من ایمان داشتند، پدر و مادرم بودند. امروز، ما بیش از 900 دانش‌آموز راجستر شده را در برنامه‌ی خود داریم. ما توانسته ایم خدمات آموزشی را برای آنعده از دخترانی فراهم نماییم که هرگز نتوانسته اند از خانه خود بیرون بیایند، به مواد آموزشی دسترسی داشته باشند ویا مکا‌ن‌های آموزشی شان در جنگ ویران شده اند.

نمی‌توانم از پدری تقاضا کنم تا دخترانش را به مکتب بفرستد حالانکه آن مکتب درست پیش چشمانش سوخته است. اما من می‌توانم جایگزین مصؤن تری را ارائه دهم – دخترش می تواند در خانه بماند و از خانه تحصیل کند.

سامعه: بزرگ‌ترین حامی تان کی‌ بوده است؟

همیشه یک شخص در زندگی ما وجود دارد که از ما شخصیت می‌سازد. برای من، پدرم بزرگ‌ترین حامی و پشتبانم بوده است. فرزند اول پدرم یک دختر بوده است. اما پدرم، به حیث کلان قوم، مدام برای مردم مرا پسر وانمود می‌کرده است. او از آغازین زندگی به من باور داشت. او به من آموخت که هرگز جنسیتم مانعی برای دست‌یافتن به قله‌های آرزوهایم نشود. او همیشه برخورد بهتری به من نسبت به ‌پسران خانواده ما داشت. برای همین من به کارهای که انجام میدهم اعتماد به نفس دارم.

زمانی که در کویته پاکستان مهاجر بودیم، پدرم یک مکتب را برای دختران مهاجر افغان ایجاد کرد تا خواهرش که طلاق گرفته بود باسواد شود و دختران و زنان دیگر نیز از نعمت خواندن و نوشتن بهره ببرند. پدر و مادرم در سال‌های ۱۹۹۷-۱۹۹۸ در آن مکتب انگلیسی و ریاضی تدریس می‌کردند. پدرم همیشه الگو و انگیزه کارهایم بوده است.

سامعه: با چی چالش‌های مواجه استید؟

پشتنه: خوش‌شانسی من در این بود که پدرم بزرگ قوم بود و به همین سبب مردم برایم احترام داشتند، به حرف‌هایم گوش می‌دادند، و از من حمایت می‌کردند. با وجود این، گاهی اوقات پسرهای کاکایم فکر می‌کردند ظاهر شدن من در تلویزیون و صحبت کردن در مورد موضوعات تابو در افغانستان باعث شرمساری خانواده است.

زنان پشتون در جامعه‌ به‌شدت زیر ارزش‌های قبیله‌ای و عرف‌های سنتی گیر مانده‌اند که کار مرا به چالش مواجه می‌کند، اما با آن‌هم کار من خیلی مهم است.

بیرون شدن زنان از خانه در فرهنگ و عرف قبیله‌ای پشتون‌ها، یک چالش است، مانند من زنان زیادی هستند که با چنین مشکلی مواجه‌اند. بارها برای من گفته‌اند باید خاموش شوم؛ چون هم یک زن جوان هستم وهم با دولت کار می‌کنم. افزون به بر آن؛ مردم در کابل نیز نمی‌توانند به‌صورت روشن در مورد حقوق زنان ساحات دوردست صحبت کنند، ما می‌بینم و نگاه‌ها و عمل در این مورد متفاوت است.

من خیلی نگرانم؛ زیرا جامعه‌ جهانی نیز به زنان ساحات دورافتاده – بیرون از کابل توجه ندارند. در حالی‌که توسعه‌ی حقوق زنان در بیرون از کابل – ساحات دور است – نقش سازنده‌ی در ثبات افغانستان بازی می‌کنند.

عکسی از پشتنه زلمی خان درانی، منتشر شده با مجوز.

سامعه: پیام تان به سایر زنان افغانستان چیست؟

پشتنه: به آنان توصیه می‌کنم تاریخ زنان افغانستان را بخوانند، به ویژه زنانی مانند گوهرشاد بیگم، زرغونه انا، نازو انا، ملالی میوند، شاعر افغان در قرن پنجم، رابعه بلخی و ملکه ثریا را مورد مطالعه قرار دهند. وقتی من کوچک بودم، پدرم برایم داستان سفید برفی یا سیندرلا را نمی‌خواند. او از زندگی این زنان با شهامت افغان که پیشگام بودند و تاریخ افغانستان را تغییر داده اند، برایم قصه می‌کرد. من از آن‌ها الهام می‌گیرم.

همچنین، توصیه من به دختران جوان این است که وقتی ایده‌ای در ذهن دارید، در مورد آن با افرادی که به آن‌ها اعتماد دارید صحبت کنید. تحقیق نمایید و افرادی را شناسایی کنید که کارهای را که شما می‌خواهید، انجام داده است. ببینید برنامه‌های آن‌ها چگونه بر مردم تأثیر گذاشته است و سپس مدل/برنامه خودتان را آماده کنید. از همه مهمتر، مطمئن شوید کاری که می‌خواهید انجام دهید پایدار باشد و تأثیر طولانی مدت بر جامعه و مردمی که برای شان خدمت می‌کنید داشته باشد.

هنگامی که نهاد آموزشی LEARN را آغاز می‌کردم، مدل کاری فرشته فروغ، بنیانگذار Code to Inspire و شبانه بسیج راسخ، بنیانگذار مکتب رهبری افغانستان (SOLA)، که یک مکتب شبانه روزی برای دختران است، را تعقیب نمودم. فرشته و شبانه نهادهای را تأسیس کرده اند که زندگی بسیاری از مردم افغانستان، به ویژه زنان افغان را که آینده‌ی این کشور جنگ زده اند، متحول می‌سازد.

در افغانستان، بسیاری از پروژه‌ها مؤثریت پایدار ندارند زیرا اعضای جامعه در تشکیل راه حل سهم ندارند. از طریقLEARN ، می‌خواهم این وضعیت را تغییر دهم. من به مردم قریه‌جاتی که در آنجا کار می‌کنم یاد آور می‌شوم که برای همیشه در آنجا نخواهم بود تا برای معاینه زنان مریض تان داکتر بفرستم. یکی از دختران شما باید قابله شوند تا بتواند از تمامی مریضان قریه پرستاری کند. بنابراین هریک تان مسئولیت دارید که دختران‌تان را به مکتب بفرستید.

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سیزده کار ممنوعه در تاجکستان https://fa.globalvoices.org/2021/06/06/5098/ https://fa.globalvoices.org/2021/06/06/5098/#respond <![CDATA[Hamidullah Rafi]]> Sun, 06 Jun 2021 06:49:13 +0000 <![CDATA[آزادی بیان]]> <![CDATA[آسیای مرکزی و قفقاز]]> <![CDATA[اعتراض]]> <![CDATA[تاجیکستان]]> <![CDATA[جوانی]]> <![CDATA[حقوق بشر]]> <![CDATA[حکومت]]> <![CDATA[خاص]]> <![CDATA[دین]]> <![CDATA[رسانه‌ شهروندی]]> <![CDATA[زنان و جنسیت]]> https://fa.globalvoices.org/?p=5098 <![CDATA[مردم تاجیکستان در مهمان نوازی شهرت دارند، اما دولت آنها چنین نیست. برخی از افراد محلی به شوخی می گویند تنها ممنوعیتی که هنوز وضغ نشده اند اینست که ممنوع سازی ممنوع شود.]]> <![CDATA[

تاجکستان در شمال‌شرقی افغانستان موقعیت دارد و اینجا، در نقشه با رنگ سرخ نشانی شده است.

در چند سال اخیر، کشور تاجکستان با ممنوع قرار دادن بعضی کارها شهرت یافته است. به نظر میرسد برخی از این ممنوعیت‌ها بخاطر ترس دولت از افراط گرایی مذهبی باشد، اما علت بعضی ممنوعیت‌ها به سختی قابل درک است.

1. لزومی به تجلیل از سال نو میلادی نداریم. اینجا (دیگر) اتحاد شوروی نیست.

شخصیت‌های معروف سال نو، دِد موروز و سنیگوخا در میدان لینین واقع در ورنیج، روسیه. عکسی از شالین

از سال 2015 بدینسو، کسی نمی‌تواند در تاجکستان از سال نو میلادی تجلیل نماید. دولت تاجکستان تجلیل از سال نو را که مهمترین جشنواره عصر کمونیستی درین کشور شمرده می‌شد، در مکاتب و دانشگاه‌ها ممنوع قرار داده است. بطور خصوصی، فامیل‌های تاجیک هنوز اجازه‌ی تجلیل از سال نو را دارند، اما برای محافل خصوصی نیز محدودیت‌های وضع شده اند که توصیه میشود آنر جداً در نظر داشته باشیم.

2. تجلیل از هالووین یا هولی ممنوع است. اینجا امریکا یا هند نیست!

هندی‌ها در حال تجلیل از جشن هولی. عکسی از پشمینو

نظر به گزارش سازمان ایروشیانِت:

در 26 ثور 1395، پولیس دست به خشونت زد و گروه از جوانانی را که در شهر دوشنبه از جشنواره هندی «هولی» تجلیل می‌نمودند، پراکنده ساختند. این جشنواره در تاجکستان مغایر فرهنگ اسلامی شمرده شده و تجلیل از آنرا حرام میدانند. درین جشنواره علیه کودکان زیر سن قانونی از خشونت کار گرفته شدند که تهدید بزرگی علیه عموم مردم به شمار میروند.

با این حال، چنانچه شاعری می‌گوید: خدا گر ز حکمت ببندد دری – ز رحمت گشاید در دیگری.

تاجیک‌ها اکنون روزهای دیگری دارند که می توانند آزادانه جشن بگیرند. جدیداً در تاجکستان روز شانزدهم نوامبر به حیث روز ریاست جمهوری، 24 نوامبر روز ملی بیرق و پنجم اکتوبر که برابر است با سالروز تولد رییس جمهور امام علی رحمان، بحیث روز زبان ملی تخیص داده شده است.

تعداد بسیار کمی تاجک‌ها هولی را جشن می گیرند. اما این جشنواره‌ی معروف در سال گذشته، مانند سال‌های 2013 و 2014 سرکوب گردیده و کسانی که لباس‌های بالماسکه پوشیده بودند و آنانیکه خودشان را به شکل خون آشام در آورده بودند توسط پولیس بازداشت شدند. مضحک اینجاست که پولیس بعد از برهم زدن چنین مراسمی، آنرا خلاف رسم و عنعنات اسلامی میخواند. بوضوح دیده میشود که مقامات محلی نیز در هماهنگی با پولیس از چنین مراسمی آب خوش نمی‌خورند.

اما واقعن چگونه تعطیلاتی را مقامات تاجکستانی دوست دارند؟ خیلی ساده می‌توان گفت: نوروز. نوروز که اعتدال بهاری را به تصویر می کشد و زبان خوش طبیعت نیز نامیده می‌شود، در کشور سکولار و اکثریت مسلمان تاجکستان روحیه مذهبی را تقویت میبخشد و در میراث فارسی تاجکستان زمین از جایگاه ویژه‌ای برخوردار است.

3. پول تان را به رُخ دیگران نکشید. جشن تولدتان را در خانه تجلیل کنید.

کیک سالروز تولد از ویل کلیتون.

اگر جرئت داری که سالروز تولدت را در رستورانت یا کافه تجلیل نمایی، پس برای پرداخت جریمه نیز آماده باش.

امیربیگ عیسایوف زمانیکه جشن تولدش را در بیرون از خانه در یک رستورانت در شهر دوشنبه تجلیل می‌کرد، مکلف به پرداخت 600 دالر جریمه گردید که این مقدار کفاف چهار ماه دست مزد وی می‌باشد. دادستانی‌ها زمانی پرونده عیسایوف را در دادگاه باز کردند که عکس‌های تجلیل از سالروز تولد وی با کیک سالگیره در صفحه اجتماعی فسبوک منتشر گردید. اگر وی سالروز تولدش را با چند خوراک کباب تجلیل می‌کرد، شاید حالا با چنین درد سری مواجه نمی‌شد.

4. جشن فراغت ممنوع! زندگی واقعی تان بعد از مکتب شروع می‌شود که به مراتب دشوارتر است، پس نیازی به جشن و پایکوبی ندارید.

عکسی از سین مک گرات

آیا فکر می‌کنید دولت با این کارشان خوشی‌های دیگران را برهم میزنند، آری؟ جشن فراغت، که یکی از رسم و رسوم‌های مهم دوران اتحاد شوروی به شمار می‌روند، در سال 2016 از طرف دولت ممنوع اعلان شد. مقامات هرگز دلیل این کارشان را ابراز نکردند، اما گمان می‌شود این کار را به دو دلیل انجام داده باشند. داد و گرفت تحایف میان شاگردان و استادان، و خراب‌کاری‌های فارغین نشه در پایتخت کشور، شهر دوشنبه. در هر صورت، فارغ التحصیلی از مکتب در حال حاضر بسیار خسته کننده است.

5. مصارف کمرشکن در عروسی ممنوع است.

خرچ و مصارف در عروسی‌ها واقعن کمرشکن بود. ما مدیون قوانین و مقررات سختگیرانه هستیم. همان قوانینی که امیربیگ عیسایوف را تحت پیگرد قرار داد. آخرین اصلاحات قانونی که برای اولین بار در سال 2007 به اجرا در آمد، از معیاری‌ترین قوانین بوده که بر اساس آن دولت مردم را تشویق می‌نماید که هزینه‌ها و مصارف را در مراسم و محافل مهم زندگی کاهش دهد.

قسمتی از مقاله‌ ای را که رایو آذادی اروپا در ماه سپتامبر سال 2017 منتشر کرده بود نشان میدهد که چی بلایی می‌تواند بر سر فامیل‌های که از قوانین سرپیچی می‌کنند، بیاید.

زیدالله خدایاروف که در جنوب تاجکستان بودباش دارد، آمادگی نهایی را برای تجلیل از مراسم عروسی بزرگترین دخترش گرفته بود.

چند ساعت قبل از شروع مراسم، گروپی از مسؤلین محلی به خانه یورش می‌برند و تمام غذا‌های را که جهت پذیرای از مهمانان ترتیب داده شده بودند ضبط می‌کنند.

مسئولین پختن این مقدار غذا را در مراسم عروسی “اصراف” دانسته و آنرا خلاف قانون جدید تاجکستان میدانند که تعداد اشتراک فامیل‌ها را در مراسم عروسی، تشییع جنازه، و تمامی مراسم‌های شخصی مشخص می‌سازد.

خالمراد ابراهیموف، یک‌ تن از مسئولینی که در یورش 28 آگست حضور داشت، می‌گوید:”ما این‌کار را بخاطر جلوگیری از قانون شکنی‌ها در قریه‌جات انجام دادیم“.

ابراهیموف در 18 سپتامبر گفت: “در هنگام عملیات، وقتی متوجه شدیم خانواده داماد مقدار زیادی مواد غذایی از قبیل نان پرکی و حلوا را برای ضیافت مهمانان آماده كرده اند.” “ما مواد غذایی را توقیف کردیم و آن را به شفاخانه روان درمانی کلوب تحویل دادیم.”

ابراهیموف می‌گوید که هزینه این غذاها با درآمد خانواده‌های فقیر همخوانی ندارد.

6. ناله و فریاد بر سر جنازه‌ها ممنوع است.

مراسم تشییع جنازه اینکا آتاهوالپا توسط لوئیس مونترو، 1867.

بلی! این ممنوعیت حدود دو ماه قبل بدینسو وضع شده است.

7. لباس‌های ملی ما خوبست. لازم نکرده لباس‌های بیگانه بپوشید.

چندین رسانه غربی در ماه سپتامبر امسال گزارش دادند که تاجکستان حجاب را ممنوع اعلام کرده است. گرچه در قانون تصویب شده مشخصاً از حجاب یاد آوری نشده است اما گفته می‌شود این قانون به حمایت از لباس‌های ملی یا سنتی در برابر لباس‌های خارجی تصویب شده است. زندگی در سال‌های اخیر برای زنان حجاب پوش سخت‌تر شده است، زیرا دولت نوعیت لباس‌های را که در آسیای میانه و همسایگی افغانستان مروج است، سرکوب می کند.

علاوه بر ممنوعیت پوشیدن حجاب در مراکز آموزشی دولتی، ممنوعیت فروش حجاب در برخی از شهرها نیز وجود داشته و گزارش شده است که برخی شفاخانه‌های دولتی از پذیرش بیماران حجاب پوش اجنتاب می‌ورزند. زنان تاجیک هنوز هم می توانند سر خود را بپوشانند، توصیه می‌شود این کار را نکنند، اما هرگز نمی‌توانند چانه‌های شان را بپوشانند.

Original image from Atlas of Beauty. Viral image shared by rise.gr.

تصویر اصلی اطلس زیبایی. این تصویر توسط ris.gr به اشتراک گذاشته شده است.

8. ران‌های تان را بپوشانید.

Meme shared on Vk.com

این طرح در سایت vk.com به اشتراک گذاشته شده است.

همانطور که گفته شد، شما نمی توانید فرهنگ ممنوعیت دولت تاجیکستان را دسته بندی کنید. در حالی که لباس های خاورمیانه‌ای با دشواری روبرو هستند، پوشیدن لباس های آشکارکننده بدن در تاجکستان ممنوع هستند.

در حقیقت، از سال گذشته بدینسو پوشیدن شلوارک در ساختمان‌های دولتی تاجیکستان شبیه کشور عربستان سعودی ممنوع اعلان شده است. پوشیدن دامن کوتاه، مدت هاست که در مکاتب/مدارس ممنوع است و رسماً در ملأ عام جریمه می شود.

قبلاً دیده ایم زنان تاجیک با لباس ایده آل چگونه به نظر می رسد، در عکس بالا نمونه ای از یک مرد تاجیک با پوشش مناسب را می‌بینید.

9. ریش گذاشتن ممنوع است.

احتمالاً پوشیدن این تی‌شیرت در تاجکستان ممنوع است.

گذاشتن ریش‌های دراز در تاجیکستان غیر رسمی هست اما هیچ قانونی به طور خاص ریش را منع نمی کند. روحانیون مذهبی در کشور بر نحوه گذاشتن ریش نظارت دارند و برای مردم دستور داده شده است که ریش ها را حداکثر به طول سه سانتی متر نگه دارند. بعلاوه، ظاهراً به پولیس تاجیکستان اختیار داده شده است تا هزاران مرد ریش دار را به زور تراش دهد. در یکی از وبلاگ‌های معروف که در سال 2015 صداهای جهانی نیز از آن نقل قول نمود، وبلاگ نویس، رستم گلوف از تراشیده شدن ریشش با زور چنین شکایت کرد:

آن‌ها سراغ من نیز آمدند… امروز سه افسر پولیس مرا به فرماندهی پولیس خجند بردند و به زور ریشم را تراش کردند. این کشور آینده‌ی ندارد!

10. انتخاب اسم‌های خارجی یا اسم‌های خنده دار برای کودکان جواز ندارد.

رئیس جمهور باراک اوباما، و بانوی اول، میشل اوباما، هنگام پذیرایی در موزه متروپولیتن نیویورک با امام‌علی رحمان رئیس جمهور تاجیکستان، چهارشنبه 23 سپتامبر 2009. (عکس رسمی کاخ سفید توسط لارنس جکسون)

این قانون مربوط به گروه‌های قومی تاجیکستان است. از سال 2016، شهروندان مکلف اند اسامی فرزندان خود را براساس فهرست اسامی که توسط دولت تهیه شده اند، انتخاب نمایند. قابل یادآوری است که بعضی از اسامی معروف عربی ازین فهرست استثنا می‌باشد. بر اساس گفته‌های مقامات این قانون بخاطر جلوگیری از نامگذاری کودکان به نام‌های وسایل خانگی مانند “کلنگ” وضع شده است.

11. رستورانت‌های خارجی نیز ازین قانون مستثنا نیستند!

معادل نام این رستورانت به زبان تاجیکی چیست؟ عکس از صفحه ژینگیانگ.

آیا یک رستورانت ایتالیایی در شهر دوشنبه افتتاح می کنید؟ آن را بیلا ایتالیا یا موارد مشابه آن نامگذاری نکنید. زیرا قانون مربوط به زبان دولتی حکم می کند که رستورانت‌ها باید اسم تاجیکی داشته باشند. در عمل، همیشه هم اینطور نیست. به گزارشی از اوپن آسیا، یک رستورانت هندی بخاطر نامگذاری رستورانت به‌نام سلام نمستی، خلاف قانون عمل نموده و مجبور به پرداخت جریمه ای نزدیک به 100 دلار شد.

12. فعالیت‌های ورزشی بوکس، مبارزات داخل قفس و سایر ورزش‌های خشن جواز ندارد.

عکسی از جریان مشت زنی فلوید می ودر و کانور مک گرگور. عکس صفحه از Vimeo.com.

دوشنبه احتمالاً به این زودی ها میزبان کانر مک گرگور نخواهد بود. امسال وزارت ورزش و فرهنگ تاجیکستان بوکس حرفه ای را به همراه انواع مختلف هنرهای رزمی ممنوع کرد. در مورد ممنوعیت پیشنهادی در ماه سپتامبر، خبرگزاری فرانسه چنین نوشت:

کمیته تربیت بدنی تاجیکستان روز چهارشنبه اعلام کرد: از آنجاییکه فعالیت‌های ورزشی بوکس حرفه‌ای و تعدادی از انواع دیگر ورزش‌های رزمی به خشونت و افراط گرایی تشدید می‌بخشد، در پی ممنوع ساختن آن‌هاست.

این کمیته در بیانیه‌ای اعلام کرد “این ممنوعیت‌ها با در نظرداشت (ضرورت) جلوگیری از خشونت، و پیشگیری از تنزیل عزت و شرافت در ورزش مطرح شده است.”

این ممنوعیت زمانی به اجرا در آمد که مقامات “گوشتینگیری” را که یک هنر رزمی ملی اند به عوض سایر ورزش‌های رزمی پیشنهاد نمودند. تحقیقات نشان داده است که ورزش‌های خشونت‌زا در میان برخی از افراد جذب شده داعش محبوب است. مقامات تاجیکستان می گویند بیش از هزار شهروند این کشور به گروه های افراطی پیوسته اند که در عراق و سوریه می جنگند.

13. استفاده از پهپاد (درون) به منظور فلمبرداری ممنوع است!

این عکس در جریان مجمع عمومی اعضای صداهای جهانی از 60 کشور توسط پهپاد گرفته شده است. گرفتن چنین عکسی در سال 2015 ممکن بود، اما یک سال بعد از آن ممنوع اعلان شد. کردت عکس به @ka_bino مربوط می‌شود.

با خواندن این متن شاید فکر کرده باشید که مردم در تاجکستان اجازه پرواز وسایل هدایت پذیر از راه دور را در آسمان این کشور نداشته باشند. درست فکر کرده اید.

اما تاجیکستان جز اولین کشورهایی نبود که هواپیماهای بدون سرنشین را ممنوع اعلام کرد و سال گذشته این ممنوعیت به اجرا درآمد. قانونگذاران این کشور در پارلمان کشور اصلاحات در کد هوایی کشور با هدف “جلوگیری از پروازهای هواپیماهای بدون سرنشین توسط سازمان‌های تروریستی و قاچاقچیان مواد مخدر” را بوجود آوردند.

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اعتراضات بلوچ ها، حکایت از سرکوب این اقلیت قومی در ایران دارد https://fa.globalvoices.org/2021/03/15/5375/ https://fa.globalvoices.org/2021/03/15/5375/#respond <![CDATA[Shahram Ebrahimpanah]]> Mon, 15 Mar 2021 13:25:42 +0000 <![CDATA[اعتراض]]> <![CDATA[انگلیسی]]> <![CDATA[ایران]]> <![CDATA[حقوق بشر]]> <![CDATA[خاص]]> <![CDATA[رسانه‌ شهروندی]]> https://fa.globalvoices.org/?p=5375 <![CDATA[جمعیت بلوچ ساکن مرزهای ایران، افغانستان و پاکستان، اقلیتی محروم و رانده شده به حاشیه جامعه می‌باشند که فرصت‌های اقتصادی ناچیزی برای آنها فراهم شده و بطور سیستماتیک هدف خشونت‌ حکومتی بوده‌اند.]]> <![CDATA[

سپاه پاسداران دست‌کم به ۱۰ سوخت‌بر غیرمسلح بلوچ شلیک کرد

تجمع و تظاهرات معترضین بلوچ در نزدیکی یک ساختمان دولتی در سراوان. منبع عکس: شورای ملی مقاومت ایران. منتشر شده با مجوز.

در پی تیراندازی مرگبار نیروهای نظامی رژیم ایران در اوایل این ماه که منجر به کشته شدن حداقل ده سوخت‌بر بلوچ گردید، اعتراضات ضد دولتی در جنوب شرقی استان سیستان بلوچستان آغاز شد و دهه ها سرکوب و غفلت علیه مردم بلوچ نیز به آن دامن زد.

مانیتورینگ حقوق بشر ایران، یک گروه محلی از فعالان ناظر بر نقض حقوق بشر در جمهوری اسلامی، در توییتر چنین نوشت:

نیروهای سپاه پاسداران در نقطه مرزی سیستان و بلوچستان در جنوب شرقی #ایران با شهروندان بلوچ این منطقه درگیر شدند.

منابع محلی می گویند که در این درگیری حداقل 8 نفر کشته و دهها نفر زخمی شده اند.

نیروهای سپاه سابقه تیراندازی به شهروندان فقیر بلوچی که برای تأمین هزینه های زندگی خود مجبور به حمل سوخت می باشند، را دارند.

سیستان بلوچستان محروم ترین استان ایران می باشد که تقریباً نیمی از جمعیت ۱.۳۴۶ میلیون نفری آن در زیر خط فقر زندگی می کنند. همچنین تنها استان ایران است که در آن جمعیت ساکن روستاها بیش از شهرنشین ها بوده و در طول تاریخ همواره از منابع و کمک های دولتی بی بهره بوده است.

این حادثه تیراندازی، آخرین مورد در تاریخ طولانی تبعیض علیه بلوچ ها در ایران می باشد. جمعیت بلوچ ساکن مرزهای ایران، افغانستان و پاکستان، اقلیتی از نظر تاریخی در محرومیت و رانده شده به حاشیه جامعه می باشند که فرصت های اقتصادی بسیار ناچیزی برای آنها فراهم شده و به طور سیستماتیک همواره هدف خشونت‌ حکومتی بوده‌اند.

عفو بین الملل در بیانیه ای در روز ۱۲ اسفند نسبت به این رخداد واکنش نشان داشت:

Testimony from eyewitnesses and victims’ families, coupled with video footage geolocated and verified by the organization’s Crisis Evidence Lab, confirms that on that day [February 22], Revolutionary Guards, stationed at Shamsar military base, used live ammunition against a group of unarmed fuel porters from Iran’s impoverished Baluchi minority causing several deaths and injuries… At least 10 people, including a 17-year-old boy, were killed on 22 February, according to Baluchi human rights activists who interviewed primary sources.

شهادت شاهدان عینی و خانواده‌های قربانیان، همراه با فیلم های ویدئویی که توسط «آزمایشگاه شواهد بحران» سازمان عفو بین‌الملل مکان‌یابی و تایید شده‌اند، نشان می‌دهند که در آن روز (۴ اسفند)، ماموران سپاه پاسداران، مستقر در پاسگاه نظامی شمسر، با سلاح گرم به سمت سوخت‌بران غیرمسلح، متعلق به اقلیت ستمدیده بلوچ، شلیک کرده‌ و باعث کشته و زخمی شدن چندین نفر شده‌اند. … بر اساس تحقیقات فعالان حقوق بشری بلوچ که با منابع دست اول مصاحبه کرده‌اند، حداقل ۱۰ نفر، از جمله یک پسر ۱۷ ساله، در روز ۴ اسفند کشته شدند.

به دنبال این کشتار، اعتراضاتی در استان سیستان بلوچستان آغاز گردید که در طی آنها معترضین یک اتومبیل پلیس را به آتش کشیده و ساختمانهای دولتی را اشغال کردند. گفته می شود که درجریان درگیری ها بین مردم و مقامات، دست کم یک افسر پلیس کشته شده است. بنا به گزارشات، مقامات محلی ارتباطات اینترنتی را قطع نمودند. در همین حین گزارش ها از سوی گروه های حقوق بشری حاکی از دستگیری های متعدد معترضین دارند.

این اعتراضات نشان دهنده نارضایتی ریشه دار به دنبال دهه ها بی توجهی حکومت نسبت به ساکنین این منطقه است. براساس گزارشی که در خرداد ۱۳۹۵ از سوی نشریه گزارش حقوق بشر ایران منتشر گردید، بودجه عمرانی بلوچستان کمتر از یک هزارم کل بودجه کشور است. در این گزارش آمده است:

More than half of the development budget is spent on security and policing in the province. While hundreds of billions of tumans (a unit of 10 rials) are spent to establish security and police stations and Revolutionary Guard Centres, many students continue to occupy sheds as classrooms.

بیش از نیمی از بودجه عمرانی این استان صرف پروژه های امنیتی و نظامی می شود. علیرغم صرف صدها میلیارد تومان برای احداث پادگان های مختلف نظامی و قرارگاه های متعدد سپاه پاسداران در استان، هنوز هم بسیاری از دانش آموزان بلوچ در مدارس کپری تحصیل می کنند.

فقدان منابع اقتصادی با سیاست ها و رویه هایی همراه شده که علیه بلوچ سنی از نظر فرهنگی و مذهبی تبعیض قائل می شوند. فشار ها برای به حاشیه بردن هویت بلوچی با این واقعیت که بسیاری از کودکان بلوچ در ایران بدون مدارک هویتی زندگی می کنند، شدت بیشتری می یابد. بنابراین، نه تنها امکان تحصیل به زبان مادری از این کودکان سلب می گردد، بلکه در برخی موارد به طور کلی از داشتن تابعیت ایران محروم می شوند.

سرکوب های با مجوز دولت به همین جا ختم نمی شوند: برای دهه ها بلوچ ها در ایران به خاطر دستگیری، زندان و اعدام همواره هدف حملات بی شمار حکومت بوده اند. در سال ۱۳۹۵، معاون رئیس جمهور ایران با اشاره به روستایی در بلوچستان كه در آن همه مردان اعدام گشته و بازماندگان برای زنده ماندن به قاچاق متوسل شده اند، خبرساز شد.

بحث درمورد بلوچ ها مدتهای مدیدی است که با آنچه “تجارت غیرمجاز مرزی” نامیده می شود، گره خورده، و این امر به خودی خود به یک چارچوب مشکل ساز بدل گشته که اعمال محدودیت هایی در ارتباط با تجارت و جابجایی کالا را برای این قوم به همراه داشته است. بلوچستان تاریخی در مرز سه کشور قرار دارد و از بلوچ هایی که در این منطقه به تجارت مشغول هستند اغلب به عنوان “قاچاقچی” یاد می شود.

این برچسب ها سالهاست که برای توجیه سرکوب و کشتار بلوچ ها در پاکستان از سوی حکومت مورد استفاده قرار گرفته است.

خانواده های شهروندان بلوچی که در پی تیراندازی امروز سپاه زخمی شدند، در خارج از بیمارستان رازی سراوان واقع در جنوب شرق #ایران تجمع نمودند.

تصاویر تعدادی از شهروندان بلوچ که در جریان تیراندازی امروز نیروهای سپاه در استان سیستان و بلوچستان، جنوب شرقی #ایران کشته شدند.

برای دهه ها، هزاران بلوچ تحت عنوان قاچاقچی و یاغی مجرم شناخته شده، دستگیر و اعدام گشته اند، اتهاماتی که درگذشته همواره علیه سایر اقوام ساکن نقاط مرزی ایران نیز مطرح شده است.

در اوایل ماه جاری، سازمان ملل طی بیانیه ای ضمن محکومیت اعدام یک زندانی بلوچ، اعلام نمود که از اواسط ماه دسامبر سال ۲۰۲۰ حداقل ۲۱ زندانی بلوچ در زندان های زاهدان، مشهد و اصفهان اعدام شده اند. این بیانیه افزود که بسیاری از اعدام شدگان «به دنبال رویه های ناقص قضایی به اتهاماتی در ارتباط با مواد مخدر یا امنیت ملی محکوم شده اند».

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ظلم و تعدی حکومت ایران بر جامعه مسیحیان، دختر را از والدین نوکیش مسیحی اش جدا می کند https://fa.globalvoices.org/2021/03/06/5367/ https://fa.globalvoices.org/2021/03/06/5367/#respond <![CDATA[Shahram Ebrahimpanah]]> Sat, 06 Mar 2021 10:44:33 +0000 <![CDATA[اعتراض]]> <![CDATA[ایران]]> <![CDATA[حقوق بشر]]> <![CDATA[حکومت]]> <![CDATA[خاص]]> <![CDATA[خاور میانه و آفریقای شمالی]]> <![CDATA[دین]]> <![CDATA[رسانه‌ شهروندی]]> <![CDATA[سیاست]]> <![CDATA[قانون]]> <![CDATA[وبلاگ]]> https://fa.globalvoices.org/?p=5367 <![CDATA[حکم دادگاه برای سلب حضانت دخترخوانده از سام خسروی و همسرش درپی گرویدن ایشان به مسیحیت، نمونه‌ای از بهره‌گیری حکومت ایران از قوه قضائیه جهت اعمال فشار بر اقلیت‌ها است.]]> <![CDATA[

لیدیای دو ساله بدلیل وضعیت خاص سلامتی اش، شانس کمی برای فرزندخواندگی دارد

کاریکاتوری از شاهرخ حیدری که مقاومت مسیحیان ایران در برابر امنیتی سازی اوضاع توسط حکومت را به تصویر می کشد. منتشر شده با مجوز.

لیدیا در سال ۱۳۹۷، زمانی که توسط سام خسروی و همسرش، مریم فلاحی، در ایران به فرزندی پذیرفته شد، تنها ۳ ماه داشت. او حدوداً در سن دو سالگی و با وجود مشکلات جدی سلامتی، با حکم دادگاه در تیرماه ۱۳۹۹ از والدینش جدا شد. دلیل این امر گرویدن خسروی و همسرش از اسلام به مسیحیت بود که در نتیجه نمی توانستند یک کودک مسلمان زاده را به فرزندخواندگی بگیرند.

این پرونده حقوقی شاهدی است بر آنچه گروه های حقوق بشری از آن به عنوان سیاست سرکوبگرانه رژیم جمهوری اسلامی در قبال مسیحیان، به ویژه نوکیشان، یاد می کنند.

مطابق ماده ۱۳ قانون اساسی، ایرانیان زرتشتی، یهودی و مسیحی به همراه ارمنی ها و آشوری ها، و نه نوکیشان گرویده از اسلام، تنها اقلیت های دینی هستند که توسط حکومت ایران رسماً تصدیق شده و در حدود قانون آزادانه مجاز به انجام مناسک مذهبی خود می باشند.

تعداد مسیحیان در ایران بین ۵۰۰,۰۰۰ تا ۸۰۰,۰۰۰ نفر برآورد می شود، که بخشی از آنها اقلیت های آشوری و ارمنی بوده، ولی اکثریت با نوکیشان مسیحی می باشد. این تعداد کمتر از یک درصد جمعیت ۸۳.۵ میلیون نفری ایران است.

درحالیکه اقلیت های دینی مورد تأیید حکومت همچنان با تبعیض ساختاری روبرو می باشند، رژیم جمهوری اسلامی، اقلیت های مذهبی که در قانون اساسی به رسمیت شناخته نشده اند، به ویژه نوکیشان مسیحی، را بطور گسترده و بی رحمانه تری مورد هدف قرار داده است.

در جریان دادگاه تجدیدنظر که در مهرماه برگزار شد و حکم فوق را تأیید نمود، قاضی اشاره کرد که لیدیا و پدر و مادر خوانده اش “پیوند عاطفی شدیدی” دارند و این زوج عشق و مراقبت های لازم برای رشد و تربیت او را فراهم کرده اند. وی در حکم خود افزود که این کودک حدوداً ۲ ساله به دلیل وضعیت سلامتی خاص خود، شانسی برای یافتن خانواده ای دیگر که او را به فرزندخواندگی بپذیرند، نخواهد داشت. با این حال ، دادگاه همچنان در مسیر از هم پاشیدن این خانواده گام برداشت.

پدر و مادر خوانده لیدیا نیز در گذشته هدف آزار و اذیت مقامات ایرانی قرار داشته اند. خسروی و همسرش، مریم فلاحی، از جمله اعضای خانواده مسیحی بودند که در تیرماه ۱۳۹۸ طی یورش هماهنگ نیروهای امنیتی به خانه هایشان در بوشهر دستگیر شده، و در تیرماه ۱۳۹۹، برای آنها احکام مختلفی از جمله حبس، جریمه نقدی، محدودیت های شغلی و تبعید داخلی صادر گردید.

حسین احمدی نیاز، ساکن هلند و یکی از وکلای لیدیا، به صداهای جهانی گفت که درخواست این خانواده برای شروع رسیدگی به پرونده در دادگاه عالی تاکنون بی پاسخ مانده است، و اگرچه کودک همچنان نزد والدینش است، ولی حکم اجرایی جدا کردن او از والدینش صادر شده است. وی افزود كه در آبان ماه نامه ای در خصوص پرونده لیدیا به جاوید رحمان، گزارشگر ویژه سازمان ملل در امور حقوق بشر ایران نوشته و از وی خواسته كه در این مورد مداخله نماید. این نامه نیز همچنان بی پاسخ مانده است.

احمدی نیاز، که در کارنامه کاری خود سابقه دفاع از بسیاری از فعالان حقوق مدنی و اعضای جوامع اقلیت را دارد، توضیح داد که مقامات اجرایی و قضایی در بوشهر مطیع خواسته های دستگاه های سیاسی و امنیتی می باشند. وی به صداهای جهانی گفت:
In the cases of Christian converts in Iran, the judicial system itself — i.e. the court and the court of law,– become the main tools of repression and oppression, because the security agents in their report on the case urged such a decision. When there are no basic principles of fair trial and judicial independence, the law and the court become a decoration and a show, and even the recommendations of two Shiite religious authorities do not work. Even that does not spare the child.

در مورد نوکیشان مسیحی در ایران، سیستم قضایی – یعنی قانون و دادگاه – خود به ابزار اصلی سرکوب و تعدی تبدیل شده اند، زیرا مأموران امنیتی در گزارش های خود بر این پرونده ها، مصرانه خواستار صدور چنین احکامی هستند. درجائیکه اصول اساسی دادرسی منصفانه و استقلال قضایی وجود نداشته باشد، قانون و دادگاه به یک شییء تزئینی و نمایشی بدل شده، توصیه های دو مرجع شیعه مدنظر قرار نگرفته، و حتی به یک کودک نیز رحم نخواهد شد.

دهه ها آزار و اذیت اقلیت های دینی

از سال ۱۳۵۷ تا کنون، تعداد زیادی از افراد با عقاید یا مذاهب اقلیت گوناگون همچون بهائیان، کردها و مسیحیان، به بهانه “اقدام علیه امنیت ملی” یا “تبلیغ علیه نظام” به زندان فرستاده شدند. این امر باعث شده تا ایران از سوی درهای باز، سازمان ناظر بر آزار و اذیت مسیحیان مستقر در انگلستان، به عنوان هشتمین کشور مسیحیت ستیز در جهان معرفی شود.

در روز ۲۳ دیماه، گروهی از کارشناسان حقوق بشر سازمان ملل از جمله احمد شاهد، گزارشگر ویژه سازمان ملل در امور آزادی ادیان و اعتقادات، نامه ای به دولت ایران نوشته و “نگرانی جدی” خود را نسبت به سرکوب گسترده و سیستماتیک اقلیت های مسیحی در ایران، به ویژه نوکیشان مسیحی، و “ایجاد جو امنیتی” علیه آنها ابراز نمودند.

حکومت ایران در پاسخ به پرسش های کارشناسان سازمان ملل در خصوص ۲۴ شهروند مسیحی که به دلیل اعتقادات شان مورد آزار و اذیت قرار گرفته اند، از موضع خود دفاع کرده و ادعا نمود که این افراد متهم به “اقدام علیه امنیت ملی” می باشند – اتهامی که در نامه کارشناسان سازمان ملل از آن به عنوان بازتاب “ایجاد جو امنیتی علیه اقلیت های دینی” در جمهوری اسلامی یاد شده است.

براساس گزارشی که از سوی چهار سازمان مسیحی در ماه فوریه منتشر گردید، حکومت ایران پس از انقلاب ۵۷ همواره “اهتمام بر تحمیل هویتی یکسان” بر پایه سیستم اعتقادی شیعه به مردم خود داشته، که این امر “سرکوب گروه های اقلیت – فرهنگ، سنن و اعتقادات مذهبی آنها و هر چیز دیگری که تهدیدی برای رژیم جمهوری اسلامی و ارزش های آن تلقی می شود – را به همراه داشته است.”

منصور برجی، مدیر اجرایی سازمان ماده ۱۸، یک سازمان فعال در زمینه دفاع از حقوق مسیحیان ایران و مستقر در لندن، به صداهای جهانی می گوید:

The challenges Christian face in today’s Iran is rooted in the intolerant views of the Islamic revolutionaries who want to maintain a monopoly or a total control over every aspect of people’s life, and most importantly, the rights to choose one’s own faith and practice it. The disturbing reality is that the state increasingly resorts to more violent methods to marginalize, dehumanize, and eliminate unrecognized Christians.

چالش هایی که امروز مسیحیان در ایران با آن مواجه می باشند، ریشه در دیدگاه های متعصب انقلابیون مسلمانی دارد که می خواهند انحصار یا کنترل کامل بر هر جنبه از زندگی مردم، و مهم تر از همه، بر حق انتخاب مذهب و عمل به آن در جامعه را در دست خود داشته باشند. واقعیت نگران کننده این است که حکومت به طور فزاینده ای برای به حاشیه راندن و حذف مسیحیانی که آنها را به رسمیت نمی شناسد، و نیز محروم کردن آنها از حقوق انسانی خود به روش های خشونت بارتری متوسل شده است.

واکنش ها

مورد لیدیا بحثهای زیادی را در داخل و خارج از کشور برانگیخت.
نامه سرگشاده ای با امضای ۱۲۰ وکیل و فعال حقوق مدنی خطاب به رئیس قوه قضائیه ایران منتشر گردید که از وی می خواهد تا رای دادگاه بوشهر را که برخلاف قوانین ایران و قوانین بین المللی است، متوقف و ابطال کند. در این نامه با استناد به چند ماده از قانون اساسی آمده است:

In particular, regarding the care and protection of abused or unaccompanied children, the constitution pays attention only to human and moral aspects, meaning that any Iranian citizen, regardless of his or her religion, can apply for custody of a child. Nowhere in these laws or regulations is there any mention of the religion of the applicant, but, rather, in the first place, being an Iranian citizen and of good moral character is the criterion for eligibility.

علی الخصوص برای سرپرستی و حمایت از کودکان بدسرپرست یا بی سرپرست، قانون اساسی صرفاً به جنبه انسانی و اخلاقی امر توجه کرده است، بدین معنی که هر شهروند ایرانی بدون توجه به نوع دین او می‌تواند درخواست سرپرستی یک کودک از بهزیستی را مطرح نماید. در هیچ کجای این قوانین و مقررات هیچ صحبتی از نوع دین یا مذهب متقاضیان نشده، بلکه در وهله‌ی اول ایرانی بودن و انسان اخلاق مدار بودن متقاضی ملاک عمل است.

برخی از مسیحیان ایرانی خارج از کشور در آبان ماه ۱۳۹۹، تجمعات اعتراضاتی برعلیه این حکم برگزار نمودند. “من هم یک مسیحی هستم” کمپینی است که توسط مسیحیان ایرانی مقیم استکهلم، سوئد، برای آگاهی بخشی در مورد مسیحیان ایرانی و سایر مسائل حقوق بشر در ایران ترتیب داده شده است.

ماری محمدی، نوکیش مسیحی و فعال حقوق بشر، که داستان زندان خود را در کتاب “شکنجه سفید” به اشتراک گذاشته، در یک توییت با کنایه در خصوص حکم لیدیا چنین اظهار نظر کرد:

درحالیکه حکومت ایران با سرکوب اقلیت های مذهبی، به شدت برای کنترل هویت ملت در تلاش است، رویکرد ایرانیان نسبت به دین و درک آن در اذهان عمومی تغییر کرده است. نظر سنجی که اخیراً توسط سازمان گمان در هلند، در میان اتباع ایرانی باسواد بالای ۱۹ سال انجام گرفت، نشان می دهد که تنها حدود ۳۲ درصد از ایرانیان خود را متعلق به مذهب شیعه (دین رسمی در ایران) می خوانند، و تقریباً نیمی از شرکت کنندگان در این نظرسنجی اعلام نمودند که دین خود را از دست داده اند.
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کایلی مور گیلبرت، پژوهشگر و استاد دانشگاه استرالیایی، در معاوضه با زندانیان ایرانی آزاد شد https://fa.globalvoices.org/2020/12/02/5362/ https://fa.globalvoices.org/2020/12/02/5362/#respond <![CDATA[Shahram Ebrahimpanah]]> Wed, 02 Dec 2020 14:54:58 +0000 <![CDATA[Good News]]> <![CDATA[استرالیا]]> <![CDATA[اسرائیل]]> <![CDATA[انگلیسی]]> <![CDATA[ایران]]> <![CDATA[تایلند]]> <![CDATA[حقوق بشر]]> <![CDATA[خاص]]> <![CDATA[رسانه‌ شهروندی]]> <![CDATA[روابط بین الملل]]> <![CDATA[سیاست]]> <![CDATA[قانون]]> <![CDATA[وبلاگ]]> https://fa.globalvoices.org/?p=5362 <![CDATA[مدت‌هاست که زمان برای آغاز همکاری میان ائتلافی از کشورهای دارای دموکراسی - درواقع همه دولت‌های مسئول – درحال گذر است تا یکبار برای همیشه به گروگان‌گیری دولتی که رژیم #ایران مبدأ آن است، خاتمه دهند.]]> <![CDATA[

این پژوهشگر 804 روز را در زندان‌های ایران سپری نمود

کایلی مور گیلبرت پس از آزادی اش از زندان در ایران

کایلی مور گیلبرت پس از آزادی اش از زندان در ایران. اسکرین شات از ویدیوی شبکه خبری SBS، 30 آبان 1399

آزادی کایلی مور گیلبرت پژوهشگر و استاد دانشگاه استرالیایی-انگلیسی پس از گذشت بیش از 800 روز اسارت در زندان های ایران، در استرالیا و جامعه بین المللی با شادی و شعف مورد استقبال واقع گردید. آزادی وی به دنبال معاوضه با 3 ایرانی زندانی صورت پذیرفت.

دکتر مور گیلبرت به اتهام جاسوسی از سپتامبر سال 2018 در زندان های ایران در اسارت بود. گزارش های منتشره حاکی از آن بودند که مور گیلبرت پس از کشف ارتباط وی با یک شهروند اسرائیلی، به اتهام جاسوسی برای اسرائیل بازداشت ومحاکمه گردیده است.

دانشگاه ملبورن جائیکه مور گیلبرت به سمت استادی در آن مشغول به کار بود، خشنودی خود را از اخبار آزادی وی چنین به اشتراک می گذارد:

ما از آزادی دکتر کایلی مور گیلبرت از زندان در ایران بسیار خشنود و خرسند می باشیم. معاون ریاست دانشگاه، پروفسور دونکان ماسکل، اظهار داشت که دکتر مور گیلبرت در کمال سلامت و با روحیه ای قوی بوده، و اولویت نخست دانشگاه سلامت و تندرستی رو به بهبود ایشان می باشد.

گروه دوستان و همکاران حامی وی نیز در توئیتر چنین واکنش نشان داد:

ما از خبر آزادی دوست و همکار عزیزمان دکتر کایلی مور گیلبرت پس از 804 روز اسارت در ایران بسیار خوشحال هستیم. یک زن بیگناه سرانجام آزاد شد. امروز در استرالیا مسلماً روزی بسیار نورانی است.

صداهای جهانی نیز در مورد ایشان گزارشی در اوت 2020 منتشر کرده است: پژوهشگر و استاد دانشگاه ملبورن، کایلی مور گیلبرت، به عنوان گروگان سیاسی در زندان قرچک ایران نگهداری می شود.

علی رغم همه این موارد، همچنان درخصوص وضعیت سلامت مور گیلبرت، نگرانی های به جایی در استرالیا وجود دارد. جیسون رضائیان که خود زمانی 544 روز را در زندان های ایران گذرانده، افکار خود را در توئیتی به اشتراک می گذارد:

من از اینکه می بینم دکتر کایلی مور گیلبرت سرانجام پس از گذراندن بیش از 2 سال اسارت به عنوان گروگان رژیم در #ایران آزاد شده است، بسیار هیجان زده می باشم. به همان اندازه که خوشحالم، با ضربه روحی وارده و سردرگمی آشکار در چهره اش نیز به خوبی آشنا می باشم. برای ایشان آرزوی سلامت، بهبود، آرامش و صبر را دارم.

او همچنین از کسانی است که خواستار پایان دادن به دیپلماسی گروگان‌گیری رژیم جمهوری اسلامی می باشند:

مدت‌هاست که زمان برای آغاز همکاری میان ائتلافی از کشورهای دارای دموکراسی – درواقع همه دولت‌های مسئول – درحال گذر است تا یکبار برای همیشه به گروگان‌گیری دولتی که رژیم #ایران مبدأ آن و مجرم برجسته این عمل وحشیانه در جهان است، خاتمه دهند.

نخست وزیر استرالیا، اسکات موریسون، در مراسم خوش آمدگویی برای آزادی مور گیلبرت نسبت به استفاده از دیپلماسی سکوت که از سوی برخی دوستان و همکاران وی مورد انتقاد قرار گرفته، اذعان نمود. وی از اظهار نظر در خصوص هرگونه مذاکره یا دخالت دولت های دیگر در این موضوع امتناء ورزید. او گفت که درجریان این موضوع، هیچ زندانی در استرالیا معاوضه نشده است.

باور بر این است که زندانیان ایرانی معاوضه شده، سه مرد مضنون و تحت بازداشت در تایلند به جرم تلاش برای سوءقصد به دیپلمات های اسرائیلی می باشند. در این مورد نگرانی های جدی درخصوص اعطای امتیاز به دیپلماسی گروگان‌گیری و تضمین مذاکرات مرتبط با تروریسم مطرح شده است:

همان قدر که ما از آزادی کایلی مور گیلبرت خوشحال هستیم، نباید این حقیقت را از ذهن دور داریم که: به رژیم #ایران، مجدداً با آزادی قاتلینی که جرم آنها اثبات گشته، به ویژه مسعود صداقت زاده عضو #سپاه_پاسداران و مسئول ترور برنامه ریزی شده برعلیه یهودیان در سال 2010، پاداش داده شده است.

نقش دولت اسرائیل در این میان همچنان مورد تردید می باشد:

آیا دولت استرالیا در خصوص معاوضه کایلی مور گیلبرت با 3 ایرانی که به اتهام توطئه سوءقصد به دیپلمات های اسرائیلی در زندان بودند، با اسرائیل بحث و تبادل نظر نموده است؟ ماریس پین، وزیر امور خارجه استرالیا، می گوید: “من قصد اظهار نظر درمورد گفتگوهای دیپلماتیک را ندارم.”

در این اثناء، بسیاری از استرالیایی ها مسائل حقوق بشری دیگری که به عقیده شان دولت اسکات موریسون باید جوابگوی آنها باشد، را به پیش کشیده اند. دلیا کیگلی یکی از افرادی است که در فضای مجازی، سیاست دولت استرالیا در نحوه برخورد با پناهجویان، به ویژه بازداشت های بلند مدت آنها، را یادآور می شود:

شکی نیست که خبر آزادی کایلی مور گیلبرت از زندان در ایران فوق العاده است. اما کمی ریاکارانه است که دولت ما این موضوع را جشن بگیرد درحالیکه خود، پناهجویان قانونی از کشورهایی همچون ایران را برای بلند مدت در حبس نگاه می دارد. ?

اچ. کارین که برای آزادی یک استرالیایی دیگر، یعنی جولیان آسانژ، کمپین حمایتی به راه انداخته، این دو موضوع را به هم پیوند می دهد. وی از وزیر امور خارجه استرالیا، ماریس پین، می خواهد که از جانب خود گامی در این خصوص بردارد:

من از شنیدن خبر آزادی کایلی مور گیلبرت خوشحال هستم. همچنین در انتظار آزادی جولیان آسانژ، شهروند استرالیا، نیز می باشم. شجاعت و سرسختی او واقعاً ستودنی است. انتظار می رود که شما تمام تلاش خود را درخصوص آزادی جولیان نیز بکار گیرید.

مور گیلبرت در بیانیه ای پس از آزادی اش، از دولت استرالیا قدردانی نموده، و مردم ایران را ستود:

I have nothing but respect, love and admiration for the great nation of Iran and its warm-hearted, generous and brave people. It is with bittersweet feelings that I depart your country, despite the injustices which I have been subjected to. I came to Iran as a friend and with friendly intentions, and depart Iran with those sentiments not only still intact, but strengthened.

چیزی جز احترام، عشق و ستایش برای ملت بزرگ ایران و مردم خونگرم، سخاوتمند و شجاع آن ندارم. با وجود بیدادی که بر من رفت، با احساساتی تلخ و شیرین ایران را ترک می‌کنم. من به عنوان یک دوست و با اهداف دوستانه به ایران آمدم و حال با همان احساسات می‌روم که نه تنها خدشه‌ای ندیدند، بلکه تقویت هم شده‌اند.

وی در حال حاضر در مکانی نامعلوم در دوران قرنطینه کرونا بسر می برد.

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کتاب جدید، روایت های درد و مقاومت از زندان های زنان در ایران را بازگو می کند https://fa.globalvoices.org/2020/10/17/5356/ https://fa.globalvoices.org/2020/10/17/5356/#respond <![CDATA[Shahram Ebrahimpanah]]> Sat, 17 Oct 2020 13:09:50 +0000 <![CDATA[آزادی بیان]]> <![CDATA[اعتراض]]> <![CDATA[ایران]]> <![CDATA[حقوق بشر]]> <![CDATA[خاص]]> <![CDATA[خاور میانه و آفریقای شمالی]]> <![CDATA[رسانه‌ شهروندی]]> <![CDATA[زنان و جنسیت]]> <![CDATA[سیاست]]> <![CDATA[فارسی]]> https://fa.globalvoices.org/?p=5356 <![CDATA[در «شکنجه سفید»، نرگس محمدی با 12 زندانی سیاسی زن گفتگو کرده، و تجربیات خود از زندانی که مدت هشت سال و نیم در آن سپری نمود، را به اشتراک می‌گذارد.]]> <![CDATA[

13 زندانی سیاسی زن از ایران، داستان‌هایشان را به اشتراک می‌گذارند

طرحی از اسد بیناخواهی، کاریکاتوریست مقیم آلمان، که لحظه استقبال از نرگس محمدی، فعال حقوق بشر، در روز آزادی از زندان را به تصویر می کشد. منتشر شده با مجوز.

هشدار محتوا: این گزارش حاوی شرح بر شکنجه هایی است که ممکن است برای برخی خوانندگان آزاردهنده باشد.

شکنجه سفید نوعی شکنجه روان‌شناختی است که در آن زندانی برای مدت زمانی بسیار طولانی در سلول انفرادی تماماً سفیدرنگ نگه داشته می شود. این کار به منظور ایجاد محرومیت حسی کامل و ایزوله کردن قربانی انجام می گیرد، و یکی از روش های شکنجه مورد استفاده در زندان های ایران، همراه با شکنجه های فیزیکی می باشد.

«شکنجه سفید» نام کتابی جدید از نرگس محمدی، روزنامه نگار و فعال سرشناس حقوق بشر می باشد، که از سوی نشر باران در سوئد به زبان فارسی منتشر گردید. این کتاب، به روایت مصاحبه های انجام گرفته با 12 زندانی سیاسی زن، و تجربیات خود مؤلف که مدت هشت سال و نیم از عمر خود را در زندان های ایران سپری نموده، می پردازد.

12 فرد مصاحبه شده، روزنامه نگارها، اعضای اقلیت های مذهبی و فعالان سیاسی می باشند. روایات آنها، وضعیت هولناک و رقت انگیز زندان های ایران را فاش می سازند. شرایط فجیع بهداشتی و سلول های انفرادی بسیار کوچک و کم نور امری معمول می باشد؛ زندانیان با محرومیت عمدی از مراقبت های بهداشتی، ساعات طولانی بازجویی، تهدید اعضای خانواده، و استفاده از سلول های انفرادی به عنوان ابزار شکنجه مواجه می باشند.

رضا کاظم زاده، روانشناس مقیم بلژیک، که با قربانیان شکنجه کار می کند، درخصوص شیوه شکنجه سفید نوشت:

It can be argued that if physical torture is used at the beginning of an arrest to make a prisoner talk (providing information), the purpose of the psychological torture is to infiltrate the identity and influence his or her personality in the long run.

می توان چنین استدلال نمود که اگر شکنجه فیزیکی در مراحل ابتدایی بازداشت، به عنوان ابزاری برای واداشتن زندانی به صحبت (جهت بدست آوردن اطلاعات) بکار می رود، هدف از شکنجه روانی، رخنه در هویت فرد و تأثیر بر شخصیت او در بلند مدت می باشد.

این کتاب افشاء می سازد که بازداشت 12 زن مصاحبه شده، نه به دلیل ارتکاب جرم، بلکه به این دلیل بوده که نیروهای امنیتی و اطلاعاتی ایران آنها را برای بازجویی ها مناسب یافته اند. آنها این زندانیان را برای اعتراف یا اجبار به همکاری تحت فشار قرار دادند.

اسامی زنانی که محمدی با آنها گفتگو می کند، عبارتند از: نیگارا افشارزاده، سیما کیانی، صدیقه مرادی، آتنا دائمی، مهوش شهریاری، زهرا ذهتابچی، هنگامه شهیدی، ریحانه طباطبایی، مری محمدی، نازیلا نوری، نازنین زاغری رتکلیف و شکوفه یداللهی.

جلد کتاب «شکنجه سفید»، اثر نرگس محمدی. عکس منتشر شده با مجوز.

گفتگو با مورچه ها

در این کتاب، محمدی همچنین از تجربیات خود در زندان، شامل دوران سلول انفرادی و بازجویی ها می گوید. چنانکه وی به تفصیل شرح می دهد، بازجوها با وجود آنکه معمولاً همه اطلاعات مورد نیاز را داشتند، با این حال از او می خواستند که استعفای خود از کانون مدافعان حقوق بشر، نهادی مدنی که توسط وکلای سرشناس ایرانی شامل شیرین عبادی، برنده جایزه صلح نوبل تأسیس گردیده، را اعلام نماید.

محمدی که خود همچنین یک مبارز سرسخت برعلیه مجازات اعدام می باشد، در این کتاب می نویسد:

The solitary cell is not just a location, but a place where all elements concur to make to have the imprisonment impact us. This includes the indifference of doctors towards our pain, blindfolding prisoners, dirty curtains, dead cockroaches on the floor, unfitting prison clothes, and long periods of sitting in interrogation cells.

سلول انفرادی تنها یک مکان نیست، بلکه جائیست که همه عناصر همچون، بی تفاوتی پزشک ها نسبت به درد ما، زندانیان با چشم بند، پرده های کثیف، سوسک های مرده بر کف زمین، لباس های نامناسب زندان و سپری نمودن زمان طولانی در سلول های بازجویی دست به دست هم می دهند تا حبس، ما را درهم شکند.

هر زندانی به طرق مختلف نسبت به شرایط واکنش نشان می دهد. نیگارا افشارزاده، شهروند ترکمنستان که در سال 93 به اتهام جاسوسی به 5 سال حبس محکوم شد، شرح می دهد که چگونه گفتگو با مورچه ها در سلولش به او برای تحمل دوران حبس کمک نموده است. وی می گوید: ” فقط می خواستم سلولم را با یک موجود زنده دیگر سهیم باشم.”

سیما کیانی، شهروند بهایی و زندانی عقیدتی سابق، می گوید: “من ترجیح می دادم مورد بازجویی قرار گیرم تا اینکه در یک سلول تنها رها شوم.”

بازجویان همچنین از اطلاعات پزشکی و خانوادگی زندانیان برای اعمال فشار بر آنها استفاده می نمایند. مهوش شهریاری، شهروند بهایی دیگری که 10 سال را در زندان سپری نمود، از تهدیدهای انجام گرفته برعلیه همسر و پسرش به عنوان “سخت ترین” جنبه بازجویی ها یاد می کند.

نازنین زاغری رتکلیف، شهروند دوتابعیتی ایرانی-بریتانیایی، توضیح می دهد که چگونه از مراقبت های پزشکی شامل دریافت داروهای تجویزی محروم بوده است.

مری محمدی، نوکیش مسیحی که به اتهام عضویت در یک کلیسای خانگی شش ماه را حبس گذراند، از توهین نگهبان ها به او، والدین و ایمان مسیحی اش روایت می کند. او می گوید: “آنها کلیسا را قمارخانه خطاب می کردند.”

این کتاب روشن می سازد که چگونه شیوه های بازجویی، زاندانیان را وادار به همدستی می کنند. یک بازجو به هنگامه شهیدی، خبرنگار و فعال حقوق زنان، ابراز عشق نمود، و از او خواست که در ازای بسته شدن پرونده اش با او ازدواج کند. او با گفتن اینکه ترجیح می دهد در زندان بماند تا اینکه مجدداً با او ملاقات نماید، این درخواست را به تندی رد نمود.

چند تن از زندانیان اشاره شده در متن این کتاب، برای دفاع از حقوق و شأن خود همچنان در اعتصاب غذا بسر می برند.

ادامه زندگی با ضربه روحی

برای بیشتر زندانیان ، اثر روانی شکنجه برای مدت طولانی ادامه دارد. منصور برجی ، مدیر اجرایی سازمان ماده 18، یک سازمان حمایت از مسیحیان مستقر در لندن که به زندانیان مسیحی سابق کمک می کند تا بر آسیب های روحی خود فائق آیند، به صداهای جهانی گفت:

Awareness about this kind of torture and the ways to identify the symptoms in victims’ behaviour and moods is key. It is essential that the victims, their families, and the broader community know about the root causes of the unusual behaviour in some specific circumstances and are able to react in an appropriate way. Former prisoners re-live trauma and suffering caused by torture repeatedly. You should not respond lightly to the way they react stressfully to the ring of a phone, or to some smells and noises. Awareness will help them gradually improve their mental wellbeing.

آگاهی در مورد این نوع شکنجه و راه های شناسایی علائم آن در رفتار و خلق و خوی قربانیان، کلیدی می باشد. این امری ضروری است که قربانیان، خانواده های آنها و گروه وسیعتری از جامعه، در خصوص علل اصلی رفتارهای غیرمعمول در برخی شرایط خاص اطلاع داشته، و بتوانند به شیوه ای مناسب واکنش نشان دهند. زندانیان سابق بارها و بارها آسیب ها و رنج های ناشی از شکنجه را در ذهن خود مرور کرده و دوباره تجربه می کنند. شما نباید نسبت به واکنش های پر استرس آنها به زنگ تلفن یا برخی بوها و صداها با بی توجه باشید. آگاهی به آنها کمک می کند تا به تدریج سلامت روانی خود را باز یابند.

کامران اشتری، مدیر عرصه سوم، سازمانی که برقراری دموکراسی، حقوق بشر و جامعه مدنی را در ایران ترویج می نماید، و خود نیز در دوران نوجوانی در زندان های ایران قربانی شکنجه بوده، به صداهای جهانی چنین می گوید:

Any form of torture can cause psychological trauma. But it’s especially bad for young people under 25 because their brains are still forming. It becomes permanent and life-long (…). Unfortunately, for all of us who have experienced trauma, there is no returning to the people we once were. There is only finding ways to dim the nightmares.

هر نوع از شکنجه می تواند ایجاد آسیب روانی نماید. اما این آسیب به ویژه برای جوانان زیر 25 سال جدی تر می باشد، چراکه مغز آنها هنوز در حال شکل گیری است، و هر ضربه ای در آنها دائمی و مادام العمر می گردد (…). برای همه ما که ضربه روحی را تجربه کرده ایم، فقط شانسی برای یافتن راهی جهت کم نور کردن کابوس ها وجود دارد، ولی متأسفانه دیگر امکان بازگشت به افرادی که قبلاً بوده ایم، نیست.

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